CoronaVirus: जालंधर में पहले कोरोना टेस्ट, उसके बाद ही मरीज को अस्पताल में किया जा रहा दाखिल

कोरोना की दहशत हर वर्ग में है। बचाव के लिए तकरीबन सभी संस्थान सुरक्षा को लेकर मापदंड लागू करने लगे है। नान कोविड मरीजों को दाखिल करने से पहले निजी अस्पताल में इन दिनों कोरोना के टेस्ट को अनिवार्य कर दिया गया। इससे मरीज और उनके परिजन खासे परेशान है।

By Edited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 08:01 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 08:01 AM (IST)
CoronaVirus: जालंधर में पहले कोरोना टेस्ट, उसके बाद ही मरीज को अस्पताल में किया जा रहा दाखिल
कोरोना की दहशत हर वर्ग में है। बचाव के लिए सभी संस्थान सुरक्षा को लेकर मापदंड लागू करने लगे है।

जालंधर, जेएनएन।  कोरोना की दहशत हर वर्ग में है। बचाव के लिए तकरीबन सभी संस्थान सुरक्षा को लेकर मापदंड लागू करने लगे है। नान कोविड मरीजों को दाखिल करने से पहले निजी अस्पताल में इन दिनों कोरोना के टेस्ट को अनिवार्य कर दिया गया। इससे मरीज और उनके परिजन खासे परेशान है। हालांकि कई अस्पतालों में मरीज के लक्षणों के आधार पर ही टेस्ट किए जाते है। सिविल अस्पताल व ईएसआई अस्पताल में ओपीडी में जांच करवाने वाले ज्यादातर मरीजों के कोरोना जांच के लिए सैंपल लिए जाने लगे हैं।

डाक्टरों की माने तो ऐसा कोई सरकारी फरमान नहीं लेकिन खुद की, स्टाफ व अन्य मरीजों की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए जा रहे है। पेट में दर्द और उलटी आने के बाद हालत बिगड़ने पर जीटीबी नगर से मरीज को जालंधर निजी अस्पताल में लाया गया। मरीज के परिजन र¨वदर कुमार ने बताया कि दाखिल करते ही उनका इलाज शुरू करवा दिया और साथ ही कोरोना के रेपिड और आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने के लिए फार्म पर सहमति ले ली। रेपिड टेस्ट निगेटिव निकला। मरीज को इलाज के लिए कमरे में रखा गया। अस्पताल के डायरेक्टर डा. अमित ¨सघल कहते है कि अस्पताल के स्टाफ और वहां दाखिल अन्य मरीजों की सुरक्षा के लिए टेस्ट करवाए जाते है।

अगर मरीज का रेपिड टेस्ट पाजिटिव आ जाए तो कोविड केयर सेंटर में रेफर कर दिया जाता है। अगर रेपिड नेगिटिव आ जाए तो मरीज का इलाज शुरू कर उसका आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया जाता है। अगर वह पाजिटव आ जाए तो मरीज को रेफर कर दिया जाता है। इसके बाद स्टाफ व कमरे को नीतियों के अनुसार सैनिटाइजर करवा दिया जाता है।

तीन भागों में बांटा गया है अस्पताल

कोविड, संदिग्ध अथवा ग्लोबल अस्पताल के डायरेक्टर डा. धीरज भाटिया का कहना है कि अस्पताल को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। कोविड, संदिग्ध कोविड व नान कोविड श्रेणियों में बांटा है। मरीज को संदिग्ध कोरोना वाली श्रेणी में रख कर इलाज किया जाता है। अगर रिपोर्ट नेगेटिव आई तो नान कोविड। पिछले दिनों न्यू जवाहर नगर से एक मरीज को सीने में दर्द उठने के बाद दाखिल किया गया था। उसके बाद उसकी गहन जांच पड़ताल के बाद हलकी खांसी होने पर उसका रेपिड टेस्ट किया गया जो नेगेटिव आया। उसे नान कोविड आईसीयू में रख कर इलाज शुरू किया। ईएसआइ अस्पताल में हर किसी का टेस्ट किया जा रहा। ईएसआई अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. सुधा शर्मा का कहना है कि अस्पताल में ओपीडी में आने वाले तकरीबन सभी मरीजों के टेस्ट किए जा रहे है। वार्ड में भी दाखिल मरीजों के सैंपल भी लिए जा रहे है। पाजिटिव आने पर उन्हें सिविल में शिफ्ट करते है और वार्ड को सैनिटाइज करते हैं।

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