गोल्ड मेडलिस्ट हरमिलन बैंस बोलीं- पिता रोजाना लगवाते थे आठ घंटे दौड़, विश्व चैंपियनशिप जीतने का है लक्ष्य

हरमिलन के पिता अमनदीप सिंह बैंस और माता माधुरी ए सिंह ने लाडली को गोल्ड के लिए हमेशा हमेशा जज्बा भरते रहे। माता-पिता के उम्मीदों को पंख लगाते हुए ऐसा करिश्मा दिखाया जिसकी तारीफ में सबके हाथ सैल्यूट में बरबस ही उठ गए।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 11:21 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 02:45 PM (IST)
गोल्ड मेडलिस्ट हरमिलन बैंस बोलीं- पिता रोजाना लगवाते थे आठ घंटे दौड़, विश्व चैंपियनशिप जीतने का है लक्ष्य
होशियारपुर के माहिलपुर की एथलीट हरमिलन बैंस।

जागरण संवाददाता, होशियारपुर। हिंदी फिल्म दंगल की तरह माहिलपुर की एथलीट हरमिलन बैंस का गोल्ड मेडल भी है। उसने 22 साल बाद नेशनल रिकार्ड तोड़ कर नया इतिहास रचा है। हरमिलन के पिता अमनदीप सिंह बैंस और माता माधुरी ए सिंह ने लाडली को गोल्ड के लिए हमेशा हमेशा जज्बा भरते रहे। वह सात से आठ घंटे बेटी को रोज दौड़ लगवाते थे। माता-पिता के उम्मीदों को पंख लगाते हुए ऐसा करिश्मा दिखाया, जिसकी तारीफ में सबके हाथ सैल्यूट में बरबस ही उठ गए। तेलांगना के शहर वारंगल में 60वीं नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनिशप में होशियारपुर के कस्बा माहिलपुर की हरमिलन बैंस ने 15 सौ मीटर की दौड़ में गोल्ड जीत कर 2002 का रिकार्ड तोड़ दिया। उस समय बुसान एशियन गेम्स में एथलीट सुनीता रानी ने यह रिकार्ड अपने नाम किया था। खास बात यह है कि उस समय बुसान में हरमिलन की मां माधुरी ए सिंह बैंस ने भी 800 मीटर दौड़ में रजत पदक पर धाक जमाई थी। प्रसिद्ध दौड़ाक अमनदीप सिंह बैंस और माधुरी ए सिंह की बेटी हरमिलन सिंह बैंस भी अपने माता-पिता की तरह अच्छी एथलीट है। इन्होंने भी एशिया जूनियर वर्ल्ड कप प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।

लाडली के जज्बे पर पूरा भरोसा

गोल्ड मेडल विजेता हरमिलन बैंस ने बताया कि तेलगांना में राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उसका टारगेट विश्व चैंपियनशिप और उसके चीन में होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने का है। यह सपना उसकी मां माधुरी का है। वह इसके लिए कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार है। पिता अमनदीप सिंह बैंस ने कहा बेटी के जज्बे पर उन्हें पूरा भरोसा है। खालसा कालेज माहिलपुर के ट्रैक पर घंटों पसीना बहाती हैं। हरमिलन बैंस ने पटियाला में सम्पन्न हुई राष्ट्रीय इंटरस्टेट चैंपियनशिप में मामूली से अंतर में टोक्यो ओलिंपिक में टिकट हासिल करने से चूक गई थी।

हरमिलन के नाम कई रिकार्ड दर्ज

दोआबा स्कूल माहिलपुर में 10वीं की थी। सेंट सोल्जर डिवाइन पब्लिक स्कूल की 12वीं की छात्रा हरमिलन बैंस ने रांची में हुए नेशनल लेवल एथलीट प्रतियोगिता में 1500 मीटर और 800 मीटर में दूसरा स्थान, गुजरात में हुई एथलेटिक्स प्रतियोगिता में देश मे तीसरा स्थान,  सन 2009  में सीबीएसई स्कूल खेलों में 800 व 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 2011 सेंट्रल बोर्ड पंजाब एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक, जलंधर में हुई पंजाब स्कूल खेलों में 600 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक और नेशनल स्कूल खेलों में 800 व 600 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। सन 2016 को बेंगलुरु में हुई जूनियर नेशनल फेडरेशन खेलों में 1500 व 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। एशियन खेलों व जूनियर वल्र्ड कप में क्वालीफाई किया। जून 2017 में वियतनाम एशियाई खेलों व जुलाई में पोलैंड में हुई जूनियर वल्र्डकप में देश का प्रतिनिधित्व किया। हाल में ही मई में तमिलनाडु में हुए इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता था। पिछले साल नवंबर में पटियाला में हुई सीनियर नेशनल फेडरेशन कप में 1500 मीटर दौड़ 4:25 के समय में पूर्ण कर स्वर्ण पदक हासिल किया। हरमिलन कौर बैंस ने 8 मार्च को पटियाला में हुए फेडरेशन कप मुकाबले में 1500 मीटर दौड़ में अपने ही 4:25 मिनट के रिकार्ड में सुधार करते हुए 4:21 मिनट में पूरा कर तीसरा स्थान प्राप्त किया था।

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं माता-पिता

हरमिलन के माता-पिता भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। पिता अमनदीप सिंह बैंस ने साउथ एशियन गेम्स 1996 में 1500 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता था। मां अजुर्न अवार्डी माधुरी ने एशियन गेम्स बुसान में 2002 में 800 मीटर में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था।

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