शहर दरबारः सफाई मुलाजिमों की हड़ताल पर हो रही राजनीति से डिप्टी मेयर ने बनाई दूरी

सफाई मुलाजिमों की हड़ताल को बावा हैनरी भी समर्थन दे रहे हैं लेकिन बाकी विधायक सिर्फ अपने हिसाब से ही समर्थन दे रहे हैं ताकि न्यूट्रल दिखें।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 02:43 PM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 04:44 PM (IST)
शहर दरबारः सफाई मुलाजिमों की हड़ताल पर हो रही राजनीति से डिप्टी मेयर ने बनाई दूरी
शहर दरबारः सफाई मुलाजिमों की हड़ताल पर हो रही राजनीति से डिप्टी मेयर ने बनाई दूरी

जालंधर [जगजीत सुशांत]। सफाई मुलाजिमों की हड़ताल से जो पूरी तरह से अलग रहा वह डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी हैं। पंजाब सफाई मजदूर फेडरेशन के आह्वान पर आउटसोर्स पर भर्ती के खिलाफ हड़ताल को लेकर खूब राजनीति हो रही है लेकिन बंटी इस सबसे बेपरवाह हैं। पूरी लड़ाई में सबसे ज्यादा इंवॉल्वमेंट मेयर जगदीश राजा और उनके करीबी विधायक राजिंदर बेरी की है। बावा हैनरी भी समर्थन दे रहे हैं लेकिन बाकी विधायक सिर्फ अपने हिसाब से ही समर्थन दे रहे हैं ताकि न्यूट्रल दिखें। लेकिन डिप्टी मेयर ने अब तक पूरे मामले से दूरी बनाई हुई है। डिप्टी मेयर बंटी को तेजतर्रार नेता माना जाता है। अफसरशाही में उनकी पकड़ उनके उस्ताद तजिंदर बिट्टू जैसी ही है जिनके पास हर समस्या की काट मिल जाती है। लेकिन इस मामले में बंटी मेयर को कोई सहयोग नहीं दे रहे हैं। हड़ताल के दौरान वह एक बार भी निगम ऑफिस में नहीं आए।

बेरी वर्सेस ग्रेवाल

नगर निगम में सफाई मुलाजिमों की हड़ताल विधायक राजिंदर बेरी बनाम प्रधान चंदन ग्रेवाल लग रही है। सफाई मजदूर फेडरेशन के प्रधान चंदन ग्रेवाल का विधायक बेरी के साथ &6 का आंकड़ा है। ग्रेवाल एक समय कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे और इसके लिए विधायक राजिंदर बेरी ने ही प्रयास किए थे। लेकिन कुछ कारणों से चंदन की कांग्रेस में एंट्री नहीं हो पाई। तब से ही निगम का हर मुद्दा बेरी बनाम चंदन हो जाता है। बेरी के खिलाफ चंदन कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं छोड़ते जिससे बेरी को नुकसान पहुंच सकता हो। चंदन ग्रेवाल ने संडे मार्केट हटाने का विरोध भी विधायक बेरी के कारण ही किया था। हालांकि इस मामले में नगर निगम के कड़े रुख के बाद संडे मार्केट को हटा दिया गया। अब चंदन के हाथ आउटसोर्स पर सीवरमैन रखने का मामला लग गया और उन्होंने निगम में कामकाज ठप कर दिया है।

अफसरों की मुस्कुराहट

नगर निगम में सफाई मुलाजिमों की हड़ताल से अफसरों की मुस्कुराहट बढ़ गई है। खासकर इमरजेंसी में बुलाई गई हाउस की मीटिंग में तो अफसरों के चेहरों की रौणक देखने लायक थी। पहली बार अफसर डरे सहमे होने की बजाए सुर्ख चेहरों के साथ पहुंचे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि अफसरों से कोई जवाब-तलबी नहीं होनी थी बल्कि वह तमाशबीन की भूमिका में थे। आमतौर पर हाउस की मीटिंग से गायब होने का बहाना ढूंढऩे वाले अफसर मीटिंग शुरू होने से पहले ही मुस्कुराते चेहरे लेकर टाउन हॉल में पहुंच गए थे। पता था कि राजनीतिक लड़ाई में उन्हें कोई जवाब नहीं देना। कई तो मींटिंग में मेयर और अन्य नेताओं के चेहरे देखने आए थे जो मजदूरों की हड़ताल के कारण लाल हो रखे थे। मीटिंग हुई रणनीति बनी पर किसी भी अधिकारी से कोई जवाब तलबी न होने से वे बेहद खुश होकर मीटिंग से बाहर निकले।

प्रमोशन नहीं तो काम नहीं

बात नगर निगम के सुपरिंटेंडेंट की है। वह बार-बार प्रमोशन की मांग कर रहे हैं लेकिन सफलता ना मिलने पर नाराज हो जाते हैं। उन्हें प्रमोट करने का प्रस्ताव हाउस में पास करके तीसरी बार पंजाब सरकार को भेजा गया था। पंजाब सरकार ने इसे झुनझुने के साथ वापस भेज दिया। बस फिर क्या था सुपरिंटेंडेंट सुनील खुल्लर नाराज हो गए और अगले दिन ही लंबी छुट्टी की एप्लीकेशन भेज कर घर बैठ गए। वह एजेंडा ब्रांच के सुपरिंटेंडेंट हैं। नाराज इस बात से हैं कि उनके जूनियर आगे निकल गए हैं लेकिन तकनीकी कारणों से उन्हें प्रमोशन नहीं मिल रही। कई बार वह पहले भी गुस्सा में उल्टी सीधी बातें कर चुके हैं। अब हड़ताल के कारण नगर निगम की आपात बैठक बुलाई गई तो उन्हें फिर वापस बुलाया गया। वह दौड़े आए, अभी नाराजगी दूर नहीं हुई है लेकिन काम के करिंदे हैं इसलिए मोर्चा संभाल लिया।

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