पंजाब में सभी यूनिवर्सिटी व कालेजों में बेमियादी समय के लिए पढ़ाई बंद

पंजाब में सभी यूनिवर्सिटी और कालेजों में पढ़ाई खेल गतिविधियां सह-पाठयक्रम गतिविधियां बेमियादी समय के लिए बंद रहेंगी। कालेजों के शिक्षकों की मांग है कि जब तक सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं करती वे संघर्ष की राह पर चलेंगे और कोई काम नहीं करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 06:19 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 06:19 PM (IST)
पंजाब में सभी यूनिवर्सिटी व कालेजों में बेमियादी समय के लिए पढ़ाई बंद
पंजाब में सभी यूनिवर्सिटी व कालेजों में बेमियादी समय के लिए पढ़ाई बंद

जासं, जालंधर : पंजाब में सभी यूनिवर्सिटी और कालेजों में पढ़ाई, खेल गतिविधियां, सह-पाठयक्रम गतिविधियां बेमियादी समय के लिए बंद रहेंगी। कालेजों के शिक्षकों की मांग है कि जब तक सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं करती, वे संघर्ष की राह पर चलेंगे और कोई काम नहीं करेंगे। उनका कहना है कि सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों को पांच साल के कार्यकाल के बाद ही पेंशन दे सकती है, जबकि एक शिक्षक 35 साल तक सेवाएं देने के बाद भी पेंशन का हकदार क्यों नहीं है। इसी के रोष स्वरूप विभिन्न कालेजों के आगे पीसीसीटीयू से जुड़े कालेजों के शिक्षकों ने अपने-अपने कालेजों को आगे सरकार के खिलाफ चार घंटे रोष व्यक्त कर नाराजगी जाहिर की। अध्यापकों ने डीएवी, लायलपुर खालसा कालेज और एचएमवी में रोष व्यक्त किया।

पीसीसीटीयू के महासचिव प्रो. एसएस रंधावा ने कहा पूरे मामले को लेकर वित्त मंत्री, स्पीकर और मुख्यमंत्री के सामने भी उठाया गया है। इसके बावजूद अभी तक सरकार से केवल खोखले आश्वासन ही मिले हैं। उच्च शिक्षा आयोग के सचिव के साथ शिक्षकों की एक बैठक भी हुई जो बेनतीजा रही। पंजाब कैबिनेट ने इसका हल निकालने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए है लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया। प्रोफेसरों की मांग है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी खुद इस मामले को देंखे और जल्द से जल्द सातवें वेतनमान को लागू करें। जिला प्रधान डा. संजीव धवन ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा। पंजाब सरकार द्वारा इसे लागू नहीं करने के कारण शिक्षक भी कई वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले विभाग के साथ उनकी चर्चा में प्रतिक्रिया सकारात्मक थी लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। शिक्षा मंत्री परगट सिंह और शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार से मुलाकात की थी, जहां वे शिक्षकों की जायज मांगों को मानने के लिए तैयार हो गए, लेकिन कुछ भी निर्णायक नहीं निकला।

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