जल्द घोषित होगा Jalandhar Cantt Board के सिविल सदस्य का नाम, हरकत में आया रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने इसी साल फरवरी में निर्वाचित सदन को भंग कर वैरी बोर्ड के गठन के आदेश दिए थे। इसमें जनता की ओर से एक नामित सदस्य का चयन किया जाना था। मार्च में यह कवायद शुरू हो गई थी लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
जासं, जालंधर कैंट। छावनी परिषद के निर्वाचित सदन के भंग होने के बाद अस्तित्व में आए वैरी बोर्ड में जनता का प्रतिनिधित्व तय करने की कवायद तेज हो गई है। गत फरवरी में कैंट बोर्ड भंग होने के आठ महीनों बाद आखिरकार रक्षा मंत्रालय हरकत में आ गया है। देश भर की 62 छावनियों के नामित सदस्यों के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। रक्षा मंत्रालय ने सोमवार अंबाला, महू, डगशाई सहित 11 छावनी परिषदों के वैरी बोर्ड में सिविल सदस्यों को नामित किया है।
रक्षा मंत्रालय ने इसी साल फरवरी में निर्वाचित सदन को भंग कर वैरी बोर्ड के गठन के आदेश दिए थे। वैरी बोर्ड में जनता की ओर से एक नामित सदस्य का चयन किया जाना था। मार्च में यह कवायद शुरू हो गई थी लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। इसी बीच तेलांगना हाइकोर्ट में बिना नामित सदस्य के वैरी बोर्ड के काम करने को लेकर पीआइएल दाखिल की गई थी। इस पर रक्षा मंत्रालय ने अपना शपथ पत्र दाखिल करते हुए वैरी बोर्ड में नामित सदस्य की तैनाती की प्रक्रिया शूरू कर दी है।
जनता से चयन की मांग
सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान राम सहदेव ने कहा कि सिविल सदस्य को नामित करने की जगह जनता की राय से सिविल सदस्य का चयन किया जाना चाहिए, जिससे व्यवस्था की पारदर्शिता बनी रहे। केंद्र को स्थानीय समस्याओं के बारे में नहीं पता है। उन्होंने कहा कि सिविल सदस्य काबिलियत के आधार पर बनना चाहिए ना कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की सिफारिश पर। यदि रक्षा मंत्रालय किसी अयोग्य व्यक्ति को सिविल सदस्य घोषित करता है तो स्थानीय नागरिकों के मुद्दों का हल निकलना मुश्किल है।
यह है वैरी बोर्ड
एक साल या जब तक कैंट बोर्डों में चुनाव नहीं होते तब तक वैरी बोर्ड ही काम करता है। वैरी बोर्ड में कैंट बोर्ड अध्यक्ष के साथ ही कैंट बोर्ड सीईओ और एक नामित सदस्य होते हैं। नामित सदस्य के लिए कैंट बोर्ड अध्यक्ष रक्षा मंत्रालय को तीन व्यक्तियों के नाम भेजेंगे। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ही नामित सदस्य की घोषणा करता है। बोर्ड में नामित सदस्य जनता के प्रतिनिधि के तौर पर रहता है।
पंचायत या नगर निगम में आने की चाह
छावनी बोर्ड में रहने वाले लोग लगातार मांग कर रहे हैं कि अंग्रेजों द्वारा बनाई गई छावनियों व कैंटोनमेंट एक्ट को भंग किया जाए। यहां भी सिविल क्षेत्रों की तरह ही सहूलियतें दी जाएं व टैक्स कम किए जाएं। यहां के लोग भी खुद को पंचायत या नगर पंचायत, नगर परिषदों में शुमार करना चाहते हैं, जिसकी मांग लंबे समय से चली आ रही है।