स्वदेशी पर असमंजस, कैंटीन में विदेशी उत्पाद 'जिदाबाद'
स्वदेशी और विदेशी की परिभाषा को लेकर फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्रालय असमंजस में घिरा हुआ नजर आ रहा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : स्वदेशी और विदेशी की परिभाषा को लेकर फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्रालय असमंजस में ही घिरा नजर आ रहा है। अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीन के रैक में तो विदेशी कंपनियों का सामान ही अपना वर्चस्व दिखा रहा है। मेक इन इंडिया जैसे स्लोगन न तो यहां अधिकारियों के जहन में है और न ही खरीदारों का इस ओर कोई ध्यान है। यहां मौजूद जूतों से लेकर जूस, साबुन, शैंपू एवं डिओडरेंट भी विदेशी कंपनियों की ओर से ही निर्मित हैं।
हिदुस्तान यूनीलीवर, नेस्ले, कोलगेट पामोलिव, प्रॉक्टर एंड गैंबल, एडिडास, रीबॉक आदि ऐसी ढेरों विदेशी कंपनियां हैं, जिनके उत्पाद बीते लंबे अरसे से कैंटीन में मौजूद हैं। यहीं नहीं, इन कैंटीनों में विदेशी कंपनियों की भागीदारी वाली शराब भी उपलब्ध करवाई जा रही है। लाइसेंस के अधीन विदेशों से आने वाली शराब को देश में ही बोतलबंद किया जा रहा है। खास यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय भी स्वदेशी को लेकर असमंजस में है। जब विदेशी उत्पादों को सूचीबद्ध कर उनकी जगह देसी उत्पाद लाने का नियम बनाने की कवायद जारी थी, ठीक उसी समय इन विदेशी कंपनियों को कैंटीनों की मैनेजमेंट की तरफ से करोड़ों के ऑर्डर दिए जा रहे थे। इसके लिए बकायदा पेमेंट भी की गई।
पंजाब में निर्देश मिलने से पहले ही वापस ले ली सूची
पंजाब में अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीनों में स्वदेशी उत्पाद संबंधी केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पहुंचे ही नहीं थे और उससे पहले ही मंत्रालय ने इन विदेशी उत्पादों की सूची को वापस ले लिया। इन सब देशभर में छिड़ी चर्चा के बावजूद अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीनों में विदेशी कंपनियों के उत्पाद की बिक्री में कोई गिरावट नहीं है।