श्रमिकों की कमी हुई तो दाे किसानों ने बनाई फाइव इन वन मशीन, सस्ते में तैयार होगी धान की पनीरी
पंजाब में खेती के लिए श्रमिकों की कमी हुई तो दो किसानों ने कमाल की मशीन बना डाली। उन्होंने धान की पनीरी तैयार करने के लिए फाइव इन वन मशीन बनाई है।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों जनता से लोकल को ग्लोबल कर आत्मनिर्भर भारत बनाने की अपील की थी। जालंधर के शाहकोट के बाजवा कलां गांव के दो किसानों मेजर सिंह व राजिंदर सिंह ने इसी दिशा में कदम बढ़ाया है। उन्होंने देसी तकनीक का इस्तेमाल करके कबाड़ से धान की पनीरी (नर्सरी) तैयार करने वाली फाइव इन वन मशीन बनाई है। उनका दावा है कि यह मशीन पांच काम एक साथ करके पांच गुणा ज्यादा रिजल्ट देती है।
जालंधर के बाजवा कलां गांव के मेजर सिंह व राजिंदर सिंह ने कबाड़ से बनाई उपयोगी मशीन
मशीन का ट्रायल खेती विभाग ने लेकर इसे पास भी कर दिया है। इसकी लागत 70 हजार रुपये आई है। इसे ट्रैक्टर की मदद से संचालित किया जाता है। बाजवा कलां गांव की आबादी महज दो हजार है। पंजाब के प्रसिद्ध मॉडल व कलाकार इंदर बाजवा यहीं के निवासी हैं।
मशीन बनाने पर आई 70 हजार रुपये लागत, एक दिन में 25 से 30 एकड़ पनीरी लगाएगी यह
लॉकडाउन में श्रमिकों के पलायन से चिंतित बारहवीं पास मेजर सिंह बाजवा व उनके साथी दसवीं पास राजिंदर सिंह ने इस संकट में कोई राह निकालने के बारे में सोचा। उन्होंने गांव से कबाड़ इकट्ठा किया। गांव के ही वेल्डर दर्शन की मदद से एक सप्ताह में दोनों ने कबाड़ से मशीन तैयार कर डाली। पहले कुछ कमियां थीं तो उन्हेंं दूर करके नए सिरे से मशीन बनाई। इस मशीन से मैट के रूप में पनीरी तैयार होती है।
यह है मैट नर्सरी
स्कूलों में जमीन पर बैठने के लिए बिछाई जाने वाली टाट-पट्टी की साइज का ही पॉलीथिन खेत में बिछाकर उसके ऊपर मिट्टी डालकर खेत में जगह के हिसाब से 20 से 50 मीटर तक लंबी मिट्टी वाली मैट बनाई जाती है। मशीन यह मैट खुद तैयार करती है। इसी पर धान के बीज व मिट्टी तथा पानी डालकर मशीन पूरी मैट तैैयार कर देती है। उसके बाद इसे एक सप्ताह तक बोरों से ढक देते हैं, ताकि पक्षी अंकुरित पौधों को खाने न पाएं।
पनीरी जब 21 से 25 दिनों में तैयार हो जाती है तो देखने में लगता है जैसे हरी रंग की मैट बिछी हो। फिर इसे धारदार मशीन से दो फिट के साइज में काट लेते हैं। पौधों सहित पूरी पनीरी दो-दो फिट के टुकड़ों में खेतों से निकाल कर अलग रख ली जाती है। फिर उसे खेतों में पानी डालकर लगा देते हैं।
ऐसे काम करती है मशीन
पहले दो फिट साइज का पॉलीथिन खेत में बिछाया जाता है। उसके साइड में लकड़ी से दो इंच की बाउंड्री बनाई जाती है। तीसरे चरण में उसमें मिट्टी भरी जाती है। चौथे चरण में मिट्टी में धान के बीज लगाकर उसके ऊपर साथ ही साथ मिट्टी डाली डाती है। पांचवें चरण में पानी डाला जाता है। मशीन यह सारे काम खुद कर देती है। एक ही बार में मशीन पॉलीथिन बिछाने के साथ-साथ उसी साइज में मिट्टी व धान के बीज तथा उसके ऊपर फिर मिट्टी और पानी का छिड़काव एक साथ करती है।
श्रमिकों की जरूरत ही नहीं
पनीरी तैयार करने के लिए श्रमिकों की जरूरत नहीं होती। एक श्रमिक एक दिन में एक एकड़ पनीरी लगा पाता है। मशीन इतने समय में 25 से 30 एकड़ की पनीरी लगाएगी। मशीन से तैयार पनीरी के मैट (बेड) को वर्गाकार साइज में काटकर रोपाई करने में काफी सहूलियत होती है। श्रमिक एक वर्ग मीटर में 15 से 20 पौधे लगाते हैं। मशीन द्वारा तैयार पनीरी के एक वर्ग मीटर में 33 पौधे लगेंगे। इससे उत्पादन भी दोगुणा होगा।
मैट नर्सरी किसानों के लिए बेहतर विकल्प : गुरसाहिब
इस बाबत पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के फार्म मशीनरी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर रिसर्च गुरसाहिब सिंह का कहना है कि यह मशीन अच्छी तकनीकी पर विकसित की गई है। पीएयू ने भी पनीरी तैयार करने की मशीन विकसित की है। बड़े पहिये वाले ट्रांसप्लांटरों में चिकनी मिट्टी में रोपाई के दौरान मिट्टी पहियों पर चिपकती थी और रोपाई में परेशानी आती थी। अब छोटे पहिये वाले ट्रांसप्लांटरों में यह समस्या भी खत्म हो चुकी है। इसलिए मैट टाइप नर्सरी किसानों के लिए बेहतर विकल्प है।
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'' हमने मशीन की क्षमता तकनीकी रूप से देखी है। मशीन अच्छी है। इसे कम लागत में तैयार किया गया है। इससे फसल का उत्पादन बढ़ेगा और लागत कम होगी। समय भी बचेगा।
- डॉ.नरेश गुलाटी, कृषि अधिकारी।
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'' जिस प्रकार से यह मशीन काम करती है, उससे किसानों की मुश्किलें कम होने के साथ-साथ उत्पादन बढ़ेगा।
- कुलवीर सिंह, डायरेक्टर, यूनिसन इंडस्ट्रीज।
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'' सरकार को तकनीकी सहयोग करके इसके निर्माता किसान को और प्रोत्साहित करना चाहिए। मैं इस बारे में सरकार को भी जानकारी दूंगा।
- अजयवीर सिंह जाखड़, चेयरमैन, पंजाब किसान आयोग।
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