Omicron : जालंधर में 12 दिनों में 209 लोग आ चुके हाई रिस्क देशों से, मोबाइल पर हो रही होम आइसोलेशन की निगरानी

जालंधर में विदेश से आने वाले लोगों पर पैनी नजर रखने के लिए सेहत विभाग को सौंपी गई जिम्मेवारी मोबाइल फोन से संपर्क तथा कागजी रिपोर्टों में सिमट कर रह गई है। ओमीक्रोन कोरोना वायरस से बचाव के लिए विदेश से आने वाले लोग ही कारण बन सकते है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 09:07 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 10:29 AM (IST)
Omicron : जालंधर में 12 दिनों में 209 लोग आ चुके हाई रिस्क देशों से, मोबाइल पर हो रही होम आइसोलेशन की निगरानी
जालंधर में 12 दिनों में 209 लोग हाई रिस्क देशों से आ चुके हैं।

जालंधर [जगदीश कुमार]। विदेशों में फैले कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की दहशत जिले में पूरी तरह फैल चुकी है। विदेश से आने वाले लोगों पर पैनी नजर रखने के लिए सेहत विभाग को सौंपी गई जिम्मेवारी मोबाइल फोन से संपर्क तथा कागजी रिपोर्टों में सिमट कर रह गई है। दो साल पहले भी जिला व पुलिस प्रशासन तथा सेहत विभाग में तालमेल के अभाव के चलते विदेश से आने वाले लोगों की वजह कोरोना वायरस ने डेढ़ साल तक लोगों को खून के आंसू रुलाएं। इस बार ओमीक्रोन कोरोना वायरस से बचाव के लिए विदेश से आने वाले लोग ही कारण बन सकते है। सेहत विभाग स्टाफ की कमी का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहा है और अन्य विभाग सारी जिम्मेवारी सेहत विभाग के कंधे पर डाल कर खुद की जिम्मेवारी से कन्नी कतरा रहे है। वहीं विदेश से आने वाले कुछ लोग सहयोग करने से पीछे हट रहे है।

सेहत विभाग ने 22 नवंबर से हाई रिस्क देशों से आने वाले लोगों की सूची खंगालनी शुरू कर दी है। इस दौरान विभाग को 209 लोग ऐसे मिले है जो हाई रिस्क देशों से जिले में पहुंचे है। इनमें से केवल एक ही व्यक्ति का आरटीपीसीआर सेंपल लिया गया है। विभाग ने 16 लोग ऐसे ढूंढे है जिनके शनिवार को सेंपल लिये जाएंगे। दो दिन पहले सेहत विभाग की ओर से जिले के तमाम एसएमओज को अलर्ट किया गया था। इसके बाद संबंधित इलाकों में विदेश से आए लोगों की सूची भेजी गई। विभाग के ज्यादातर मुलाजिमों ने मोबाइल फोन पर ही ट्रेस कर अपनी रिपोर्ट विभाग को भेजनी शुरू कर दी है। टीम के सदस्य उनके घर में जाकर उन्हें सात दिन के लिए आईसोलेशन में है या नही देखने के लिए नही पहुंच रहे है। जमीनी हकीकत देखी जाए तो विभाग का संपर्क करने से पहले विदेश से आए लोग अपने रिश्तेदारों तक बाजारों में घूम चुके है। जो खतरे की घंटी बन सकते है। आईसोलेशन अवधि के दौरान भी कुछ लोगों की मनमानी सामने आ रही है और मामले के समाधान को लेकर सेहत विभाग असहाय है।

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन की हड़ताल आ रही आड़े

ओमीक्रोन का खतरा मंडरा रहा है और नेशनल हेल्थ मिशन के बैनर तले तैनात स्टाफ हड़ताल पर बैठा। ठेके पर तैनात मुलाजिमों की वजह से वैक्सीन का काम पहले ही प्रभावित हो रहा है। इसके बाद विदेश से आने वाले लोगों को ट्रेस करने के लिए स्टाफ की कमी आड़े आने लगी है. मुलाजिम मांगे पूरी होने पर ही काम पर वापिस आने को लेकर अड़े हुए है। इन हालात में मरीजों के बढ़ने की आशंका जाहिर की जा रही है।

विदेश से आए लोग नहीं कर रहे सहयोग

हाई रिस्क देशों से आने वाले कुछ लोग सेहत विभाग का सहयोग नही कर रहे है। एक व्यक्ति से सेहत विभाग की टीम ने संपर्क किया तो उसने होम आइसोलेशन तथा नीतियों की पालना करने से साफ इंकार कर दिया । मामले को विभाग की टीम के साथ गहमा गहमी भी की। वहीं कुछ लोग एयर पोर्ट पर गलत सूचना देकर गुमराह कर रहे है। वह पता और फोन नंबर की सूचना की बजाय दूसरी जगह पर रह रहे है। इसी वजह से कई लोग ट्रेस भी नही रहे है। ऐसे लोगों की वजह से ओमीक्रोन के खतरे को कम पाना असंभव है।

मुलाजिमों की कमी आ रही आड़े

डेंगू के बाद कोरोना पर काबू पाने के लिए स्टाफ की कमी आड़े आने लगी है। विभाग के शहर में 14 फील्ड वर्कर डेपुटेशन पर जिला गुरदासपुर या फिर अधिकारियों की तिमारदारी में लगे है। एनएचएम का स्टाफ हड़ताल की वजह से काम नही कर रहा है। मामले को लेकर लोगों से संपर्क करने से रिपोर्ट तैयार कर चंडीगढ़ तक भेजने के लिए स्टाफ की कमी से जूझना पड़ रहा है. स्टाफ की कमी को दूर सेहत विभाग के आला अधिकारियों के साथ पत्राचार के बावजूद नतीजे ढाक के तीन पात।

यह है नीतियां

हाई रिस्क देशों से आने वालों के एयर पोर्ट पर आरटीपीसीआर सेंपल लिये जाएंगे है. इनमें से पाजिटिव आने वालों को वहीं आईसोलेट कर लिया जाएगा। जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आएगी। उनकी पूरी जानकारी लेने के बाद उन्हें घर भेज दिया जाएगा.उनकी जानकारी संबंधित राज्य सरकार के माध्यम से सेहत विभाग को भेजी जाएगी। विदेश से आए लोगों को सात दिन के लिए होम आईसोलेट किया जाएगा। इस दौरान सेहत विभाग की टीमें उनके संपर्क में रहेगी. आठवें दिन उनका आरटीपीसीआर सेंपल लेकर जांच की जाएगी। पाजिटिव आने पर उसे इलाज के लिए शिफ्ट किया जाएगा। इसके बाद उसका सेंपल जीनोसिक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा। अगर पाजिटिव आया तो नीतियों के अनुसार नए वेरिंएट के इलाज की नीतियों की पालना की जाएगी। इसके साथ उनके संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों के सेंपलों की जांच की जाएगी.अगर नेगेटिव आते है तो वह अगले सात दिन तक खुद अपने स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे और तबीयत खराब होने पर सेहत विभाग को सूचित करेंगे।

इन देशों से आने वाले लोगों पर रहेगी कड़ी निगरानी

साउथ आफ्रिका

ब्राजील

बोट्सवाना

चीन

मारिश्यस

न्जीलैंड

जिम्वाबे

सिंगापुर

हांगकांग

इजराइल

यूके सहित यूरोपियन देश

कोरोना को लेकर काफी गंभीर स्थिति पैदा होने लगी: डा. रणजीत

सिविल सर्जन डा. रणजीत सिंह ने कहा कि कोरोना को लेकर काफी गंभीर स्थिति पैदा होने लगी है. हाई रिस्क देशों से आने वाले लोगों की ट्रेसिंग की जा रही है। लोगों पर निगरानी रखने के लिए रेपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है. जो लोग ट्रेस नही होते या फिर सहयोग नही करते है विभाग को ओर से मामला पुलिस को सौंप दिया जाता है। हड़ताल और विभाग के मुलाजिमों की कमी के बावजूद टीमें काम में जुटी हुई है। लोगों के सहयोग से कोरोना के नए वेरिएंट पर काबू पाया जा सकता है। जिले में 22 नवंबर से 209 लोग हाई रिस्क देशों से पहुंच चुके है। उनमें से 16 लोग नीतियों के अनुसार सेंपल देने के योग्य है। एक व्यक्ति का सेंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया है. वहीं अस्पतालों में आइसोलेशन के भी प्रबंध किए जा रहे है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोरोना अभी खत्म नही हुआ है। कोरोना से बचाव के लिए लोगों को मुंह पर मास्क, दो मीटर की शरीरिक दूरी तथा बार बार हाथ धोने के अलावा कोरोना के शुरूआती लक्षण आते ही जांच करवा खुद को आईसोलेट कर दूसरे लोगों को बीमारी की चपेट में आने से बचाए।

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