यह है पंजाब की हाकी नर्सरी, 93 सालों से तैयार हो रही प्रतिभाओं की पौध, 14 ओलंपियन देने वाले गांव में सूखने लगी खेल की 'फसल''

जालंधर कैंट से संसारपुर गांव को जाने वाली सड़क के किनारे बने हाकी मैदान में होनहार खिलाड़ी खासी उमस में पसीना बहा रहे थे। गोल करने के लिए बेताब यह खिलाड़ी घास के मैदान में एक-दूसरे की टीम को कांटे की टक्कर देने में लगे थे।

By Edited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:37 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:45 AM (IST)
यह है पंजाब की हाकी नर्सरी, 93 सालों से तैयार हो रही प्रतिभाओं की पौध, 14 ओलंपियन देने वाले गांव में सूखने लगी खेल की 'फसल''
गांव संसारपुर के हाकी मैदान में होनहार खिलाड़ी । (जागरण)

जालंधर, [प्रियंका सिंह]। बुधवार शाम के पांच बजे का समय। जालंधर कैंट से संसारपुर गांव को जाने वाली सड़क के किनारे बने हाकी मैदान में होनहार खिलाड़ी खासी उमस में पसीना बहा रहे थे। गोल करने के लिए बेताब यह खिलाड़ी घास के मैदान में एक-दूसरे की टीम को कांटे की टक्कर देने में लगे थे। यह वही संसारपुर है जिसने देश को हाकी की इसी नर्सरी से 14 ओलिंपियन दिए हैं।

अब जब दुनिया भर में टर्फ पर हाकी खेलने की सुविधा नौनिहालों को दी जा रही है तो यहां के खिलाड़ी घास के मैदान में तपकर व तराश कर टर्फ पर खेलने वालों का मुकाबला करने के लिए कोचों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। 93 साल पहले 1928 से संसारपुर में हाकी खेलने की शुरुआत की गई थी।

संसारपुर में पूर्ण रूप से तैयार हाकी ग्राउंड नहीं है। इसके चलते अब हाकी संसारपुर से निकलकर सुरजीत हाकी स्टेडियम व मिट्ठापुर स्थित केपी स्टेडियम तक का सफर कर चुकी है। मौजूदा टीम इंडिया में जालंधर से खेल रहे मनप्रीत व मनदीप सहित चार खिलाड़ी मिट्ठापुर की नर्सरी से निकले हैं। अगर हालात यही रहे तो आने वाले समय में हाकी के मक्का मदीना का ताज भी संसारपुर से छिन सकता है। संसारपुर के ओलिंपियन कई दशकों से सरकार से टर्फ हाकी ग्राउंड की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक यह मांग पूरी नहीं हुई है।

ये हैं संसारपुर के ओलंपियन। गांव में लगी ओलंपियन खिलाडिय़ों की सूची।

सरकार संसारपुर में हाकी की टर्फ ग्राउंड बनाएं 

गुरिंदर सिंह टोक्यो 1964 के गोल्ड मेडलिस्ट और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित सरदार जगजीत सिंह जगा के बेटे गुरिंदर का कहना है कि वह कई सालों से टर्फ ग्राउंड की मांग कर रहे हैं। टर्फ की एक छोटी सी ग्राउंड बनाई तो गई है जिसमें मुश्किल से आठ या 10 बच्चे एक साथ अभ्यास कर सकते हैं। ऐसे ग्राउंड का क्या फायदा। एक पूर्ण ग्राउंड मिलनी चाहिए।

पिता ओलंपिक मेडलिस्ट स. जगजीत सिंह के मेडल दिखाते गुरिंदर सिंह अपनी माता सुरिंदर कौर के साथ।

आशा है टोक्यो में खिलाड़ी मेडल जीतेंगे। पिता-पुत्र बच्चों को सिखा रहे हाकी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी कुलवंत सिंह व उनके पिता जोगिंदर सिंह यहां बच्चों को हाकी सिखाते हैं। कुलवंत का कहना है कि अगर सरकार हाकी के अच्छे खिलाड़ी चाहती है तो उन्हें संसारपुर में टर्फ मैदान बना कर देने की जरूरत है। यहां पर खिलाड़ियों की कमी नहीं है केवल ग्राउंड की कमी है। उनका कहना है कि मनप्रीत अच्छा दोस्त है।

ये हैं संसारपुर के ओलिंपियन

गुरमीत सिंह कुलार (1932) बलवीर सिंह कुलार (1968) हरदेव सिंह कुलार (1956 -1960) गुरदेव सिंह कुलार (1956) दर्शन सिंह कुलार (1964) बलवीर सिंह कुलार (1964,1968) ऊधम सिंह कुलार (1952,1956,1960,1964) अजीत पाल सिंह कुलार (1968-1972) तरसेम सिंह कुलार (1968) जगजीत सिंह कुलार (1968) जगजीत सिंह कुलार (1964-1968) हरविंदर सिंह कुलार (1984) बिंदी कुलार (2000-2008) हरदयाल सिंह कुलार (1968)

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