छोटी उम्र में विकसित करें वैज्ञानिक सोच

2021 में हम हर काम पलक झपकते ही हो जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:09 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:09 PM (IST)
छोटी उम्र में विकसित करें वैज्ञानिक सोच
छोटी उम्र में विकसित करें वैज्ञानिक सोच

जासं, जालंधर

2021 में हम हर काम पलक झपकते ही हो जाता है। यह वैज्ञानिक सोच ही है कि सबकुछ बैठे-बैठे कंप्यूटर के जरिये हो रहा है। टेक्नोलाजी का विकास इतना हुआ है कि पूरा देश एक हो गया है। नई टेक्नोलाजी के जरिये मैनुअल होने वाले आपरेशन आसानी से हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को संस्कारों के साथ जोड़ने के साथ-साथ उनमें छोटी से उम्र में ही वैज्ञानिक मनोवृत्ति और जिज्ञासा पैदा करनी चाहिए, क्योंकि आज के बच्चे कल के युवा और देश का भविष्य बनेंगे।

उनमें बेहतरीन सोच और उसे पूरा करने की जिज्ञासा होनी बेहद जरूरी है। कारण, विज्ञान के जरिये हमारी हर समस्या व परेशानी का समाधान तुरंत हो जाता है। कभी सोचा था कि दूर बैठे व्यक्ति के संदेशा तार के अलावा मोबाइल फोन के जरिये भी दिया जा सकेगा। तार पहुंचने में ही हफ्तों लगते थे। अब चंद सेकेंड में दूर दराज बैठे अपने ही जानकारों से बातचीत हो जाती है, फिर वो चाहे सात समंदर पार ही क्यों न बैठा हो। यह वैज्ञानिक सोच के ही परिणाम है, जिनकी बदौलत हमारी समस्या की समाधान हुआ है। अब जरूरत है कि हमें वैज्ञानिक सोच के जरिये ही अपनी प्रकृति को सुरक्षित करने की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। पर्यावरण का स्तर इतना गिरता जा रहा है कि भविष्य को सुरक्षित करने की चुनौती बन गई है। इसके लिए सभी को चितन व मंथन करने की जरूरत है। अपने भीतर भी वैज्ञानिक मनोवृत्ति पैदा कर इसके समाधान तलाशने चाहिए। हमारे संस्कारों में कुदरती पदार्थो का संरक्षण करना भी शामिल होता है, मगर हम जाने-अंजाने में इससे कोसों दूर होते जा रहे हैं। तभी तो जंगल कटते गए और कंक्रीट के शहर विकसित होते जा रहे हैं। शहर के बाहर निकलें तो जहां हरियाली ही हरियाली नजर आती थी, वह हरियाली अब फ्लाईओवरों की ओट में कहीं छिप से गई है। पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर उन्हें और विकसित करना जरूरी है। सड़के सिगल लेन से सिक्स लेन तक पहुंच गई और पेड़ पौधे उतने ही सड़कों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे हालात को देखते हुए हमें विपरीत परिस्थिति में होकर भी पर्यावरण संरक्षण के संस्कार को निभाना चाहिए। युवाओं को अपनी वैज्ञानिक मनोवृत्ति को जगाते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए आइडियाज और इस समस्या से निजात पाने के हल तलाशने में अपना योगदान देना चाहिए। तभी हम अपना और आने वाली पीढि़यों के भविष्य को भी सुरक्षित, स्वच्छ और हरा भरा बना सकेंगे। हम सब जानते ही हैं कोविड-19 की वजह से पूरे विश्व की रफ्तार बंद हो गई थी। इससे पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ था। इस काल ने सभी को वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ पर्यावरण की अहमियत को भी जाहिर कर दिया है।

प्रिसिपल नीलम सलवान, फनलैंड पब्लिक स्कूल

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