Punjab New Cabinet Minister: विरोध के बावजूद राणा गुरजीत की कैबिनेट में एंट्री से विरोधी पस्त

राणा गुरजीत सिंह की कैबिनेट में एंट्री होने से समर्थकों में खुशी की लहर है। कैबिनेट मंत्रियों की फाइनल की गई सूची पर सवाल उठाने से विधायक सुखपाल खैहरा एवं नवतेज सिंह चीमा को इस कदम से सियासी आघात लग सकता है।

By Edited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:20 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 09:37 PM (IST)
Punjab New Cabinet Minister: विरोध के बावजूद राणा गुरजीत की कैबिनेट में एंट्री से विरोधी पस्त
रविवार को मंत्री पद की शपथ लेते हुए कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत।

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला। आप से बागी होकर कांग्रेस में आए सुखपाल सिंह खैहरा की अगुआई में दोआबा के सात विधायकों के सख्त विरोध की वजह शपथ ग्रहण के अंतिम पलों तक राणा गुरजीत सिंह की कैबिनेट में शमूलियत को लेकर संशय बना रहा। तमाम विरोधों के बावजूद राणा गुरजीत के चरणजीत सिंह चन्नी की अगुआई वाली पंजाब सरकार में शामिल किए जाने से विरोधियों को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस हाईकमान की ओर से कैबिनेट मंत्रियों की फाइनल की गई सूची पर सवाल उठाने से विधायक सुखपाल खैहरा एवं नवतेज सिंह चीमा को इस कदम से सियासी आघात लग सकता है।

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले 15 कैबिनेट मंत्रियों की सूची शनिवार को फाइनल हो गई थी। रविवार को भुलत्थ के विधायक सुखपाल खैहरा एवं सुल्तानपुर लोधी के एमएलए नवतेज सिंह चीमा समेत सात विधायकों की तरफ से मीडिया से बातचीत दौरान राणा गुरजीत सिंह को दागी बताते हुए उन्हें कैबिनेट में शामिल किए जाने का विरोध जताया गया। खैहरा व चीमा की तरफ से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के घर पर मुलाकात कर उन्हें सातों विधायकों की तरफ से तैयार एक पत्र भी सौंपा गया लेकिन इसके बावजूद राणा का नाम नही हटाया गया।

कैबिनेट मंत्री बनने के बाद राणा गुरजीत सिंह को बधाई देते हुए उनके समर्थक।

कांग्रेसी हलकों में यह भी माना जाता है कि खैहरा की कांग्रेस में एंट्री पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रेरणा से हुई थी और नवतेज सिंह चीमा का खैहरा के साथ जाने से वह भी मंत्री की दौड़ से पिछड़ गए। वहीं, राणा गुरजीत सिंह की ओर से चन्नी व सिद्धू के पक्ष में आने से ही वह कैबिनेट का हिस्सा बनने में कामयाब रहे। सुखपाल सिंह खैहरा व उनके समर्थकों की तरफ से राणा का विरोध शुरु किए जाने की वजह से फिलहाल दोआबा में कांग्रेस दो गुटों में बटती दिखाई देने लगी है। लेकिन राणा को क्लीनचिट मिलने के बाद भी कांग्रेसी विधायकों की तरफ से इसे मुद्दा बनाए जाने से एक बार फिर से कांग्रेस का अक्स धमिल हुआ है। इस कारवाई को कांग्रेस हाईकमान को भी चुनौती के रुप में देखा जा सकता है।

भुलत्थ से आप की टिकट पर चुनाव जीतने वाले सुखपाल सिंह खैहरा ने विधानसभा में नेता विपक्ष बनाए जाने के कुछ समय बाद ही केजरीवाल खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। फिर वह आप से अलग हो गए और पंजाब एकता पार्टी का गठन किया। लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद खैहरा पंजाब की सियासत से हाशिए पर चले गए। खैहरा की विधायकी खत्म करने के लिए आप ने काफी जदोजहद की, लेकिन कैप्टन सरकार ने उनकी विधायकी को बरकरार रखा। इसके चलते कुछ माह पूर्व खैहरा ने तीन अन्य विधायकों के साथ कैप्टन की अगुआई में कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। 

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