प्रशासन जिम्मेदारी दे तो सामाजिक संगठन भी मदद को तैयार

कोरोना के प्रकोप ने कई घरों को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया। सामाजिक संगठनों ने कहा कि अगर प्रशासन इजाजत दे तो वो ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 05:21 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 05:21 AM (IST)
प्रशासन जिम्मेदारी दे तो सामाजिक संगठन भी मदद को तैयार
प्रशासन जिम्मेदारी दे तो सामाजिक संगठन भी मदद को तैयार

शाम सहगल, जालंधर

कोरोना के प्रकोप ने कई घरों को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया। खासकर उन परिवारों के लिए कोरोना कहर बनकर बरपा जिन परिवारों से कमाकर घर चलाने वाला सदस्य ही इसका शिकार हो गया था। इसके अलावा उन बच्चों को भी कोरोना ने दर्द दिया, जिनके माता या पिता या फिर दोनों की ही ही इससे मौत हो गई। हालांकि, जिला प्रशासन ऐसे बच्चों को अपनाने तक को तैयार है, लेकिन शहर में ऐसे आठों बच्चों के रिश्तेदार व ग्रैंड पेरेंट्स ने उनकी देखभाल करने का फैसला ले लिया है। इसके चलते उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा शहर में बनाए गए सात सेंटरों में बच्चों को भेजना बेहतर नहीं समझा। उधर शहर में सक्रिय सामाजिक संगठन इसके लिए मदद देने को तैयार बैठे हैं। उनका कहना है कि अगर जिला प्रशासन उन्हें मौका देता है तो वह इससे पीछे नहीं हटेंगे। अपाहिज आश्रम में पहले से दी जा रहीं सेवाएं

अपाहिज आश्रम डीएवी कालेज रोड के चेयरमैन तरसेम कपूर बताते हैं कि यहां पर पहले से ही अपनों के ठुकराए लोगों को आश्रय दिया जा रहा है। ऐसे में अगर जिला प्रशासन कोरोना के कारण अनाथ बच्चों को सेवाएं देने का अवसर देता है तो वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यहां पर उन्हें मूलभूत सुविधाएं देने के साथ-साथ रहने और खाने-पाने की भी व्यवस्था की जाएगी। सिख तालमेल कमेटी शिक्षा का खर्च उठाने को तैयार

सिख तालमेल कमेटी के तेजिदर सिंह परदेसी व हरपाल सिंह चड्ढा बताते हैं कि जिला प्रशासन अगर इजाजत दे तो कोरोना के दौरान अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने को तैयार है। इसके अलावा उन्हें रोजगार दिलाने के लिए संस्था की तरफ से पूरी व्यवस्था की जाएगी। कोरोना काल के दौरान भी गरीब और जरूरतमंद लोगों को सेवाएं दी जाती रही हैं। इस बार अवसर मिला तो बच्चों को भी सेवाएं देंगे।

अनाथ बच्चों की देखरेख करना नैतिक जिम्मेदारी

अखिल भारतीय शिवसेना राष्ट्रवादी के नेता मुनीष बाहरी ने कहा कि अनाथ बच्चों की मदद व देखरेख करना हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। खासकर सामाजिक संगठनों को तो इसके लिए सबसे पहले आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन अनाथ बच्चों की मदद के लिए उन्हें जिम्मेदारी देता है तो संगठन इसके लिए तैयार है। वो ऐसे बच्चों की हर तरह से मदद करेंगे, ताकि उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो।

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