Punjab : स्किल्ड लेबर के अभाव में पिट रहा एक्सपोर्ट, स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री से लेकर लेदर इंडस्ट्री तक हो रही प्रभावित

जालंधर में स्किल्ड लेबर का न होना इंडस्ट्री के एक्सपोर्ट को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। इंडस्ट्री के पास ऐसी स्किल्ड लेबर उपलब्ध नहीं है जो नए डिजाइन अथवा नई तकनीक विदेशी ग्राहकों के लिए उपलब्ध करवा सके।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 11:16 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 11:16 AM (IST)
Punjab : स्किल्ड लेबर के अभाव में पिट रहा एक्सपोर्ट, स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री से लेकर लेदर इंडस्ट्री तक हो रही प्रभावित
जालंधर में स्किल्ड लेबर के अभाव में एक्सपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। स्किल्ड लेबर का अभाव जालंधर की विख्यात इंडस्ट्री के पैर पसारने में सबसे बड़ी बाधा बनने लगा है। वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के दौर में स्किल्ड लेबर का न होना इंडस्ट्री के एक्सपोर्ट को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। वजह यह है कि जालंधर की इंडस्ट्री के पास ऐसी स्किल्ड लेबर उपलब्ध नहीं है, जो नए डिजाइन अथवा नई तकनीक विदेशी ग्राहकों के लिए उपलब्ध करवा सके। मजबूरी में ही विदेशी ग्राहक की डिमांड को किसी तरह से पूरा करना पड़ता है।

स्किल्ड लेबर की तलाश में हालात कुछ ऐसे पैदा कर दिए हैं कि औद्योगिक इकाइयां एक दूसरे में ही सेंधमारी करने तक मजबूर हो गई हैं। औद्योगिक इकाइयों को तकनीकी शिक्षा मुहैया करवाने वाले संस्थानों से अपनी जरूरत के मुताबिक मुलाजिम मिल ही नहीं पा रहे हैं और मजबूरी में अनस्किल्ड लेबर को नौकरी देकर वेतन के साथ ऑन जॉब ट्रेनिंग दी जाती है। जब तक मुलाजिम काम सीख पाता है, तब तक कोई अन्य औद्योगिक इकाई अधिक वेतन का प्रलोभन देकर स्किल्ड मुलाजिम को साथ ले जाती है।

युवा स्किलड लेबर नहीं मिल पाती: मुकुल

स्पोर्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव एवं एक्सपोर्ट हाउस सावी इंटरनेशनल के डायरेक्टर मुकुल वर्मा ने कहा कि भारतीय स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री 318 तरह की विभिन्न आइटम बनाती है, जिनमें से अधिकतर का एक्सपोर्ट भी होता है। ग्लोबल मार्केट 400 बिलियन यूएस डॉलर की है, लेकिन मात्र 14 सौ करोड़ का ही एक्सपोर्ट हो पाता है। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के पास स्किल्ड डिजाइनर, पेट्रन मेकर, स्टिचिंग, प्रिंटिंग, कटिंग मास्टर की सख्त जरूरत है, लेकिन कभी भी युवा स्किल्ड लेबर नहीं मिल पाती है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों तकनीकी शिक्षा मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने आश्वासन दिया है कि जमीन लेकर आरएंडडी का कार्य शुरू करवाया जा सकता है। मुकुल वर्मा ने कहा कि इस घोषणा को अति शीघ्र अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए। तकनीकी संस्थानों को इंडस्ट्री के साथ कोर्सेज डिजाइन करने चाहिए, ताकि पढ़े-लिखे युवा इंडस्ट्री के लिए उपलब्ध हो सकें।

लेदर इंडस्ट्री में डिजाइनिंग और टेक्निक मायने रखती है: राजू

लेदर गुड्स मैन्युफैक्चरर एंड एक्सपोर्टर यूनिट हॉक लेदर्स के संचालक एसपीएस राजू विर्क ने कहा कि जब तक रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए कोई उपयुक्त संस्थान वर्किंग शुरू नहीं करेगा, तब तक लेदर इंडस्ट्री के लिए स्किल्ड लेबर का मिल पाना संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि लेदर इंडस्ट्री में डिजाइनिंग और टेक्निक मायने रखती है, लेकिन जालंधर की लेदर इंडस्ट्री के लिए ऐसी स्किल्ड लेबर का अभाव ही है। राजू विर्क ने कहा कि मौजूदा समय में लेदर इंडस्ट्री में री-साइकिल तकनीक भी अति महत्वपूर्ण है, लेकिन यह तभी कारगर साबित हो सकती है। अगर आपके पास स्किल्ड लेबर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि तकनीकी संस्थानों के पाठ्यक्रम इंडस्ट्री की जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किए जाएं। यह तभी संभव होगा जब तकनीकी संस्थान और इंडस्ट्री एक प्लेटफार्म पर आकर इकट्ठे कार्य करेंगी। जब हमारे पास आधुनिक डिजाइन और तकनीक नहीं होगी तब तक एक्सपोर्ट में शीर्ष स्थान पर पहुंच पाने के लिए कड़ा संघर्ष ही करना पड़ेगा।

इंडस्ट्री संचालक आधुनिक मशीनें तो ले आए, चलाने के लिए स्किल्ड लेबर उपलब्ध नहीं : अश्विनी

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के रीजनल डायरेक्टर एवं हैंड टूल एक्सपोर्ट हाउस विक्टर टूल्स के संचालक अश्विनी विक्टर ने कहा कि हालात इतने पेचीदा है कि तकनीकी संस्थानों के पास जो पाठ्यक्रम हैं, उन्हें पढ़ने वाले प्रशिक्षु इंडस्ट्री की जरूरत के ही नहीं है। जो युवा इंडस्ट्री को चाहिए, उन्हें पढ़ाने वाले पाठ्यक्रम तकनीकी संस्थानों के पास उपलब्ध नहीं है। इंडस्ट्री संचालक दुनिया भर से आधुनिक मशीनें तो ले आए हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए स्किल्ड लेबर ही उपलब्ध नहीं है। बीते चार दशक से इंडस्ट्री स्किल्ड लेबर की समस्या से जूझ रही है, लेकिन अभी तक भी तकनीकी संस्थानों के पाठ्यक्रम इंडस्ट्री की जरूरतों के मुताबिक तय नहीं हो सके। आईआईटी, एनआईटी से लेकर आईटीआई तक में पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक नहीं है। इस बारे में बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से सरकार को चेताया जा रहा है। अश्विनी विक्टर ने कहा कि तकनीकी शिक्षा मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने आश्वासन दिया है कि अति शीघ्र इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक तकनीकी संस्थानों के पाठ्यक्रम तय करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राणा गुरजीत की यह घोषणा प्रशंसनीय है, लेकिन इसे अति शीघ्र अमल में लाया जाना चाहिए।

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