कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का सुखबीर पर पलटवार, बोले- दलित डिप्टी सीएम ही क्यों, सीएम क्यों नहीं?

श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस मनीष तिवारी ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पहचान की सियासत से दूर रहने की सलाह दी है। वह छोटे राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सामाजिक न्याय के गलत इस्तेमाल के सख्त खिलाफ हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 05:52 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 05:52 PM (IST)
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का सुखबीर पर पलटवार, बोले- दलित डिप्टी सीएम ही क्यों, सीएम क्यों नहीं?
श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सासंद मनीष तिवारी की फाइल फोटो।

रूपनगर, जेएनएन। श्री आनंदपुर साहिब के सांसद और पूर्व केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पहचान की सियासत से दूर रहने की सलाह दी है। उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री के अकाली दल के वर्ष 2022 में सत्ता में आने पर दलित समुदाय के व्यक्ति को डिप्टी सीएम बनाने के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सांसद तिवारी ने सुखबीर से सवाल पूछा है कि क्यों दलित को सिर्फ उपमुख्यमंत्री ही बनाया जा सकता है, वह मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता?  या फिर क्या टॉप की पोजीशन किसी के लिए पक्के तौर पर तय है?

तिवारी ने कहा कि जब पहचान की सियासत की बात चलाई जाती है तो स्पष्ट तौर पर लोग पूछेंगे कि क्यों एक हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है। या फिर ओबीसी समुदाय से संबंधित कोई व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता है। उन्होंने सुखबीर को चेतावनी देते हुए कहा कि पहचान की सियासत देश और हमारी सभ्यता के लिए समस्या बन चुकी है। यह पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के तीन शब्दों पर टिकी पंजाब की विचारधारा के खिलाफ है। श्री गुरु नानक देव जी ने "मानस की जात सभे एक पहचानबो" का संदेश दिया था। सिख धर्म की स्थापना भी आपसी समानता के विचारों के आधार पर हुई है। उन्होंने कहा कि विदेश में रहने वाले लाखों पंजाबी वहां सिर्फ इसलिए रह रहे हैं और काम कर रहे हैं क्योंकि उन देशों ने ऊंच-नीच रहित समाज का ढांचा बनाया है, जहां व्यक्ति की सफलता या विफलता उसकी मेहनत से तय होती है ना कि उसकी चमड़ी के रंग, धर्म या फिर राष्ट्रीयता के आधार पर।

सांसद तिवारी ने कहा कि राज्य की टॉप पोजीशन पर किस व्यक्ति को होना चाहिए, यह उस आधार पर तय होना चाहिए कि राज्य तरक्की करे और लोगों के जीवन स्तर में सुधार आए। उन्होंने कहा कि वह सामाजिक न्याय पर पूरी तरह विश्वास रखते हैं लेकिन प्रतीकवाद के लिए और छोटे राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सामाजिक न्याय के गलत इस्तेमाल के सख्त खिलाफ हैं।

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