जालंधर-पानीपत हाईवे पर प्रीमिक्स बिछाने के दौरान एक्सपेंशन ज्वाइंट किए नजरअंदाज, हादसे होने का खतरा

291.9 किलोमीटर लंबे जालंधर-पानीपत सिक्स लाइन हाईवे पर प्रीमिक्स बिछाने का कार्य कर रही निजी कंपनी की लापरवाही राहगीरों की जान पर भारी पड़ सकती है। फ्लाईओवरों व रेलवे ओवरब्रिजों पर प्रीमिक्स बिछाने के दौरान एक्सपेंशन ज्वाइंट बुरी तरह से नजरअंदाज किए जा रहे हैं।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 12:11 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 12:11 PM (IST)
जालंधर-पानीपत हाईवे पर प्रीमिक्स बिछाने के दौरान एक्सपेंशन ज्वाइंट किए नजरअंदाज, हादसे होने का खतरा
जालंधर-पानीपत हाईवे पर प्रीमिक्स बिछाने का कार्य कर रही कंपनी की लापरवाही राहगीरों की जान पर भारी पड़ सकती है।

जालंधर, मनुपाल शर्मा। 291.9 किलोमीटर लंबे जालंधर-पानीपत सिक्स लाइन हाईवे पर प्रीमिक्स बिछाने का कार्य कर रही निजी कंपनी की लापरवाही राहगीरों की जान पर भारी पड़ सकती है। लंबे समय तक सड़क उखाड़ने के बाद प्रीमिक्स बिछाई नहीं जा रही है और जहां पर प्रीमिक्स बिछाई जा रही है। वहां पर भी खासी लापरवाही बरती जा रही है। जालंधर शहर के बीचो बीच से गुजर रहे हाईवे के ऊपर बने फ्लाईओवरों व रेलवे ओवरब्रिजों पर प्रीमिक्स बिछाने के दौरान एक्सपेंशन ज्वाइंट बुरी तरह से नजरअंदाज किए जा रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि जैसे ही वाहन पुल के ऊपर पहुंचते हैं तो एकदम से उबड़-खाबड़ सड़क मिलती है।

एक्सपेंशन ज्वाइंट के ऊपर बिछाई प्रीमिक्स का लेवल एक सा नहीं रहता है। तेजी से आ रहे बड़े वाहन तो लड़खड़ाते ही हैं। दो पहिया वाहन चालकों के लिए तो गिरने तक का खतरा बना रहता है। पीएपी रेलवे ओवर ब्रिज के ऊपर बने एक्सपेंशन ज्वाइंट को एक बार फिर से नजरअंदाज किया गया है। हालांकि अप्रोच रोड तक प्रीमिक्स बिछा दी गई है। खास यह है कि नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) की तरफ से निजी कंपनी के कार्य की समीक्षा के लिए एक निजी इंजीनियर कंपनी की अनुबंधित की गई है। बावजूद इसके निजी कंपनी की लापरवाही और मनमर्जी पर कोई रोक नहीं लग पा रही है।

एनएचएआइ अंबाला प्रोजेक्ट डायरेक्टर कार्यालय द्वारा लगातार कंपनी की तरफ से बरती जा रही लापरवाही को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की जाती है। हर बार यही कहा जाता है कि जांच करवाई जाएगी और अगर कुछ भी गलत पाया गया तो कार्रवाई होगी। हालांकि अभी तक किसी भी जगह पर निर्माण दुरुस्त नहीं करवाया जा सका है। वहीं तापमान में भी भारी बढ़ोतरी के बावजूद प्रिमिक्स बिछाने के काम में कोई तेजी नहीं आ सकी है। लोग उखाड़ी गई सड़क के ऊपर से गुजरते हैं और दो पहिया वाहनों के गिरने का डर लगातार बना रहता है।

निजी कंपनी की लापरवाही किस कदर राहगीरों पर भारी पड़ सकती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक आंकलन के मुताबिक इस हाईवे से प्रत्येक 24 घंटे में लगभग 24000 वाहन गुजरते हैं। इनमें से दोपहिया वाहनों की संख्या भी अच्छी खासी रहती है। कंपनी की लापरवाही इन्हीं दो पहिया वाहन चालकों पर भारी पड़ सकती है।

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