मुख्य कृषि अधिकारी बोले- धान की सीधी बिजाई वाले खेतों में नदीनों की रोकथाम के लिए सचेत रहने की जरूरत
किसानों को नदीनों से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि इनकी रोकथाम के लिए पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की सिफारिशों अनुसार सफल प्रयास करने चाहिए। यह बात मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने जालंधर जिले के किसानों से बुधवार को कही।
जालंधर, जेएनएन। धान की सीधी बीज से बिजाई करने वाले किसानों को नदीनों से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि इनकी रोकथाम के लिए पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की सिफारिशों अनुसार सफल प्रयास करने चाहिए। यह बात मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने जालंधर जिले के किसानों से बुधवार को कही। उन्होंने कहा कि धान की फसल में स्वांक व धान के मोथे हों तो 100 मिलीलीटर प्रति एकड़ नोमनीगोल्ड 10 एससी का बिजाई से 15-25 दिनों बाद जब नदीन 2-4 पत्तों की अवस्था में हों तो 150 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की सिफारिशों अनुसार यदि फसल में स्वांक, चीनी घास, धान के मोथे व चौड़ी पत्ती वाले नदीन हों तो 900 मिलीलीटर प्रति एकड़ विवाया 6 ओडी का छिड़काव भी 150 लीटर पानी में घोलकर नदीनों की 2-4 पत्तों की अवस्था में किया जा सकता है।
डा. सिंह ने कहा कि कई बार फसल में स्वांक, मधाणा, मक्कड़ा, चीनी घास, गांठों वाला मोथा, धान के मोथे व चौड़ीपत्ती वाले नदीन जैसे कि इट्टसिट का हमला भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में 90 ग्राम प्रति एकड़ कौंसिल एक्टिव 30 डब्ल्यूजी का छिड़काव करने की सिफारिश की गई है। यदि फल में केवल घास वाले नदीन जैसे मिर्च बूटी, चौलाई, दौधक आदि हैं तो ऐसे खेतों में खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी ने प्रति एकड़ 8 ग्राम एलमिक्स 20 डब्ल्यू पी को 150 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करने की सिफारिश की है।