सियासी सर्वे में 'तौले' जा रहे दावेदार

सूबे में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी दलों ने अभी से विधानसभा हलकों में वर्किंग शुरू कर दी है। इसे लेकर सियासी दलों की तरफ से संभावित दावेदारों की इमेज तौली जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Sep 2021 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 06:30 AM (IST)
सियासी सर्वे में 'तौले' जा रहे दावेदार
सियासी सर्वे में 'तौले' जा रहे दावेदार

मनोज त्रिपाठी, जालंधर

सूबे में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी दलों ने अभी से विधानसभा हलकों में वर्किंग शुरू कर दी है। इसे लेकर सियासी दलों की तरफ से संभावित दावेदारों की इमेज 'तौली' जा रही है। किस हलके से कौन-कौन दावेदार या उम्मीदवार हो सकता है उनकी लिस्टों पर काम किया जा रहा है। उनकी जीत या हार की कितनी संभावनाएं हैं। कौन-कौन सी बातें उनके पक्ष में हैं। कौन-कौन सी बातें पक्ष में नहीं है। मतदाताओं से गहन पड़ताल के साथ इसकी जानकारी जुटाने को लेकर टीमों ने सर्वे शुरू कर दिया है।

शिरोमणि अकाली दल ने दो महीने से टीमों को तैनात कर रखा है। उनका एक दौर का सर्वे पूरा होने के बाद दूसरे दौर का सर्वे चल रहा है। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी ने भी टीमों के जरिए किस-किस सीट से चुनाव जीतने वाले कौन-कौन से दावेदार हो सकते हैं इसकी जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के सर्वे का पहले चरण भी पूरा हो चुका है। सर्वे में स्थानीय स्तर पर चुनावी मुद्दे क्या-क्या हो सकते हैं, उसकी भी जानकारी सियासी दल जुटा रहे हैं। प्रोफेशनल तरीके से करवाए जा रहे सर्वे का पूरा डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है।

सर्वे में जुटी टीमों को 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करना है तब तक चुनाव की तस्वीर भी स्पष्ट हो जाएगी और इसी सर्वे के आधार पर फाइनल सर्वे किया जाएगा। जिन सीटों पर सशक्त व साफ-सुथरी छवि वाले दावेदार हैं उनके नामों की घोषणा भले ही पार्टियों की तरफ से नहीं की जा रही है, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने की तैयारियों को लेकर पार्टियों की तरफ से अंदरखाते ग्रीन सिग्नल दिया जा रहा है। जिन सीटों पर कई दावेदार हैं उनमें सभी की छवि के बारे में विशेष तौर पर पड़ताल हो रही है कि सबसे मजबूत दावेदार कौन होगा। उसे नाम की घोषणा के बाद दूसरे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्हें कैसे नुकसान पहुंचाने से रोकना है। इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है।

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जातीय समीकरणों पर रख रहे पैनी नजर

सर्वे टीम के सदस्य दावेदारों के जातीय समीकरणों पर भी पैनी नजर रख रहे हैं। किस-किस हलके में किस-किस जाति के कितने फीसद वोटर हैं। दावेदार किस जाति से संबंधित हैं। अगर उन्हें चुनावी मैदान में उतारा जाता है तो जातीय आधार पर जीतने की कितनी संभावनाएं हैं। इसमें खास तौर पर हिदू, सिख और दलित वोट बैंक पर सर्वे की टीमें काम कर रही हैं। कुछ सीटों पर मतांतरण (धर्म परिवर्तन) के बाद वोटरों की संख्या और दावेदारों की जाति को सर्वे का आधार बनाया गया है।

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पिछले चुनावों के परिणामों का भी किया जा रहा अध्ययन

सर्वे में डटी टीमें चुनावों के परिणामों का नए सिरे आंकलन कर रही हैं। किस-किस सीट पर पिछले चुनावों में किस-किस पार्टी के कौन-कौन से उम्मीदवार जीते थे। उनकी जीत का कारण क्या था। हार व जीत का अंतर कितना था। जीत और हार का मुख्य कारण क्या था। संबंधित सीट पर सबसे ज्यादा बार किस पार्टी के उम्मीदवार की जीत हुई है और उन्हें किस पार्टी ने टक्कर दी थी। इन पहलुओं को लेकर सर्वे की टीमें अलग-अलग आयुवर्ग के लोगों के साथ बातचीत करके उनकी राय बटोर रही हैं।

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