पराली को आग न लगाकर किसानों ने पेश की मिसाल, मशीनों से पराली का कर रहे प्रबंधन

गांव लल्लियां के जगजीत सिंह ने पराली न जलाने का प्रण लिया था। इसके तहत वह धान की कटाई के सीजन शुरू होने के बाद से ही अपने गांव में बाकायदा एलान करके सभी किसानों को पराली का प्रबंधन के लिए अपनी इन-सीटू मशीनें मुहैया करवाई।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 09:03 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 09:03 AM (IST)
पराली को आग न लगाकर किसानों ने पेश की मिसाल, मशीनों से पराली का कर रहे प्रबंधन
जगजीत 2017 से खेतों में पराली मिला रहे हैं और 325 एकड़ क्षेत्रफल में आलू की बिजाई कर देता है।

जालंधर, जेएनएन। धान की कटाई के बाद पराली को न जलाकर किसानों ने मिसाल पैदा की है। पराली न जलाने से पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के साथ-साथ खेतों में अलग फसल का भी लाभ लेने की राह आसान कर दी हैं। गांव लल्लियां के जगजीत सिंह ने अपने गांव को प्रदूषण मुक्त रखने और पराली नहीं जलाने का प्रण लिया था। इसके तहत वह धान की कटाई के सीजन शुरू होने के बाद से ही अपने गांव में बाकायदा एलान करके सभी किसानों को पराली का प्रबंधन के लिए अपनी इन-सीटू मशीनें मुहैया करवाई।

जगजीत सिंह 2017 से खेतों में पराली मिला रहे हैं और उसके बाद 325 एकड़ क्षेत्रफल में तुरंत आलू की बिजाई कर देता है। उसने बताया कि ऐसा करने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में सुधार होता है, जिससे खादों के प्रयोग में कमी आई है। उसने बताया कि आलू के झाड़ में भी कई गुणा विस्तार हुआ है और यह सब खेतों में पराली को मिलने से ही संभव हुआ है।

उन्होंने कहा कि मलचर, आरएमबी पलोय, रोटावेटर कृषि और किसान भलाई विभाग से सब्सिडी पर लिया था और उसका भरपूर लाभ ले रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए मशीनें बिना किसी किराए के अन्य किसानों को मुहैया करवाया। उन्होंने कहा कि वह अपने गांव को साफ-सुथरा और प्रदूषण मुक्त करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। शादीपुर गांव के कुलबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने गांव में किसानों का एक समूह बनाया हुआ है और यह समूह पिछले पांच साल से पराली के उचित प्रबंध कर रहा हैं।

वह 260 एकड़ रकबे में हैप्पी सिडर से गेहूं की फसल की बिजाई कर रहे है और इससे खेतों में घासपात का विस्तार रुक गया है। तब से कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया, जिससे खेती खर्चों में कमी आई है। पिछले कुछ सालों से उनका गांव पराली को आग नहीं लगा रहा और किसान स्थानीय सहकारी सभाओं से मशीनें लेकर पराली का प्रबंधन कर रहे हैं। मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह ने पराली प्रबंधन को लेकर किसानों के योगदान को सराहा। प्रशासन की मुहिम के तहत किसानों की सक्रिय भागीदारी को लेकर उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

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