Coronavirus Vaccination ः जालंधर में वैक्सीन पर बुजुर्गों ने जताया भरोसा, दूसरे दिन बड़ी संख्या में जिंदगी की डोज लेने पहुंचे
जालंधर में कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के दूसरे दिन बड़ी संख्या में बुजुर्ग वैक्सीन लगवाने सरकारी अस्पताल में पहुंचे। सिविल अस्पताल में तो वैक्सीन लगवाने के लिए लाइनें भी लगवानी पड़ी। भीड़ के चलते कोरोना से बचाव के लिए बनाई नीतियों की भी धज्जियां उड़ती नजर आई।
जालंधर, जेएनएन। जालंधर में अफवाहों के कारण भले ही फ्रंटलाइन व हेल्थ वर्कर्स वैक्सीन लगवाने के लिए कम पहुंच रहे हैं लेकिन जालंधर के बुजुर्गों ने वैक्सीन पर पूर्ण भरोसा जताया है। तीसरे चरण के दूसरे दिन बड़ी संख्या में बुजुर्ग वैक्सीन लगवाने सरकारी अस्पताल में पहुंचे। हालांकि इस दौरान सर्वर की समस्या आड़े आई लेकिन बुजुर्गो के जोश में कोई कमी नहीं आई। वे सरकार व सेहत विभाग के प्रयासों की सराहना करते नजर आए कि इतने कम समय में उन तक वैक्सीन पहुंचा दी।
सिविल अस्पताल में तो वैक्सीन लगवाने के लिए लाइनें भी लगवानी पड़ी। भीड़ के चलते कोरोना से बचाव के लिए बनाई नीतियों की भी धज्जियां उड़ती नजर आई। मौके का जायजा लेने के लिए सिविल सर्जन डा. बलवंत सिंह, सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. परमिंदर कौर व जिला टीकाकरण अधिकारी डा. राकेश चोपड़ा ने बुजुर्गो की भीड़ देखी तो स्टाफ की संख्या बढ़ाई। कोविन एप के सर्वर पर देशभर से रजिस्ट्रेशन होने के कारण हैवी लोड रहा। उस कारण जालंधर में महज 139 बुजुर्गो को ही वैक्सीन लग पाई। हालांकि पहले दिन से यह आंकड़ा आठ गुणा ज्यादा है।
उम्मीद की जा रही हैं कि आने वाले दिनों में यह संख्या तेजी से बढ़ सकती हैं। 60 साल से अधिक आयु के बुजुर्गो के अलावा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 से 59 साल वाले लोगों का भी अस्पतालों में तांता लगा रहा। हालांकि उनके हाथ निराशा लगी। इस कैटेगरी में सिर्फ चार लोग ही वैक्सीन लगवा पाए। पूरे दिन में कुल 777 लोगों को वैक्सीन लगी जिनमें फ्रंटलाइन व हेल्थ वर्कर्स शामिल रहे।
उधर, निजी अस्पतालों में भी वैक्सीनेशन का श्रीगणोश हो गया। मंगलवार को सिर्फ ग्लोबल अस्पताल में डोज लगाई गई। पूरे प्रदेश में आई सर्वर की समस्या: सिविल सर्जन ने बताया कि नेटवर्किंग की समस्या पूरे पंजाब में चल रही थी। सरकारी सेंटरों में कामकाज की स्पीड धीमी और निजी अस्पतालों के सेंटरों में काम नहीं चल पाया। नेटवर्किंग की समस्या के चलते निजी अस्पतालों के प्रबंधक परेशान रहे।
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