जालंधर में बेघरों की प्रशासन नहीं ले रहा सुध, Lockdown में 4 रेन बसेरे हुए; खाने-पीने के पड़े लाले

जालंधर नगर निगम के आठ रैन बसेरों से चार बंद हैं और चार ही चल रहे हैं। लाकडाउन के हालातों में उन्हें रहने के लिए आश्रय तो मिल रहा है पर खाने-पीने की कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिल पा रही है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 01:33 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 01:33 PM (IST)
जालंधर में बेघरों की प्रशासन नहीं ले रहा सुध, Lockdown में 4 रेन बसेरे हुए; खाने-पीने के पड़े लाले
जालंधर नगर निगम द्वारा बनाए गए आठ रैन बसेरों से चार बंद हैं।

जालंधर, [अंकित शर्मा]। बेघरों के लिए बनाए गए नगर निगम के आठ रैन बसेरों से चार बंद हैं और चार ही चल रहे हैं। लाकडाउन के हालातों में उन्हें रहने के लिए आश्रय तो मिल रहा है, पर खाने-पीने की कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। एक साल पहले तक तो दानी सज्जनों के सहयोग से ही रैन बसेरों में रहने वालों की गुजर-बसर चल रही थी। मगर जब से लाक डाउन लगा है वह भी बंद हो गया है। जिस वजह से इन रैन बसेरों की हालत भी पतली हो गई है।

नगर निगम की तरफ से दोमोरिया पुल के नीचे एक व दूसरा संत सिनेमा रेलवे रोड के सामने एक (दोमोरिया पुल), बस स्टैंड फ्लाईओवर के नीचे थाना बारादरी के सामने, बबरीक चौक ही खुले हैं, जबकि मदन फ्लोर मिल चौक, गढ़ा निगम जोन दफ्तर के पास, गढ़ा डिस्पोजल के नजदीक, बस्ती पीरदाद के रैन बसेरे बंद हैं।

अब तो दानी सज्जन भी आने बंद हो गए

सुपरवाइजर जोगिंदर कुमार कहते हैं कि रैन बसेरों में लोग तो आ रहे हैं, मगर उनके लिए प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार का कोई भी सहायता नहीं मिल पा रही है। इन रैन बसेरों में रहने वालों को दानी सज्जनों व एनजीओ की मदद से ही खाने-पीने का इंतजाम हो रही है। मगर पिछले वर्ष मार्च महीनें से लगे लाक डाउन के बाद से दानी सज्जन भी आने बंद हो गए हैं। बस बीते वर्ष पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर ही रैन बसेरों में रहने वालों के लिए लंगर लेकर आए थे। उनकी तरफ से जितना यहां रहने वालों के लिए हो रहा है वे उनकी मदद कर रहे हैं।

बच्चों ने घर से निकाला, काम की तलाश में जालंधर आई वृद्धा रैन बसेरा पहुंची

मोगा की परमजीत कौर वृद्धा कहती हैं कि उसके बच्चों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। जालंधर बड़ा शहर है यही सोच कर चार दिन पहले आ गई थी कि यहां कोई न कोई काम मिल जाएगा। मगर लाक डाउन की वजह से सब बंद हैं। वह काम की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी, तभी किसी ने बताया कि वह रैन बसेरे में जाकर रह सकती है। तो यहां आ गई, जहां के सुपरवाइजर जोगिंदर कुमार ही उनकी सहायता कर रहे हैं, इसके अलावा चार दिनों से किसी प्रकार से कोई भी सहायता करने आया। वे दानी सज्जनों से मदद की गुहार लगा रही है।

रैन बसेरों में इतने-इतने बेघरों के रहने की व्यवस्था

1. दोमोरिया आरओबी के नीचे 80

2. संत सिनेमा के सामाने रेलवे रोड 40

3. मदन फ्लोर मिल चौक 5

4. खालसा कॉलेज के सामने नजदीक बस स्टैंड 40

5. गढ़ा डिस्पोजल 8

6. गढ़ा जोनल आफिस 5

7. बस्ती शेख जोन नजदीक बबरीक चौक 50

8. बस्ती बावा खेल श्मशान घाट 11

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