जालंधर में मां बगलामुखी हवन यज्ञ में बोले नवजीत भारद्वाज- नवदुर्गा के नौ स्वरूप पूजने से मिलते हैं विविध फल

जालंधर में मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मा पिंड चौक होशियारपुर रोड पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया। नवजीत भारद्वाज ने सभी मां भक्तों को चल रहे पावन नवरात्रों की बधाई दी

By Vinay KumarEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 11:25 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 11:25 AM (IST)
जालंधर में मां बगलामुखी हवन यज्ञ में बोले नवजीत भारद्वाज- नवदुर्गा के नौ स्वरूप पूजने से मिलते हैं विविध फल
जालंधर में मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया।

जालंधर, जेएनएन। मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मा पिंड चौक होशियारपुर रोड पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया। सबसे पहले पं. अविनाश गौतम एवं पं. पिंटू शर्मा ने नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी जी के निमति माला जाप कर मुख्य यजमान समीर कपूर से सपरिवार पूजा-अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं। यज्ञ में उपस्थित मां भक्तों को आहुतियां डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने सभी मां भक्तों को चल रहे पावन नवरात्रों की बधाई दी एंव तीसरे नवरात्र पर मां चंद्रघंटा की पूजा बारे अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि आज यानि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, मां का यह रूप सुंदर, मोहक और अलौकिक है, मां चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं, ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में अद्वितीय व अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है। नवजीत भारद्वाज ने कहा कि मां का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है, इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है, इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है, इनके दस हाथ हैं, इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं, इनका वाहन सिंह है, इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है।

उन्होंने कहा कि कैलाश पर्वत के निवासी भगवान शिव की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है। इसके अलावा भी मां के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेरांवाली आदि, लेकिन सबमें सुंदर नाम तो मां ही है। उन्होंने कहा कि नवदुर्गा के नौ स्वरूप पूजने से विविध फल मिलते हैं। हवन यज्ञ के दौरान सोशल डिस्टेंस एवं सैनेटाइजेशन का खास ध्यान रखा गया। इस अवसर पर विक्रम भसीन, अमरेंद्र कुमार शर्मा, अश्विनी शर्मा, संजीव शर्मा, मुकेश चौधरी, गुरबाज सिंह, शैंकी, संजीव सांवरिया, मुनीश शर्मा, रोहित बहल, यज्ञदत्त, पंकज, मंजीत सैनी,राजेश महाजन, मानव शर्मा, बावा खन्ना, मोहित बहल, विकास अग्रवाल, राजीव, दिशांत शर्मा,अशोक शर्मा, राकेश, ठाकुर बलदेव सिंह, प्रवीण, दीपक, सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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