103 वर्ष का हो गया जालंधर का डीएवी कालेज
डीएवी कालेज वीरवार को 103 वर्ष को हो गया है। इस कालेज की स्थापना यूं तो आठ नवंबर को 1883 में आर्य समाज मंदिर लाहौर में हुई थी जबकि जालंधर में पं. मेहरचंद के प्रयासों से 13 मई 1918 में हुई थी। ताकि दोआबा क्षेत्र में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल हो सके। वह कालेज के पहले अवैतनिक प्राचार्य बने थे।
जासं, जालंधर : डीएवी कालेज वीरवार को 103 वर्ष को हो गया है। इस कालेज की स्थापना यूं तो आठ नवंबर को 1883 में आर्य समाज मंदिर लाहौर में हुई थी जबकि जालंधर में पं. मेहरचंद के प्रयासों से 13 मई 1918 में हुई थी। ताकि दोआबा क्षेत्र में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल हो सके। वह कालेज के पहले अवैतनिक प्राचार्य बने थे।
उनके बेटे पं. हरी लाल कालेज के पहले विद्यार्थी बने। पं. हरी लाल दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात इंजीनियरिग की पढ़ाई के लिए लाहौर जाना चाहते थे, परंतु पिता की आज्ञा पर उन्होंने कालेज में प्रथम विद्यार्थी के तौर पर अपना नाम अंकित करवाया। कालेज के ही एक अन्य छात्र मोहम्मद अनवर खान ने पं. मेहरचन्द के कहने पर अपनी 56 कनाल जमीन मात्र तीन सौ रुपये में कालेज को देकर वर्तमान कालेज की स्थापना में योगदान दिया था।
मौजूदा समय में डा. संजीव कुमार अरोड़ा बतौर प्रिसिपल के तौर पर सेवाएं निभा रहे हैं। वह कहते हैं कि कालेज के पूर्व छात्रों में पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल, भारत के मुख्य न्यायाधीश एमएन पंछी, हृदय रोग विशेषज्ञ कैलिफोर्निया के हरविदर सिंह सहोता, पाकिस्तान में भारतीय अंबेसडर शरद सभ्रवाल, जीएनडीयू के पूर्व कुलपित प्रो. एएस बराड़, डा. हरगोबिद खुराना, गजल गायक जगजीत सिंह, सूफी गायक हंसराज हंस, मेजर रमन दादा, हिदी साहित्यकार रविदर कालिया व उपेंद्रनाथ अश्क आदि का नाम शामिल है।