अवैध कॉलोनियों पर सुनवाई 16 को, 100 से ज्यादा पर नहीं हुई कार्रवाई Jalandhar News
हाई कोर्ट ने 448 कॉलोनियों और निर्माणों पर अलग-अलग 11 नवंबर को रिपोर्ट मांगी थी लेनिक सोमवार को छुंट्टी होने के कारण अब इसकी सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
जालंधर, जेएनएन। अवैध कॉलोनियों और निर्माण पर हाई कोर्ट में अब 16 नवंबर को सुनवाई होगी। आरटीआइ एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह ने 448 कॉलोनियों और इमारतों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। इसमें जिला प्रशासन और नगर निगम को पार्टी बनाया गया है। हाई कोर्ट ने 448 कॉलोनियों और निर्माणों पर अलग-अलग 11 नवंबर को रिपोर्ट मांगी थी, लेनिक सोमवार को छुंट्टी होने के कारण अब इसकी सुनवाई 16 नवंबर को होगी। पिछली सुनवाई पर नगर निगम ने 281 पर रिपोर्ट दे थी और 167 यूनिट्स पर स्टाफ की कमी होने के कारण कार्रवाई न कर पाने का हवाला दिया था।
निगम की रिपोर्ट पर 16 नवंबर को हाईकोर्ट जवाब मांग सकता है। स्टाफ की कमी के हवाले पर कोर्ट से सख्ती की संभावना को देखते हुए निगम ने तीन दिन तक कार्रवाई की है। करीब 40 शिकायतों पर एक्शन हो चुका है। 25 से 30 शिकायतों को निगम वन टाइम सेटलमेंट योजना में दिखाने की तैयारी में है। इसके बावजूद अब भी करीब 100 शिकायतों पर कार्रवाई पें¨डग है। इन पर जवाब देना निगम के लिए मुश्किल होगा। शपथपत्र लेकर सील की इमारतों को खोलने पर भी हाईकोर्ट पहले ही सख्त है। इसी कारण निगम ने कई इमारतों और कॉलोनियों पर कार्रवाई की है।
कॉलोनी रेगुलर करने के आवेदनों का समय खत्म, रिस्पांस नहीं मिला
अवैध कॉलोनियों को रेगुलर करने के लिए आई पॉलिसी के तहत आवेदन देने का समय 31 अक्टूबर को खत्म हो गया है। कोर्ट में याचिकाकर्ता यह मामला उठाएंगे कि अगर कॉलोनाइजरों ने आवेदन नहीं किया है तो उन पर क्या कार्रवाई की गई। आरटीआइ एक्टिविस्ट सिमरनजीत ¨सह का कहना है कि निगम अफसर कई लोगों को बचा रहे हैं। जिन इमारतों पर कार्रवाई नहीं करनी है उन्हें वन टाइम सेटलमेंट स्कीम में दिखा कर कार्रवाई को लंबा खींच रहे हैं।
रेगुलराइजेशन की अर्जी देने वाली कॉलोनियों की जांच की अपील
सिमरनजीत सिंह ने हाई कोर्ट में नई अर्जी देकर अपील की है कि जिन 25 कॉलोनियों ने रेगुलराइजेशन के लिए आवेदन किया है उन कॉलोनियों की इंस्पेक्शन करवाई जाए। इस अर्जी पर 13 नवंबर को सुनवाई होगी। सिमरनजीत सिंह ने कहा कि जो कॉलोनियों रेगुलर की जानी हैं उनकी जांच जरूरी है। यह पता लगना चाहिए कि वे रेगुलर हो सकती हैं या नहीं। क्या यह कॉलोनियां पॉलिसी की शर्त पूरी करती हैं। सिमरनजीत सिंह ने कहा कि इसके लिए उन्हें कोर्ट की शरण इसलिए लेनी पड़ी है क्योंकि इससे पहले उन्होंने निगम से मांग की थी कि कॉलोनियों की इंस्पेक्शन करवाई जाए लेकिन निगम ने ऐसा नहीं किया।
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