कच्चे माल की बढ़ी कीमतों से इंडस्ट्री में संकट

कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से इंडस्ट्री पर संकट छाया हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 07:30 AM (IST)
कच्चे माल की बढ़ी कीमतों से इंडस्ट्री में संकट
कच्चे माल की बढ़ी कीमतों से इंडस्ट्री में संकट

जागरण संवाददाता, जालंधर

कच्चा माल किसी भी उद्योग की रीढ़ है। कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से उत्पाद का मूल्य बढ़ जाता है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार तक में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। कोविड-19 से पैदा हुई परिस्थितियों ने न केवल लागत मूल्य को बढ़ा दिया है, बल्कि तैयार माल की बिक्री पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। एमएसएमई सेक्टर तो कोविड-19 काल के दौरान बुरी तरह से प्रभावित है। जालंधर की पाइप फिटिग इंडस्ट्री कोविड-19 काल के दौरान बेहद संकट से घिरी हुई नजर आ रही है। दैनिक जागरण ने पाइप फिटिग इंडस्ट्री का हाल जानने के लिए कुछ प्रमुख उद्योगपतियों से बातचीत की।

सन मैलेबल के विशाल गौतम ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 काल के दौरान कच्चे माल की कीमतों में हुई 75 फीसद तक की बढ़ोतरी ने इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित किया है। कच्चे माल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहा है जो इंडस्ट्री में स्थिरता नहीं आने दे रहा है। अधिकांश मेट्रो शहर लाकडाउन का सामना कर रहे हैं, इसलिए उद्योग को तैयार माल बेचने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एमएसएमई क्षेत्र आर्थिक तंगी से अभी भी इससे उबरने की कोशिश कर रहा है। इस कठिन समय में उद्योग सरकार के साथ खड़ा है, क्योंकि ये असामान्य स्थितियां हैं। कोई भी सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। सरकार को सुझाव है कि वह पूर्ण लाकडाउन लगाए, क्योंकि अधिकांश बाजार बंद हैं।

जूपिटर मेटल इंडस्ट्रीज के संजय मेहता ने कहा कि देशभर में लाकडाउन की स्थिति उत्पन्न हो जाने से तैयार माल बिक नहीं पा रहा है और पेमेंट भी नहीं आ रही है। श्रमिकों को काम देने के लिए कारखाने चलाने पड़ रहे हैं और कच्चे माल की महंगी दरों पर खरीद भी करनी पड़ रही है। श्रमिकों को वेतन अदायगी भी करनी पड़ रही है। इसके अलावा बिजली के बिल, टैक्स आदि फिक्स्ड खर्चे भी जारी हैं, जिस वजह से इंडस्ट्री पूरी तरह से आर्थिक संकट से घिरी हुई है।

एचबी इंडस्ट्रीज के मनिदर सिंह मैंगी ने कहा कि कच्चे माल की कीमतें आसमान छू रही हैं। इससे उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हो चुकी है और उसमें स्थिरता भी नहीं आ पा रही है। कोरोना के कारण बाजार बंद पड़े हुए हैं। बिक्री हो नहीं पा रही है और पेमेंट भी नहीं आ रही है।

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