Guru Purnima 2021: महर्षि वेद व्यास से जुड़ा है गुरु पूर्णिमा का इतिहास, इस बार स्वार्थ सिद्धि और अमृत योग का संयोग
Guru Purnima 2021 मान्यता है कि शास्त्र तथा पुराणों के रचयिता वेद व्यास ने जिस दिन शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था उसी दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। 24 जुलाई को मनाए जा रहे गुरु पूर्णिमा का इतिहास महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास से जुड़ा है। मान्यता है कि शास्त्र तथा पुराणों के रचयिता वेद व्यास ने जिस दिन शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था, उसी दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। तब से लेकर गुरु शिष्य के रिश्ते के इस पर्व को व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को लेकर देशभर में विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम आयोजित होने जा रहे हैं। इसमें लोग गुरुओं की पूजा करने के साथ-साथ उनके प्रति अपने मान-सम्मान प्रकट करते हैं। 24 जुलाई को मनाई जा रहे गुरु पूर्णिमा पर पहली बार अद्भुत संयोग भी बनने जा रहा है। इसमें गुरु पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
शास्त्र और पुराणों के ज्ञाता थे वेदव्यास
इस बारे में श्री हरि दर्शन मंदिर अशोक नगर के पंडित प्रमोद शास्त्री बताते हैं कि महाभारत के रचयिता वेदव्यास शास्त्र तथा पुराणों के ज्ञाता थे। उन्होंने महाभारत के अलावा छह शास्त्र और 18 पुराणों की रचना की थी। जिसका ज्ञान गुरुकुल में विद्यार्थियों को दिया जाता है। इसके अलावा वेदव्यास द्वारा श्रीमद् भागवत पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन भी विस्तार के साथ किया है। इस बार आने वाली पूर्णिमा के दिन ही उन्होंने अपने शिष्य तथा मुनियों को इसका ज्ञान दिया था, जिसे व्यास पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।
बन रहा अद्भुत संयोग
आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा पर इस बार अद्भुत संयोग भी बनने जा रहा है। इसमें गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि तथा अमृत योग एक साथ होंगे। ऐसे में गुरु पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। श्री गोपीनाथ मंदिर सर्कुलर रोड के प्रमुख पुजारी पंडित दीनदयाल शास्त्री ने कहा कि वेद व्यास जी को प्रथम गुरु की उपाधि प्राप्त है। उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान देकर कृतार्थ किया था। सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा पर गंगा स्नान तथा दान को पुण्य का कार्य माना गया है। इसी दिन अपने अपने गुरु की पूजा जरूर करनी चाहिए।
आषाढ़ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 23 जुलाई
समय : सुबह 10.34
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समापन : 24 जुलाई
समय: सुबह 8.06
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