आजादी के इतिहास से जुड़ी हैं जालंधर के कंपनी बाग की यादें, बरगद के पेड़ से कई क्रांतिकारियों को दी गई थी फांसी

जालंधर का कंपनी बाग आज भी आजादी की लड़ाई की गवाही देता है। मुगल साम्राज्य से भी पहले के बने इस बाग का समय-समय पर कई नाम रखे गए लेकिन अभी भी यह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रखा गया नाम कंपनी बाग से ही प्रचलित है।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 11:22 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 11:22 AM (IST)
आजादी के इतिहास से जुड़ी हैं जालंधर के कंपनी बाग की यादें, बरगद के पेड़ से कई क्रांतिकारियों को दी गई थी फांसी
अंग्रेजी शासन के दौरान कई क्रांतिकारियों को कंपनी बाग के बरगद पेड़ पर लटका कर फांसी दी जाती थी।

जालंधर, [प्रियंका सिंह]। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की ऐतिहासिक घटनाओं की गवाही जालंधर का कंपनी बाग आज तक दे रहा है। मुगल साम्राज्य से भी पहले के बने इस बाग का समय-समय पर कई नाम रखे गए, लेकिन अभी भी यह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रखा गया नाम कंपनी बाग से ही प्रचलित है। बाग की देख-रेख अब निगम के हवाले है। इस पार्क में लगभग 300 साल पुराना बरगद का पेड़ अभी भी है। उस समय के अंग्रेजी शासन के खिलाफ आवाज उठाने वाले कई क्रांतिकारियों को बरगद के पेड़ पर लटका कर फांसी दी जाती थी।

शहर के सबसे पुराने एवं प्रसिद्ध पार्क को दिल्ली पार्क, एमप्रेस गार्डन व नेहरू गार्डन के नाम से भी जाना जाता था। जालंधर के इतिहास के जानकार दीपक जालंधरी के अनुसार बहुत पहले पार्क दिल्ली गेट के सामने होने के कारण दिल्ली पार्क नाम से बुलाया जाता था। पंजाब पर 1846 में अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था। जालंधर में उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी का दफ्तर भी खोला था। उस समय इस बाग को अंग्रेजी सेना की छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया था। अंग्रेजों ने अपनी फौज की टुकड़ी यहां पर रखी थी। इसके लिए बाग को फिर से बनाया गया था। उस समय कंपनी ने ब्रिटिश हुकूमत को खुश करने के लिए पार्क का नाम एमप्रेस पार्क रखा था। कुछ साल बाद ही अंग्रेजों ने शहर से बाहर फौज के लिए छावनी बनाई, जिसे अब जालंधर कैंट के नाम से जाना जाता है।

आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू जब जालंधर में आए तो वह इस पार्क में भी गए थे, इसलिए इसे नेहरू गार्डन नाम भी दिया गया। आज महात्मा गांधी की प्रतिमा कंपनी बाग की शोभा बढ़ा रही है। शहर के लोग सुबह शाम यहां पर सैर करने के लिए आते हैं। पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले भी लगे हुए हैं।

पार्क में जलसा करने आते थे स्वतंत्रता सेनानी

दीपक जालंधरी बताते हैं कि यहां पर स्वतंत्रता सेनानी जलसा करने के लिए आते थे। लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर यहां पर नेता आते रहते थे। इंदिरा गांधी भी इस पार्क में जलसा करने के लिए आ चुकी हैं। पहले यहां कुछ ही पेड़ थे। बाद में इसे एक माडर्न पार्क के रूप में विकसित कर लिया गया।

पहले पार्क में ज्यादा लगे थे फलदार पेड़

रिटायर्ड निगम अधिकारी रंजीत सिंह वालिया ने बताया कि मेरा बचपन इसी पार्क में गुजरा है। बचपन से लेकर आज तक मैंने इस पार्क के कई बदलते रूप देखे हैं। यहां पर पहले फलदार पेड़ बहुत गिनती में लगे होते थे। अब केवल फूलदार पेड़ ही रह गए हैं।

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