निगम एक्शन नहीं ले सकता तो सरकार इसे भंग क्यों नहीं कर देती
जागरण संवाददाता जालंधर अवैध बिल्डिगों और कॉलोनियों की जनहित याचिका के मामले में नगर निगम की शनिवार को पेश की गई स्टेट्स रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने नगर निगम की वर्किंग पर नाराजगी जताते हुए यहां तक कह डाला कि अगर नगर निगम एक्शन नहीं ले पा रहा तो सरकार इसे भंग क्यों नहीं कर देती है। हाईकोर्ट ने नगर निगम की सीलिग की कार्रवाई को भी खानापूर्ति बताया और कहा कि सिर्फ कागजी कार्रवाई से बात नहीं बनेगी नगर निगम को यह बताना होगा कि उन्होंने असल में क्या एक्शन लिया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम को दो हफ्ते की मोहलत दी है और कहां है कि तीन दिसंबर को नगर निगम का सीनियर अफसर अवैध निर्माण पर कार्रवाई की योजना और तथ्यों के साथ एफिडेविट दे और बताए अवैध निर्माण और कालोनियों पर क्या कार्रवाई होगी।
जागरण संवाददाता, जालंधर
अवैध इमारतों और कॉलोनियों को लेकर नगर निगम द्वारा हाई कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने निगम की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए यहां तक कह डाला कि अगर नगर निगम एक्शन नहीं ले पा रहा तो सरकार इसे भंग क्यों नहीं कर देती है? निगम की सीलिग की कार्रवाई को खानापूर्ति बताते हुए कोर्ट ने कहा कि सिर्फ कागजी कार्रवाई से बात नहीं बनेगी, नगर निगम को यह बताना होगा कि उसने असल में क्या एक्शन लिया है।
हाई कोर्ट ने नगर निगम को दो हफ्ते का समय देते हुए कहा है कि तीन दिसंबर को नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी अवैध निर्माण पर कार्रवाई की योजना और तथ्यों के साथ हलफनामा देकर बताएं कि अवैध निर्माण और कॉलोनियों पर क्या कार्रवाई होगी? कोर्ट ने यह भी कहा कि 25 लोगों ने इमारतें रेगुलर करवाने के लिए अप्लाई किया है इसे माना जा सकता है लेकिन शेष अवैध निर्माण पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
आरटीआइ एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह द्वारा शहर में अवैध कॉलोनियां बनाए जाने और अवैध इमारतों को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने 448 कॉलोनियों और इमारतों की लिस्ट लगाई गई है। उनकी तरफ से एडवोकेट हरिदर पाल सिंह ईशर केस की पैरवी कर रहे हैं।
-- कोर्ट ने कहा सीलिग करना एक्शन नहीं है
नगर निगम के अधिकारियों ने हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि पिछले दिनों में अवैध इमारतों की सीलिग की गई है। निगम ने खबरों की कटिग भी कोर्ट में पेश की लेकिन कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इमारतों को सील करना कोई कार्रवाई नहीं है, यह केवल दिखावा है। नगर निगम बताए कि किस इमारत पर क्या एक्शन हुआ है? इससे पहले निगम अधिकारियों ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करके कार्रवाई के लिए लंबा समय देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस समय एडवोकेट जनरल मौजूद नहीं हैं और कोई भी अथॉरिटी न होने के कारण कार्रवाई के लिए और समय चाहिए। कोर्ट ने इससे साफ इंकार कर दिया और स्टेटस रिपोर्ट पर भी असहमति जताई। हाई कोर्ट इस मामले में निगम को पहले भी फटकार लगा चुका है।
-- अब आगे क्या.
अवैध इमारतों पर कार्रवाई अब लटकाना मुश्किल होगा
हाई कोर्ट की फटकार के बाद अब नगर निगम के लिए अवैध इमारतों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना मजबूरी बन जाएगा। निगम को या तो इन इमारतों को गिराना होगा या फिर इन्हें रेगुलर करने के लिए तय नियमों के अनुसार काम करना होगा। अब तक नगर निगम राजनीतिक दबाव में कई इमारतों पर कार्रवाई करने से बचता रहा है लेकिन निगम के लिए दोबारा ऐसा करना मुश्किल रहेगा।
-- वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी न होने से भी परेशानी
पंजाब सरकार की अवैध इमारतों को रेगुलर करने की वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी भी लटकी हुई है। सरकार ने जो पॉलिसी जारी की थी वह काफी महंगी थी और रिस्पांस न आने पर इसमें बदलाव के लिए सुझाव लिए गए थे। सुझाव लिए भी करीब चार महीने हो गए हैं लेकिन अभी तक सरकार दोबारा पॉलिसी जारी नहीं कर पाई है। अगर जल्द पॉलिसी जारी न हुई तो निगम को मजबूरन कई इमारतों पर कार्रवाई करनी पड़ सकती है।
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