कोरोना थमने से विकास कार्यो को मिलेगी गति, 1200 करोड़ के चल रहे प्रोजेक्ट

कोरोना की दूसरी लहर के कारण थम चुके विकास कार्यो को अब गति मिलने की उम्मीद है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 07:10 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 07:10 AM (IST)
कोरोना थमने से विकास कार्यो को मिलेगी गति, 1200 करोड़ के चल रहे प्रोजेक्ट
कोरोना थमने से विकास कार्यो को मिलेगी गति, 1200 करोड़ के चल रहे प्रोजेक्ट

जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना की दूसरी लहर के कारण थम चुके विकास कार्यो को अब गति मिलने की उम्मीद है। कोरोना वायरस संक्रमण केस कम होने के साथ के साथ ही विधायकों की चिता अब कम होने लगी हैं। पिछले साल लाकडाउन के कारण कई काम रुक गए थे और जब काम पटरी पर आने लगा तो दूसरी लहर आ गई। अब दूसरी लहर कमजोर पड़ गई तो शहर में 1200 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्याें को गति मिलने की उम्मीद है। इन विकास कार्यो में सरफेस वाटर प्रोजेक्ट, एलईडी स्ट्रीट लाइट्स, 120 फुट रोड का बरसाती सीवर, करीब 350 सड़कें, पार्क, चौक सुंदरीकरण, स्मार्ट स्कूल, सीवरेज, वाटर सप्लाई के काम शामिल हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी के भी कई काम पाइपलाइन में हैं। इनमें रैणक बाजार में तारों की डक्टिंग, गुरु नानक देव लाइब्रेरी की डिजिटलाइजेशन, कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलेशन वेस्ट प्लांट, बायोमाइनिग से कूड़ा खत्म करने का प्रोजेक्ट, स्मार्ट रोड, ब‌र्ल्टन पार्क में मल्टीपर्पज स्टेडियम प्रमुख है। ये सभी काम ग्राउंड लेवल पर नजर आएंगे तो ही मौजूदा विधायकों के लिए राहत होगी क्योंकि आठ महीने बाद चुनाव है। ऐसे में सभी विधायक व पार्षद चाहते हैं कि इन विकास कार्यो का एक ग्राउंड तैयार हो जाए, जिसे दिखाकर वे जनता के बीच जा सकें।

----------------------------------------------------- सरफेस वाटर प्रोजेक्ट

97 में से सिर्फ तीन किलोमीटर पाइप ही डली

800 करोड़ रुपये के सरफेस वाटर प्रोजेक्ट से शहर में सतलुज दरिया के पानी की 24 घंटे सप्लाई होनी है। शहर में पानी पहुंचाने के लिए मेन पाइपलाइन का 97 किलोमीटर लंबा नेटवर्क बिछाया जाना है। अभी तक सिर्फ तीन किलोमीटर लाइन ही डाली गई है। आदमपुर के गांव जगरावां में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और दो दिन की क्षमता वाले अंडरग्राउंड वाटर स्टोरेज टैंक का काम भी गति नहीं पकड़ पाया है। कंपनी को काम के लिए लेबर की कमी झेलनी पड़ रही है। दूसरी लहर जब पीक पर रही तो करीब डेढ़ महीने एक्सप‌र्ट्स की टीम का शेडयूल भी बिगड़ा रहा। हालांकि शहर में पाइपलाइन डालने का काम आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर धीमी गति से ही चलेगा क्योंकि इससे सड़कें टूटेगी और नाराजगी बढ़ेगी। विधायकों ने सिर्फ 28 किलोमीटर इलाके में सड़कें बनाने की सहमति दी है लेकिन फिलहाल इतना काम होता भी नजर नहीं आ रहा।

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एलईडी स्ट्रीट लाइट्स प्रोजेक्ट

45 फीसद काम ही हुआ

शहर में 44 करोड़ से 70 हजार एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का काम अभी 45 प्रतिशत ही हो पाया है। यह काम भी काफी धीमा चल रहा है। नगर निगम कमिश्नर ने ठेका कंपनी से इस पर नाराजगी भी जताई है। कोविड के कारण दिल्ली से लाइट्स आने में मुश्किल आई। उससे पहले किसान आंदोलन के कारण दिल्ली बार्डर बंद रहने से कंपनी का काम रुका रहा था। पार्षदों ने भी मेयर जगदीश राजा से कंपनी की वर्किंग को लेकर नाराजगी जताई है क्योंकि यह मामला सीधा पब्लिक को मिलने वाली सुविधा से जुड़ा है। पुरानी लाइट्स के रखरखाव का काम देखने वाले दो जोन के ठेकेदार भी काम छोड़ चुके हैं। ऐसे में शहर के कई इलाकों में व्यवस्था बिगड़ी हुई है। शहर की मेन रोड समेत कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट गुल रहती है। यहां तक कि शिकायतों का भी निपटारा नहीं हो पा रहा।

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120 फुट रोड

30 जून थी डेडलाइन, मानसून के बाद ही होगा पूरा

120 फुट रोड पर बरसाती सीवरेज का काम 30 जून तक पूरा करने का लक्ष्य था लेकिन अब यह काम मानसून से पहले नहीं हो पाएगा। एक बार फिर 120 फुट रोड पानी में डूबना तय है। करीब 21 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में 80 प्रतिशत काम हो चुका है लेकिन कोविड-19 के कारण ही कई काम रह गए। बाबू जगजीवन राम चौक में 10 लाख लीटर क्षमता वाला अंडरग्राउंड वाटर टैंक 80 प्रतिशत पूरा है लेकिन पानी को काला संघिया ड्रेन तक पहुंचाने के लिए लगाया जाने वाला पंपिंग सेट कोविड-19 के कारण देरी से मिल रहा है। इसे इंस्टाल करने में अभी समय लगेगा और बिजली का कनेक्शन भी नहीं मिला है। बरसात के दिनों में 120 फुट रोड पर ट्रैफिक बंद हो जाता है। इस बार 120 फुट रोड से काला संघिया ड्रेन तक सड़क खोदी गई है। ठेका कंपनी इन खोदी गई सड़कों को बनाने में जुट गया ताकि बरसात में लोगों को परेशानी ना रहे।

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सड़कें,

हर दिन बनानी होगी तीन सड़कें, अभी एक भी नहीं बन रही

नगर निगम के लिए सबसे बड़ी चुनौती 350 सड़कों के निर्माण की है। कोविड-19 के कारण सड़कों के काम में देरी हुई है और पिछले समय के दौरान पास किए गए कार्यो में से अभी भी 200 सड़कों के काम होने हैं। 150 लड़कों के नए टेंडर लगाए गए हैं जो अभी अलाट नहीं हुए हैं। ऐसे में मानसून और सर्दियों के बीच के समय में ही यह काम पूरा करना होगा। इस हिसाब से निगम को चुनाव ये पहले सड़कें बनाने का काम पूरा करने के लिए करीब 120 दिन ही मिल पाएंगे। मानसून और सर्दियों के कारण काफी समय निकल जाएगा। निगम को औसतन एक दिन में तीन सड़कें बनानी होंगी। नगर निगम की लिस्ट में करीब 40 ठेकेदार हैं। इन सभी के लिए करीब एक सौ 20 दिनों में 350 सड़के बनाना बड़ी चुनौती रहेगा।

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