करतारपुर के विवेक को लेकर हरकत में आई भारत सरकार, Jordan Embassy से किया संपर्क
विवेक इस समय जॉर्डन के अस्पताल में उपचाराधीन है। अस्पताल ने 2500 जॉर्डन डॉलर का बिल बनाया हुआ है। जॉर्डन सरकार विवेक के अभिभावकों से संपर्क कर उनसे बिल देने की मांग कर रही है।
करतारपुर [दीपक कुमार]। जॉर्डन में हुई एक दुर्घटना के घायल हुए करतारपुर के युवक विवेक का शहर की स्वयंसेवी एवं धार्मिक संस्थाओं ने समर्थन किया है। इन संस्थाओं ने भारत सरकार से विवेक की सहायता करने व उसे भारत लाने की अपील की है। विवेक इस समय जॉर्डन के अस्पताल में उपचाराधीन है। अस्पताल ने 2500 जॉर्डन डॉलर का बिल बनाया हुआ है। जॉर्डन की सरकार घायल विवेक के अभिभावकों से संपर्क कर उनसे बिल देने की मांग कर रही है। विवेक के पिता व शिव मंदिर के पुजारी प्रभुनाथ इस सम बेहद परेशान हैं। दैनिक जागरण की ओर से इस मामले को प्रमुखता से उठाया गया था, जिसका असर अब दिखने लगा है।
दमनवीर सिंह फिल्लौर ने ट्वीट कर भारत सरकार से मांगी सहायता
पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व विधायक सरवन सिंह फिल्लौर के बेटे दमन वीर सिंह फिल्लौर विवेक की सहायता के लिए आगे आए हैं। उन्होंने दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर की कटिंग के साथ ट्वीट कर भारत सरकार से विवेक की सहायता करने की मांग की है।
भारत सरकार ने जॉर्डन एंबेसी को टैग कर किया ट्वीट
वहीं दमन वीर सिंह फिल्लौर के ट्वीट को भारत सरकार ने रिट्वीट करते हुए जॉर्डन की एंबेसी को इस मामले को देखने की बात कही गई है।
पंडित प्रभुनाथ के समर्थन में उतरी करतारपुर की स्वयंसेवी एवं धार्मिक संस्थाएं
करतारपुर की स्वयंसेवी संस्था नेकी की दुकान, शिव मंदिर कमेटी, युवा ब्राह्मण सभा, श्री हरिनाम संकीर्तन मंडल, प्राचीन शिव मंदिर सेखड़िया मोहल्ला, मां भगवती सेवा सोसायटी इत्यादि विवेक के पिता प्रभुनाथ पांडे के साथ खड़ी हो गई हैं। उन्होंने भारत सरकार से करतारपुर के बेटे को इस मुसीबत की घड़ी से निकालने की अपील की है। इस अवसर पर दीपक दीपा, मास्टर अमरीक सिंह ,धीरज सक्सेना, अनिल शर्मा, दीपक कुमार, नीरज सूरी मौजूद थे।
गौर है कि स्थानीय शिव मंदिर पांधिया बाजार के पंडित प्रभुनाथ का बेटा कुछ वर्ष पहले जॉर्डन गया था। एक दुर्घटना में वह घायल हो गया और एक महीने से वहां के अस्पताल में उपचाराधीन है। वहां की सरकार अस्पताल का 25 सौ जॉर्डन डॉलर लगभग ढाई लाख रुपए जमा कराने की बात कही है। वहीं पंडित प्रभुनाथ पांडे का कहना है कि वह मंदिर में पूजा करके अपना पेट पालते हैं और इतने पैसे देना उनके लिए नामुमकिन है।
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