सूर्यकिरण टीम के विमान की जालंधर के आसमान में कलाबाजियां, पौन घंटे टकटकी लगा देखते रहे लोग

मंगलवार को लुधियाना के इस्सेवाल में फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए एयर मार्शल कृष्णा पहुंचे थे। इस मौके पर सूर्य किरण टीम की तरफ से एयर शो भी किया गया। अंदाजा लगाया जा रहा है कि वहां लौटते विमान ने कलाबाजियां दिखाई हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 03:58 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 04:16 PM (IST)
सूर्यकिरण टीम के विमान की जालंधर के आसमान में कलाबाजियां, पौन घंटे टकटकी लगा देखते रहे लोग
भारतीय वायु सेना की एरोबेटिक्स टीम सूर्य किरण के एक विमान ने महानगर के आसमान में कलाबाजियां दिखाईं। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जालंधर। भारतीय वायुसेना की विश्व प्रसिद्ध एरोबैटिक टीम सूर्य किरण के एक विमान की मंगलवार दोपहर बाद महानगर के आसमान में कलाबाजियां उत्सुकता का केंद्र बनी रहीं। दोपहर 1:45 बजे के करीब आसमान में लाल रंग के हॉक एमके 132 विमान की कलाबाजियों ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। विमान लगभग पौने घंटे तक महानगर के विभिन्न हिस्सों के ऊपर से उड़ान भरता रहा और बीच-बीच में तीखे मोड़ लेकर और कभी धुआं छोड़ते हुए निकलता रहा।

भारतीय वायुसेना की सूर्य किरण टीम पंजाब में बेस्ड नहीं है, लेकिन मंगलवार को लुधियाना के इस्सेवाल में फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए एयर मार्शल कृष्णा पहुंचे थे। इस मौके पर सूर्य किरण टीम की तरफ से एयर शो भी किया गया। सूर्य किरण एरोबैटिक टीम के पंजाब में होने के चलते अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद यही टीम एयर फोर्स स्टेशन आदमपुर पहुंची होगी। इसी का एक विमान महानगर के आसमान पर कलाबाजियां करता नजर आया।

देश आज मना रहा है फ्लाइंग अफसर निर्मलजीत सेखों का बलिदान दिवस

फ्लाइंग अफसर निर्मलजीत सिंह सेखों की याद में मंगलवार को लुधियाना के इस्सेवाल गांव में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें एयर मार्शल बीआर कृष्णा विशेष तौर पर उपस्धित हुए। उन्होंने गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भारत के शूरवीर की प्रतिमा का अनावरण किया। बता दें कि फ्लाइंग अफसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने 14 दिसंबर, 1971 को भारत-पाक युद्ध के दौरान कश्मीर स्थित श्रीनगर एयरबेस की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। उन्होंने बेस पर आक्रमण करने वाले दुश्मन के दो विमानों को मार गिराया था। तीसरे को निशाना बनाते समय वे वीरगति को प्राप्त हो गए थे। अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।  

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