ई-फार्मेसी बन रही कारोबार में मंदी का कारण
दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव में दिलकुशा मार्केट के दुकानदारों ने कहा कि ई-फार्मेसी के कारण दवा कारोबार में मंदी आ रही है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
कपड़े, जूते व राशन के बाद दवाइयों की आनलाइन बिक्री यानी ई-फार्मेसी कंप्यूटर युग की देन है। मल्टीनेशनल कंपनियां ई-फार्मेसी को लेकर बाजार में पैर जमाने लगी हैं। लोग भी घर बैठे ही दवाइयां खरीदने लगे हैं। दवा विक्रेताओं की मानें तो इसका लाभ चंद लोगों को ही है, जबकि नुकसान ज्यादातर लोगों को है। ई-फार्मेसी का असर दवाइयों की मार्केट पर पड़ने लगा है। इन दिनों दवाइयों की मार्केट में चल रही मंदी का एक कारण दवा विक्रेता इसे ही मान रहे हैं। दुकानदारों के मुताबिक ई-फार्मेसी दवाइयों के होलसेल व रिटेल कारोबार के पतन का कारण बनेगी। ई-फार्मेसी के विषय पर शुक्रवार को दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव में दिलकुशा मार्केट के पीएंडआर कांप्लेक्स के होलसेल दवा विक्रेताओं ने विचार रखे।
-------- दवाइयों के कारोबार में लाखों रुपये लगाए हैं। ई-फार्मेसी के प्रभाव से कारोबार मंदी के दौर से गुजर रहा है। भविष्य भी अंधकार में दिखाई दे रहा है।
अदित्य मित्तल
------- कारोबार में मंदी के चलते आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इसके बाद कामकाज का दायरा कम होने के साथ ही मुलाजिमों की संख्या भी कम होगी, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी।
मोनिश कोहली
------ दवा विक्रेता से दवाइयां खरीद कर लौटा भी सकते हैं, परंतु ई-फार्मेसी में मरीजों को दवाइयों के पूरे स्ट्रिप मिलते हैं, जो बाद में वापस न होने से आर्थिक नुकसान होता है।
अनिल रतरा
------ ई-फार्मेसी कम आबादी वाले देशों में कामयाब हुआ है। भारत में आबादी ज्यादा होने के साथ ही ज्यादातर लोग मध्यम वर्गीय हैं। इसकी वजह से यहां इनकी सेवाएं वाजिब नहीं है।
राकेश पुरी
------- ई-फार्मेसी को मात देने के लिए लाकडाउन में कई दवा विक्रेताओं ने लोगों के घर तक दवाइयां पहुंचाने का काम शुरू किया है। भविष्य में इसके बेहतर नतीजे आएंगे।
सोनू
----- आज देश में रोज-रोज दवा कंपनियां नई-नई दवाइयां लेकर आ रही हैं। ई-फार्मेसी से सभी दवाइयां न मिलने से मरीजों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है।
संदीप कुमार
------- ई-फार्मेसी के बिजनेस से दवा कंपनियों को कोई नुकसान नहीं होता है। वहीं इससे होलसेल व रिटेल दवा विक्रेताओं का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
रमन गुप्ता
------ ई-फार्मेसी पर पहले आनलाइन आर्डर दिया जाता है और फिर कंपनी इसकी सप्लाई के लिए समय लगाती है। वहीं लोकल दवा विक्रेता से कभी भी दवाइयां खरीद सकते हैं।
सन्नी
------ ई-फार्मेसी से लोगों को दवाइयां भले ही बाजार से थोड़ी सस्ती मिलती हैं, परंतु कई बार जिस कंपनी की दवा डाक्टर लिखता है उसकी जगह दूसरी दवाइयां पहुंच जाती हैं।
सुभाष शर्मा
----- ई-फार्मेसी का लाभ बड़े वर्ग के लोगों को होगा। गरीब जनता को तो सरकारी अस्पताल से मुफ्त दवा लेकर या फिर दवा विक्रेताओं से दवा खरीद कर इलाज करवाना आसान होगा।
वैद राज