Personality of Jalandhar: एडवेंचर स्पोर्ट्स और समाजसेवा है आलोक सोंधी का शौक, परिवार ने स्थापित किए KMV और दोआबा कालेज जैसे शिक्षण संस्थान
आलोक सोंधी के परिवार का जालंधर से 14 पीढ़ियों से संबंध हैं। पूर्वजों ने हमेशा समाज सेवा को तवज्जो दी। आलोक भी उसी राह पर चल रहे हैं। उनका परिवार 100 साल से राय सालिग राम सोंधी चेरिटबल अस्पताल चला रहा है जहां रोजाना 200 मरीजों का इलाज होता है।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। आलोक सोंधी के परिवार का जालंधर से 400 साल से भी पुराना नाता है। उनके पूर्वज जलालाबाद, अफगानिस्तान से लड़ाई लड़ते-लड़ते जालंधर आए थे। जालंधर से इनके परिवार की 14 पीढ़ियों से ज्यादा के संबंध हैं। पूर्वजों ने हमेशा समाज सेवा को तवज्जो दी और स्वयं आलोक भी उसी राह पर चल रहे हैं। हमेशा अपनी कमाई का एक हिस्सा दूसरों की मदद व समाज सेवा में खर्च करने वाले आलोक सोंधी आज जिंदगी के 65 बसंत पार कर चुके हैं लेकिन फिटनेस के मामले में वह किसी युवा से कम नहीं हैं।
व्यायाम व एंडवेंचर स्पोर्ट्स को जिंदगी का अहम हिस्सा बनाकर चलने वाले आलोक के पूर्वजों ने जालंधर में कोट किशन चंद में किला बनवाया, उसे बसाया। आज भी यह इलाका इनके पूर्वजों के नाम पर जाना जाता है। इनका परिवार इस इलाके में 100 साल से ऊपर से राय सालिग राम सोंधी चेरिटबल अस्पताल चला रहा है। रोजाना 200 के करीब मरीजों का यहां इलाज होता है।
महिलाओं की शिक्षा में दिया अहम योगदान
राय सलिगराम व लाला देव राज सोंधी ने जालंधर के विकास में अहम योगदान दिया था। खास तौर पर जिस समय देश में महिलाओं को शिक्षित करने की परंपरा का हर जगह विरोध होता था। उस समय 1886 में कन्या महाविद्यालय व देव राज स्कूल जैसे शिक्षण संस्थान खोलकर महिलाओं को शिक्षित करने की सेवा शुरू की थी। देवराज स्कूल और कन्या महाविद्यालय लड़कियों के लिए उत्तर भारत की पहली और भारत वर्ष में अग्रणी संस्थाओं में से एक थी। यहां से पंजाब में लड़कियों को शिक्षित करने की परंपरा शुरू हुई। दोआबा कालेज भी 80 साल पहले सोंधी परिवार ने ही संस्थापित किया था। रायजादा हंसराज स्टेडियम भी इन्हीं के पूर्वज के नाम पर बनाया गया जो देश की आजादी के बाद पंजाब प्रांत से पहले मेंबर आफ पार्लियामेंट थे।
उनके परिवार ने आज़ादी की लड़ाई में बढ-चढ कर हिस्सा लिया और विद्या, संस्कृति तथा खेल के क्षेत्र में वषों से इनके परिवार का लगातार सहयोग जारी है। 1976 से पहले इंडस्टियल फोकल एरिया में इनके परिवार के खेत होते थे और कालेज में पढ़ाईं के साथ आलोक सोंधी कृषि का काम भी संभालते थे।
फिटनेस पर विशेष ध्यान
40 साल से ज्यादा समय से कंपनी में काम करने वाले आलोक फिटनेस का पूरा ध्यान रखते हैं। आलोक दवाइयों का इस्तेमाल न करने में यकीन रखते है। उनकी यही कोशिश रहती है कि हर मौसम में हर दिन एक से दो घंटे जागिंग, एक्सरसाइज और योग जरूर करें। यही वजह है कि आज भी वह किसी युवा से कम नहीं हैं। वो अपने परिवार को अपनी सफलता का श्रेय देते हैं। पहले आलोक सोंधी स्क्वैश और गोल्फ खेला करते थे और अब स्विमिंग, जागिंग और योग करते हैं। एडवेंचर स्पोर्ट्स पर्वतारोहण, स्कूबा डाइविंग, पैरासिलिंग व पैरा जंपिंग जैसे शौक रखने वाले आलोक शाकाहारी खाना पसंद करते हैं।
दुनिया घूमने का शौक
दुनिया को घूमने का शौक उन्होंने आज तक नहीं छोड़ा। चार महाद्वीप के देश घूम चुके आलोक का इरादा पांचवे कांटिनेंट एंटाकर्टिका जाने का है। अच्छी फोटोग्राफी का हुनर रखने वाले आलोक केदारनाथ से लेकर जगन्नाथ तक के धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण कर चुके हैं। अब योजना लेह तक बाइक से जाने की है। सरबत का भला को अपनी जिंदगी का मूल मंत्र मानकर चलने वाले आलोक जरूरतमंदों की मदद से लेकर समाज सेवा में कभी भी पीछे नहीं रहे। हमेशा सेवा कार्यो के लिए तत्पर रहते हैं।
पिता की कंपनी में पानी पिलाने और एकाउंट्स का काम किया
इनका जन्म देहरादून में हुआ। वहां इनके नाना मेजर आरएल चोपड़ा इंडियन मिलिटेरी अकेडमी के प्रमुख थे। उसके बाद जालंधर के लाडोवाली रोड स्थित गर्वमेंट माडल को-एजुकेशन स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद इन्हीं के परिवार द्वारा स्थापित दोआबा कालेज से बीकाम की पढाई पूरी की। दोआबा कालेज पहला कालेज था, जहां कामर्स की पढ़ाई शुरू हुई थी। दादी लक्ष्मी देवी, पिता बलबीर राज सोंधी व मा राजमोहिनी सोंधी ने हमेशा दूसरों की मदद के लिए प्रेरित किया। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले आलोक ने 11 साल की उम्र में पिता की कंपनी पीकेएफ फाइनेंस में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कंपनी में पानी पिलाने से लेकर एकाउंट्स तथा अन्य काम सीखे और उसके बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए।