स्वदेशी आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर से चीन पर निर्भरता खत्म, जालंधर की इस कंपनी ने तैयार किया 'रक्षक'

फोकल प्वाइंट स्थित हिंदपंप की तरफ से स्वदेशी तकनीक से आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर बनाना शुरू किया गया। इससे चीन पर निर्भरता कम हो गई। पहले बोतल को बिना हाथ लगाए सैनिटाइजर से हाथ साफ कर लेने की तकनीक चीन के पास थी।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:59 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:59 AM (IST)
स्वदेशी आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर से चीन पर निर्भरता खत्म, जालंधर की इस कंपनी ने तैयार किया 'रक्षक'
लवली ग्रुप के डायरेक्टर नरेश मित्तल रक्षक से हाथ सैनिटाइज करते हुए।

जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। कोरोना वायरस अत्यंत तीव्र गति से फैल रहा था और बताया जा रहा था कि इससे बचाव के लिए किसी भी तरह की सतह को हाथ नहीं लगाना चाहिए। हैंड सैनिटाइजर का उपयोग के लिए बोतल को छूना जरूरी था। बोतल को बिना हाथ लगाए सैनिटाइजर से हाथ साफ कर लेने की तकनीक चीन के पास थी। कोरोना वायरस फैला तो तुरंत आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर बाजार में आ गए। सस्ते थे, लेकिन क्वालिटी नहीं थी। पहले पहल जिन्होंने लगवाए वह खराब होने लगे और गारंटी न होने की वजह से रिप्लेस भी नहीं हो पाए। ऐसे में फोकल प्वाइंट स्थित हिंदपंप की तरफ से स्वदेशी तकनीक से आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर बनाना शुरू किया गया। इससे चीन पर निर्भरता कम हो गई।

हिंद पंप के संचालक एवं जालंधर इंडस्ट्रियल फोकल प्वाइंट एक्सटेंशन एसोसिएशन के अध्यक्ष नरिंदर सिंह सग्गू बताते हैं कि वह और उनके बेटे खुद मैकेनिकल इंजीनियर हैं, लेकिन आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर में इलेक्ट्रानिक का सामान भी लगना था। इसके लिए उन्होंने अपने मित्र पुष्पेंद्र सिंह की मदद ली, जो इलेक्ट्रानिक्स के माहिर हैं। तकनीक विकसित की गई और उसके बाद लेजर कटिंग से स्टील के डिजाइन पर काम किया गया। पंप गुजरात से और सेंसर दिल्ली से मंगवाए गए। इसके लिए कई बार दिल्ली भी जाना पड़ा। इसके लिए तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर वरिंदर कुमार शर्मा ने भी सहयोग किया।

हंस कंपनी की तरफ से स्वदेशी तकनीक से आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर तैयार हो गया और उसका नाम रखा गया रक्षक। पहले रक्षक का उपयोग खुद किया गया और सही पाए जाने के बाद मैन्युफैक्चरिंग शुरू की गई। इसे लोगों के आम उपयोग के लिए भी उपलब्ध करवाया गया। हालांकि इसकी कीमत तब चीनी उत्पाद की तुलना में महंगी थी। चीनी आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर 4000 रुपये में उपलब्ध हो रहा था, लेकिन स्वदेशी तकनीक से तैयार डिस्पेंसर रक्षक लगभग 8000 रुपये में उपलब्ध हो रहा था। अब इसकी कीमत 7500 रुपये हो गई है। अभी कंपनी 250 से 300 हर महीने रक्षक का प्रोडक्शन कर रही है।

रिपेयर हो सकते हैं रक्षक के कलपुर्जे

कुछ समय बाद चीनी उत्पाद खराब होने लगे, लेकिन रक्षक अभी भी लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा है। नरिंदर सिंह सग्गू बताते हैं कि रक्षक में जितने भी कलपुर्जे लगाए गए हैं, वह सभी रिपेयर हो सकते हैं और आसानी से बदले भी जा सकते हैं। इस वजह से बीते एक वर्ष में कभी कभार ही रक्षक की रिपेयर की जरूरत पड़ी है। हिंद पंप अब धीरे-धीरे खुल रहे होटलों, रेस्टोरेंट्स एवं शैक्षणिक संस्थानों के लिए आटोमेटिक सैनिटाइजर डिस्पेंसर की प्रोडक्शन कर रहा है।

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