मरीज होते रहे परेशान, डाक्टर सिविल सर्जन आफिस पर लगाते रहे नारे
सरकारी डाक्टरों के एनपीए में कटौती को लेकर चल रहे संघर्ष का खामियाजा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं लेने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : सरकारी डाक्टरों के एनपीए में कटौती को लेकर चल रहे संघर्ष का खामियाजा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं लेने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लोग तीन सप्ताह से स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर निराश लौट रहे है। सरकार मांगों को लेकर टालमटोल कर रही है और डाक्टर मांगें पूरी होने पर ही सेवाएं शुरू करने की जिद पर बैठे है। मंगलवार को लगातार दूसरे दिन डाक्टरों ने सिविल सर्जन आफिस का घेराव कर कामकाज बंद करवाया। हालांकि क्लेरिकल कामकाज चलता रहा।
नई सरकारी सर्विस मिलने के बाद मेडिकल करवाने के लिए आए उम्मीदवारों को मंगलवार भी निराश लौटना पड़ा। उनके न तो टेस्ट हुए और न ही रिपोर्ट मिली । किसी डाक्टर ने मेडिकल नहीं किया। सुशील कुमार का कहना है कि वह पिछले एक सप्ताह से सिविल सर्जन आफिस और सिविल अस्पताल के चक्कर काट रहा है। उन्हें मेडिकल करवाने के लिए टेस्ट करवाने की सलाह दी ती। टेस्ट तो हुए परंतु डाक्टर हस्ताक्षर नहीं कर रहे। इमरजेंसी में मरीजों को सेवाएं लेने की काफी देर इंतजार करना पड़ा। एक मरीज व्हील चेयर पर ही आधा घंटा डाक्टर का इंतजार करता रहा। ईएसआई अस्पताल में निजी अस्पतालों में रेफर होने वाले मरीजों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।