डीसी का चौंकाने वाला बयान, बोले- जिले में इस समय कोरोना के 15 हजार मरीज संभव
डीसी ने शहरवासियों के लिए जारी वीडियो संदेश में खुलकर बात रखी। उन्होंने कहा कि जिले में अब तक कोरोना से 25 मौतें हुई हैं। इस लिहाज से विशेषज्ञ 15000 मरीज होना संभव बता रहे हैं।
जालंधर, जेएनएन। जिले में लगातार बढ़ते कोरोना वायरस मरीजों के बीच डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने चौंकाने वाली जानकारी दी है। डीसी ने कहा कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो जिले में 25 मौतों के लिहाज से 15 हजार कोरोना मरीज हो सकते हैं, जबकि हम अभी एक हजार से थोड़े ज्यादा ही मरीज ढूंढ सके हैं। उन्होंने कहा कि महामारी का फॉर्मूला स्पष्ट है कि एक मौत को छह सौ से गुणा कर लो, उतने मरीज माने जाते हैं।
शहर वासियों के नाम वीडियो संदेश जारी कर डीसी घनश्याम थोरी ने कहा कि महामारी यानी एपिडेमिक का नेचर है कि जितने भी मरीज आप ढूंढ़ोगे, उससे ज्यादा ही होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को चिंता करने की कतई जरूरत नहीं है। राज्य स्तर पर सेहत माहिरों ने भी कहा है कि हमें पॉजीटिव केसों से नहीं घबराना है। हमारी प्राथमिकता कोरोना वायरस से होने वाली मौतें रोकना है। इसके लिए उन्हें ढूंढ़कर सही समय पर इलाज देना जरूरी है। हमारी प्राथमिकता हर हाल में कोरोना से मौतें रोकना है। यही वजह है कि हम लगातार कंटेनमेंट व माइक्रो कंटेनमेंट जोन में सैंपलिंग कर रहे हैं। उनके बाहर भी सेहत विभाग की टीमें काम कर रही हैं।
साढ़े चार दिन में हो रही मौतें
डीसी घनश्याम थोरी ने कहा कि कोरोना को हलके में कतई न लें, यह बीमारी समय नहीं देती। अगर कोई लक्षण आता है तो तुरंत फ्लू कार्नर में जाकर अपना टेस्ट कराएं। खासकर, 60 साल से ज्यादा बुजुर्ग व पहले से ही किसी अन्य बीमारी से पीड़ित लोग हलके लक्षणों को भी नजरअंदाज न करें। उन्होंने कहा कि अभी तक हुई मौतों में यह देखने को मिला है कि कोरोना का पता चलने के साढ़े चार दिन बाद ही मरीज की मौत हो गई। जिले में मरे सभी लोगों को पहले से शुगर, किडनी, लीवर, सांस की तकलीफ, हाइपरटेंशन, आंतों आदि से जुड़ी बीमारियां थीं।
एपिडेमोलॉजिस्ट का कहना है कि हमे कोरोना की पहचान होने व उससे मौत के बीच के समय को बढ़ाकर सात दिन करना है। यही तभी संभव है जब लोग अपनी जांच कराएं।
महामारी से निपटने में दें सहयोग
डीसी घनश्याम थोरी ने कहा कि हम पूरी कोशिश कर रहे कि जिले में कोरोना मरीजों को समुचित इलाज मिले लेकिन हमें पूरा सहयोग नहीं मिल रहा। खासकर, इलाके के पार्षदों से उनकी अपील है कि वह सहयोग करें। जनप्रतिनिधि होने के नाते ऐसे मुश्किल वक्त में उनकी भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। अगर किसी पार्षद को कोई दिक्कत हो तो वह हमें बताए या कंटेनमेंट या माइक्रो कंटेनमेंट जोन में तैनात टीमों या एसीपी व एसडीएम से भी तालमेल कर सकते हैं।
मिल-जुलकर महामारी का मुकाबला करना होगा
उन्होंने घर-घर जाकर सर्वे कर रही आशा वर्करों को भी सहयोग न मिलने की बात कही। डीसी ने कहा कि आशा वर्कर्स खुद को खतरे में डालकर काम कर रही हैं, इसलिए जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा भी फर्ज है कि हम उन्हें सहयोग दें। उन्होंने कहा कि पहले आगरा व बैंगलोर मॉडल की बात हो रही थी। वहां मरीज भले कम हों लेकिन मृत्यु दर सात फीसद तक पहुंच चुकी है, ऐसे में हमें आपस में मिलकर महामारी का मुकाबला करना होगा।