13 स्किल सेंटर, 27 कोर्स, फिर भी इंडस्ट्री को फायदा नहीं

लॉकडाउन होने के बाद श्रमिकों की भारी किल्लत झेल रही जालंधर की इंडस्ट्री लगभग लॉक हुई ही नजर आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 01:18 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 01:18 AM (IST)
13 स्किल सेंटर, 27 कोर्स, फिर भी इंडस्ट्री को फायदा नहीं
13 स्किल सेंटर, 27 कोर्स, फिर भी इंडस्ट्री को फायदा नहीं

जागरण संवाददाता, जालंधर : लॉकडाउन होने के बाद श्रमिकों की भारी किल्लत झेल रही जालंधर की इंडस्ट्री लगभग लॉक ही नजर आ रही है। बाहरी राज्यों के अधिकतर श्रमिक वापस लौट गए हैं और पंजाब में अब ऐसे श्रमिक हैं जो अनस्किल्ड हैं। उनसे गुणवत्ता वाला काम लेना मुश्किल है।

इंडस्ट्री में श्रमिकों की किल्लत को दूर करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार की तरफ से प्रत्येक जिले में स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने की मुहिम चलाई थी। इसके तहत जालंधर में भी विभिन्न संस्थानों के जरिए 13 ऐसे ट्रेनिग संस्थान चल रहे हैं, जहां 27 तरह के कोर्स करवाए जाते हैं। इसके बावजूद इंडस्ट्री को स्किल्ड श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं। वीरवार को अपने जालंधर दौरे के दौरान उद्योगपतियों से मिलने पहुंचे प्रदेश के उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के समक्ष भी उद्योगपतियों ने ये मामला उठाया।

श्रमिकों को काम के दौरान बनाते हैं स्किल्ड : भसीन

उद्योग नगर मैन्यूफैक्चरिग एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजिदर सिंह भसीन ने कहा कि जालंधर की इंडस्ट्री योग्य श्रमिकों की दक्षता के मुताबिक उन्हें वेतन देने को तैयार हैं, लेकिन यहां से स्किल्ड श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं। इसके अलावा स्किल सेंटरों में मार्केट की जरूरत के मुताबिक फोर्स नहीं करवाए जा रहे हैं। मजबूरी में अनस्किल्ड श्रमिकों को काम के दौरान ही स्किल्ड बनाया जा रहा है। इससे इंडस्ट्री का समय खराब हो रहा है और श्रमिक को स्किल्ड बनाए जाने की प्रक्रिया में नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्किल सेंटरों को उद्योगपतियों से फीडबैक लेकर कोर्स डिजाइन किए जाने चाहिए।

स्किल्ड लेबर नहीं होने के कारण नहीं मिलती क्वालिटी : वर्मा

स्पो‌र्ट्स गुड्स मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव मुकुल वर्मा ने कहा कि तकनीक बदल चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्वालिटी को लेकर कड़ा संघर्ष किया जा रहा है। इंडस्ट्री को सबसे बड़ी परेशानी इस बात की है कि स्किल्ड श्रमिक ही उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। स्किल सेंटर तो चल रहे हैं, लेकिन इंडस्ट्री और स्किल सेंटर दो अलग राहों पर जाते दिखाई दे रहे हैं। इंडस्ट्री और मार्केट की जरूरत के मुताबिक स्किल डेवलपमेंट के ऊपर काम किए जाने की जरूरत है। जब तक स्क्रीन श्रमिक नहीं होंगे, तब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्वालिटी को लेकर कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा।

मार्केट में मांग के मुताबिक कोर्स करवाएं : अश्विनी विक्टर

विक्टर टूल्स के संचालक अश्विनी विक्टर ने कहा कि स्किल डवलपमेंट सेंटरों का इंडस्ट्री को कोई फायदा नहीं है। स्किल सेंटर काम तो कर रहे हैं, लेकिन जो नतीजे सामने आने चाहिए थे वो नहीं आ पाए हैं। मार्केट में रोजाना बदल रही तकनीक के मुताबिक स्किल सेंटरों में युवा तैयार किए जाने चाहिए। इंडस्ट्री श्रमिकों एवं स्किल्ड श्रमिकों की किल्लत से ही जूझती रहेगी तो उसका असर क्वालिटी एवं टाइमिग पर लगातार होता रहेगा। सरकार को स्किल्ड श्रमिक उपलब्ध करवाए जाने की जरूरत पर गंभीरता से सोचना चाहिए।

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