GNDU में स्टाफ की कोशिश छात्रों के लिए कुछ नया करने की, जिससे उन्हें सीखने का मौका मिले : रजिस्ट्रार केएस काहलों
गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) देश की टाप यूनिवर्सिटियों में शामिल है। यहां आए दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है। कोरोना काल में जब शिक्षण संस्थान बंद हुए तो यूनिवर्सिटी ने टेक्नोलाजी का इस्तेमाल कर विद्यार्थियों को उनका सिलेबस कवर करवाने की कोशिश की।
जासं, अमृतसर। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) देश की टाप यूनिवर्सिटियों में शामिल है। यहां आए दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है। कोरोना काल में जब शिक्षण संस्थान बंद हुए तो यूनिवर्सिटी ने टेक्नोलाजी का इस्तेमाल कर विद्यार्थियों को उनका सिलेबस कवर करवाने की कोशिश की। अलग-अलग विभागों के प्रोफेसर विद्याॢथयों के साथ लगातार संपर्क में रहे ताकि उनकी पढ़ाई का नुकसान न हो। इसके अलावा जीएनडीयू लगातार विदेशी यूनिवर्सिटियों के साथ एमओयू साइन कर रही है, ताकि यहां के विद्यार्थियों को ग्लोबल एक्सपोजर मिले और जरूरत पडऩे पर विदेश में जाकर रिसर्च कर सकें। यह बातें जीएनडीयू के रजिस्ट्रार किरणजीत सिंह काहलों ने दैनिक जागरण के साथ साक्षात्कार के दौरान कहीं। जीएनडीयू में चल रहे अलग-अलग प्रोजेक्ट और रिसर्च वर्क को लेकर किए जा रहे कार्यों संबंधी काहलों ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जीएनडीयू के हर स्टाफ का प्रयास रहता है कि विद्यार्थियों के लिए कुछ नया और अलग किया जाए जिससे उनको सीखने का मौका मिले।
सवाल : इस समय विश्वविद्यालय में कौन से नए प्रोजेक्ट चल रहे हैं और उनमें क्या रहेगा?
जवाब : मौजूदा समय में जीएनडीयू में सेंटर आफ इंटर फेथ स्टडी तैयार हो रहा है। यह काफी बड़ा प्रोजेक्ट है। इस पर करीब 493 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इस सेंटर के जरिए गुरु साहिबान की शिक्षा, सिद्धांत और विचारधारा पूरी दुनिया में फैलाई जाएगी। यहां पर सभी धर्मों से संबंधित शोध कार्य, अध्ययन और अध्यापन होगा। इस सेंटर को साल 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी। इसके साथ ही चार नए विभाग शुरू किए गए हैं। इनमें डिपार्टमेंट आफ मास कम्युनिकेशन, डिपार्टमेंट आफ एग्रीकल्चर, डायरेक्टोरेट आफ इवनिंग स्टडी और डायरेक्टोरेट आफ आनलाइन स्टडी है।
सवाल : जीएनडीयू को देश भर में स्वच्छता में नंबर एक रैंक मिला, इसके लिए क्या प्रयास किए गए?
जवाब : गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी को स्वच्छता में पूरे देश में नंबर रैंक मिला है, क्योंकि विश्वविद्यालय को हरा-भरा रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत पिछले तीन सालों में 20 हजार के करीब पौधे लगाए गए हैं। विशेष कर उन प्रजातियों के जो लगातार लुप्त होते जा रहे हैं ताकि उन पौधो को बचाया जा सके और मानव कल्याण में प्रयोग हो सकें। इसके अलावा जीएनडीयू में पानी को बिल्कुल भी बर्बाद नहीं होने दिया जाता। यहां पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा हुआ है जिससे वेस्ट पानी को भी एग्रीकल्चर लैंड, पौधों आदि को देने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा रैन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं जिनके जरिए बारिश का सारा पानी धरती के नीचे चला जाता है।
सवाल : राज्य या केंद्र सरकार की ओर से कौन से मुख्य प्रोजेक्ट जीएनडीयू को सौंपे गए हैं?
जवाब : गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी ने बार्डर एरिया में बनने वाले 137 किलोमीटर हाईवे का डिजाइन तैयार करने के लिए नेशनल हाईवे आफ अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) के साथ एमओयू साइन किया है। सड़क के दोनों तरफ पेड़-पौधे, डिवाइडर के बीच फूलों की क्यारियां, कहां-कहां पर कौन-कौन से साइन बोर्ड लगने हैं, रास्ते में ठहराव के स्थान, कैफेटेरिया, ट्रैफिक नियंत्रण करने व पूरे रास्ते को यात्रियों के लिए आकर्षक बनाने आदि की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। पूरे रास्ते को खूबसूरत बनाया जाएगा ताकि देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट अपने साथ अच्छी और सुनहरी यादें लेकर जा सकें। इसके अलावा सुल्तानपुर लोधी में बनने वाला पिंड बाबे नानक दा का प्रोजेक्ट भी गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी को मिल चुका है। यह प्रोजेक्ट पंजाब सरकार की ओर से तैयार करवाया जा रहा है। इन दोनों प्रोजेक्ट को आॢकटेक्ट विभाग की ओर से डिजाइन किया जा रहा है।
सवाल : विश्वविद्यालय में कौन-कौन सी रिसर्च चल रही है?
जवाब : मौजूदा समय में विभिन्न विभागों में कई मुख्य रिसर्च चल रही है जिनमें केमिस्ट्री, जेनेटिक व फिजिक्स विभाग आदि शामिल हैं। इसी तरह जेनरिक दवाइयों पर भी बड़े स्तर पर रिसर्च जारी है ताकि कैंसर जैसी बीमारी में आम लोगों को सस्ती दवाई मुहैया करवाई जा सके। हालांकि इसमें थोड़ा समय लगेगा।