कारगिल के शहीद की पत्नी की कोरोना से मौत, शव न देने पर जालंधर के निजी अस्पताल में हंगामा

मुकेरियां के प्रदीप ने बताया कि करीब एक माह पहले उनकी मां राज कुमारी की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें मान मेडिसिटी अस्पताल में दाखिल करवाया था। रविवार को उनकी मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन शव सौंपने में आनाकानी करने लगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 03:24 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 03:24 PM (IST)
कारगिल के शहीद की पत्नी की कोरोना से मौत, शव न देने पर जालंधर के निजी अस्पताल में हंगामा
जालंधर में मान मेडिसिटी अस्पताल के बाहर हंगामा करते हुए लोगों को शांत करवाती हुई पुलिस।

जालंधर, जेएनएन। कोरोना के मरीजों की मौत स्वजनों गुस्सा भड़क रहा है। रविवार को नकोदर रोड स्थित मान मेडिसिटी अस्पताल में कारगिल के शहीद की पत्नी की कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद शव न देने पर स्वजनों ने जमकर हंगामा किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत किया। इस बीच स्वजनों ने पुलिस के साथ गहमा गहमी भी की। उधर, अस्पताल प्रबंधन ने सभी आरोप नकारते हुए कहा कि एक्स-सर्विसमैन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) का मरीज होने की वजह से सरकारी कार्रवाई पूरी करने के बाद शव परिजनों को सौंपा गया है।

मुकेरियां के प्रदीप ने बताया कि करीब एक माह पहले उनकी मां राज कुमारी की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें मान मेडिसिटी अस्पताल में दाखिल करवाया था। उन्हें ईसीएचएस के तहत अस्पताल में भर्ती कर इलाज करवाया गया। अस्पताल ने टेस्ट करवाए परंतु उन्हें कोई भी रिपोर्ट न देने के आरोप लगाए। मरीज ठीक होने के बाद उसे बीपी व दस्त लगने पर उसका कोरोना वार्ड में इलाज किया। रविवार सुबह मां की मौत हो गई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन शव देने में आनाकानी करने लगा।

पिता कारगिल युद्ध में हुए थे शहीद

प्रदीप ने बताया कि पिता कारगिल की लड़ाई में शहीद हो गए थे। प्रदीप ने अस्पताल के सुरक्षा कर्मी गुरप्रीत पर दुर्व्यवहार तथा शव न देने के आरोप लगाए। उन्होंने अस्पताल पर उनके कोटे में आए टीके दूसरे मरीजों को देने के भी आरोप लगाए। साथ ही, अस्पताल में पीपीई किट की बिक्री में घालमेल करने की बात कही। प्रदीप दावा किया कि अस्पताल का स्टाफ बिना मास्क और दस्ताने पहने मरीजों का इलाज कर रहा है। इससे दूसरे लोगों को भी कोरोना संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। हंगामे के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत किया। 

अस्पताल प्रबंधन ने सभी आरोप नकारे, कहा- स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना जरूरी

अस्पताल के डा. जेएस मान का कहना है कि 29 दिन तक मरीज का इलाज कर उसे ठीक किया गया। देर रात उनकी आक्सीजन सैच्यूरेशन कम हो गई और हार्ट अटैक आ गया।। मरीज को तुरंत वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया लेकिन डाक्टर प्रयासों के बावजूद उसे बचा नहीं पाए। उन्होंने तमाम आरोपों को नकारा है। ईसीएचएस का रेफर मरीज होने की वजह से उन्हें स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना पड़ता है। कागजी कार्रवाई कर सेहत विभाग की नीतियों के अनुसार शव घरवालों को सौपा गया। इस बाबत मरीज के परिजनों को पहले ही सूचित किया गया था।

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