गुरदासपुर में दुष्कर्म कर बुजुर्ग महिला की हत्या करने वाले को 25 साल की सजा और उसके बाद उम्रकैद
गुरदासपुर के थाना भैणी मियां खां के एक गांव की 84 वर्षीय बुजुर्ग महिला की एक नेपाली व्यक्ति ने दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी थी। उसे शुक्रवार को जिला व सेशन जज रमेश कुमारी ने कड़ी व अनोखी सजा सुनाई है।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। लगभग ढाई साल पहले थाना भैणी मियां खां के एक गांव की 84 वर्षीय बुजुर्ग महिला की एक नेपाली व्यक्ति ने दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी थी। उसे शुक्रवार को जिला व सेशन जज रमेश कुमारी ने कड़ी व अनोखी सजा सुनाई है। इसके तहत आरोपित को अंडर सेक्शन 450 के तहत पहले दस साल की सजा, दस साल की सजा खत्म होने के बाद धारा 376 के तहत 15 साल की सजा व 15 साल की सजा खत्म होने के बाद धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
गौरतलब है कि 19 मार्च 2019 की रात को गांव के सरपंच के घर काम करने वाले नौकर सतिंदर राऊत ने 84 वर्षीय बुजुर्ग महिला के घर जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया व फिर बेहरमी से उसका कत्ल कर दिया था। पुलिस ने अगले दिन ही आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था। कोविड के कारण अदालती कामकाज प्रभावित होने से केस दो साल व चार महीने से चल रहा था। इस मामले में पीड़ित की ओर से जिला अटार्नी अमनप्रीत सिंह संधू व आरोपित के पक्ष सुनने के बाद जिला व सेशन जज रमेश कुमारी ने इस केस का फैसला सुनाया। इसके तहत सतिंदर राऊत को धारा 450, 376 (1) व आइपीसी की धारा 302 के तहत सजा सुनाई गई। इसमें अहम पहलू यह रहा कि जज ने सभी धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई। यह निर्देश दिए गए कि पहली सजा खत्म होने के बाद दूसरी सजा शुरू होगी। इसके तहत धारा 450 के तहत पहले दस साल, दस साल की सजा खत्म होने के बाद धारा 376 के तहत 15 साल और 15 साल की सजा खत्म होने के बाद धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
पीड़िता के नाखून से मिले थे आरोपित के बाल
पुलिस ने घटना के एक दिन बाद ही 20 मार्च को आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने जांच की। जांच के दौरान बुजुर्ग महिला के नाखून से सतिंदर के बाल व जैकेट के कपड़े के पीस बरामद किए थे। इसके बाद आरोपित के सिर के बालों व शरीर से खून के सैंपल एकत्र करके लैब में जांच के लिए भेजे गए। डीएनए टेस्ट करवाया गया, जिसमें आरोपित का खून व कपड़ा मिलान सही पाया गया।
अदालत की टिप्पणी- दुष्कर्म करने वाला न उम्र देखता है न रंग
अदालत की ओर से कहा गया कि समाज में ऐसे घिनौनी अपराध करने के लिए कोई स्थान नहीं है। यह केस साबित करता है कि दुष्कर्म करने वाला न तो पीड़ित की उम्र, न कपड़े, न रंग और न जात देखता है, इसलिए ऐसे लोगों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।