1988 की बाढ़ से किसानों की जमीन में पड़े खड्डों को भरने का काम शुरू

पंजाब में तीन दशक पहले 1988 में सतलुज दरिया में आई बाढ़ के कारण तीन किसान भाइयों की 3 एकड़ जमीन में से 1 एकड़ में 20 फुट गहरे खड्डों को वातावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल के नेतृत्व में भरने का काम शुरू किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 01:51 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 01:51 AM (IST)
1988 की बाढ़ से किसानों की जमीन में पड़े खड्डों को भरने का काम शुरू
1988 की बाढ़ से किसानों की जमीन में पड़े खड्डों को भरने का काम शुरू

संवाद सूत्र, शाहकोट : पंजाब में तीन दशक पहले 1988 में सतलुज दरिया में आई बाढ़ के कारण तीन किसान भाइयों की 3 एकड़ जमीन में से 1 एकड़ में 20 फुट गहरे खड्डों को वातावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल के नेतृत्व में भरने का काम शुरू किया गया है। कई दिन से सतलुज दरिया में से मिट्टी के टिप्पर लाकर इन किसानों की जमीनों में पड़े हुए खड्डों में डाली जा रही है। इन छोटे किसानों की 1 एकड़ जमीन पिछले 32 साल से बेआबाद पड़ी थी तथा उनके घरों का गुजारा करना भी मुश्किल हो चुका था।

इस जमीन के मालिक धर्मप्रीत सिंह, जोबनप्रीत सिंह तथा मनजिदर सिंह ने बताया कि एक एकड़ जमीन बाढ़ के कारण तबाह हो जाने के कारण घर के हालात ऐसे हुए कि परिवार के मुखिया को दिहाड़ी कर गुजारा करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि अब तक 125 से ज्यादा मिट्टी के टिप्पर उनके खेतों में डाले जा चुके हैं और 200 से ज्यादा टिप्पर और वहां डालने की संभावना है। इतना बड़ा खर्चा वे कर नहीं सकते थे। समय की सरकारों ने भी उनकी कोई सहायता नहीं की। इन भाइयों ने यह आस भी प्रकटाई की धान की बिजाई से पहले ही इस खेत को कृषि योग्य बना दिया जाएगा। संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि सतलुज दरिया के गिदड़पिडी के रेलवे पुल के 21 दरों में से अधिकतर की सफाई न होने के कारण और बांध की मजबूती न होने के कारण यह क्षेत्र बाढ़ की मार के नीचे आ रहा था। अब जब पुल के नीचे से मिट्टी निकालने की कार सेवा शुरू की है, उसके साथ क्षेत्र को बड़ी राहत मिली है।

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