सरकारी तेल कंपनियों के हक में जा सकता है किसानों का विरोध, पेट्रोल-डीजल की बिक्री बढ़ने की उम्मीद

आलू और गेहूं की बिजाई का सीजन शुरू होने को है। यही वह समय है जब किसानों को डीजल की भारी मात्रा में जरूरत होती है। अगर किसान निजी सेक्टर का बायकाट करते हैं तो फिर इसका सीधा फायदा सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों को मिलेगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 05:31 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:31 PM (IST)
सरकारी तेल कंपनियों के हक में जा सकता है किसानों का विरोध, पेट्रोल-डीजल की बिक्री बढ़ने की उम्मीद
पंजाब में वर्तमान में निजी कंपनियों के पेट्रोल पंप आठ फीसद पेट्रोल-डीजल की बिक्री कर रहे हैं।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। निजी सेक्टर के खिलाफ बढ़ रहे किसानों के आक्रोश से सरकारी तेल कंपनियां अपनी बिक्री बढ़ने को लेकर आशावान नजर आने लगी हैं। सरकारी तेल कंपनियां अनुमान लगाने लगी है कि किसान निजी सेक्टर की तेल कंपनियों की तरफ से लगाए गए पेट्रोल पंपों से खरीद करने से भी मुंह मोड़ सकते हैं, जिसका सीधा फायदा उनके पेट्रोल पंपों को पहुंच सकता है।

पंजाब में वर्तमान में निजी कंपनियों के पेट्रोल पंप आठ फीसद पेट्रोल-डीजल की बिक्री कर रहे हैं। सरकारी क्षेत्र की प्रमुख तेल कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड एवं भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के पेट्रोल पंपों का हिस्सा 92 फीसद है। पंजाब में इस समय उपरोक्त तीनों सरकारी तेल कंपनियों के अलावा निजी सेक्टर में रिलायंस और एस्सार के पेट्रोल पंप पेट्रोल-डीजल की बिक्री कर रहे हैं।

धान की कटाई खत्म होने के साथ ही आलू और गेहूं की बिजाई का सीजन शुरू होने को है। यही वह समय है जब किसानों को डीजल की भारी मात्रा में जरूरत होती है। अगर किसान निजी सेक्टर का बायकाट करते हैं तो फिर इसका सीधा फायदा सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों को मिलेगा।

सरकारी तेल कंपनियों की अफसरशाही इस समय अपने डीलरों मौखिक आदेश जारी कर रही है कि कृषि सेक्टर से संबंधित उपभोक्ताओं को पूर्ण सुविधा उपलब्ध करवाई जाए और उनसे इस तरह से संपर्क बनाया जाए कि वह भविष्य में निजी सेक्टर की बजाय सरकारी तेल कंपनियों के ही ग्राहक बने रहे। इस सुविधा में कम रेट अथवा क्रेडिट भी शामिल हो सकता है। आशावान नजर आ रही सरकारी तेल कंपनियों के अफसर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन दबी जुबान इस बात की पुष्टि जरूर कर रहे हैं कि इस बार निजी सेक्टर के खिलाफ पनपा किसानों का रोज सरकारी तेल कंपनियों के हित में जा सकता है।

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