Talk of the town: कांग्रेसी विधायक ने प्रीमियम पर खरीदे शहर के दो शराब ग्रुप!
शहर के दो शराब ग्रुप सरकार से अलॉट होने के बाद अब आगे प्रीमियम पर भी बिक गए हैं। चर्चा इस बात की है कि लाखों रुपये का प्रीमियम देकर शराब ग्रुप खरीदने वाले कांग्रेसी विधायक है।
जालंधर, जेएनएन। शहर के दो शराब ग्रुप सरकार से अलॉट होने के बाद अब आगे प्रीमियम पर भी बिक गए हैं। चर्चा इस बात की है कि लाखों रुपये का प्रीमियम देकर शराब ग्रुप खरीदने वाला एक कांग्रेसी विधायक है। पड़ोसी जिले के विधानसभा हलके का प्रतिनिधित्व करने वाले इस कांग्रेसी विधायक के जालंधर में बिजनेस में प्रवेश कर जाने से शहर के शराब ठेकेदारों में असंतोष नजर आ रहा है। वहीं, आबकारी विभाग में संबंधित शराब ग्रुपों को ट्रांसफर करने से संबंधी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिन दो शराब ग्रुपों (चीमा चौक एवं दीप नगर) को प्रीमियम पर आगे बेचे जाने की चर्चा है, उन दोनों के ही संचालक दूसरे राज्यों में शराब का कारोबार कर रहे हैं।
आबकारी विभाग की नीति के मुताबिक इस वर्ष शहर के 29 शराब ग्रुप ठेकेदारों की तरफ से रिन्यू करवा लिए गए थे। बाकी बचे 18 शराब ग्रुपों को अलॉट करवाने में ठेकेदारों की तरफ से कोई रुचि नहीं दिखाई गई थी। विभाग की तरफ से तीन बार पेंडिंग शराब ग्रुपों को अलॉट करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन सिरे नहीं चढ़ सकी। हर बार सरकारी फीस में भी कटौती की गई और अंत में लगभग 15 फीसद डिस्काउंट के साथ पेंडिंग ग्रुपों की अलॉटमेंट सिरे चढ़ सकी, लेकिन 29 शराब ग्रुपों को रिन्यू करवाने वाले ठेकेदारों ने ही कंपनी बनाकर इन 18 ग्रुपों को अलॉट करवाया था। एक तरह से पूरे शहर में 47 ग्रुपों पर कंपनी बनाने वाले ठेकेदार ही काबिज हो गए थे।
इससे यह अटकलें भी लगनी शुरू हो गई थीं कि शहर में एक तरह का शराब सिंडिकेट बन गया है जो मनमर्जी से महंगे रेट पर शराब की बिक्री करेगा। अब दो ग्रुपों के किसी अन्य पार्टी के पास चले जाने से पुराने ठेकेदारों की मोनोपोली टूट जाना तय है। शराब ठेकेदारों में फैले असंतोष की वजह भी यह है कि दो ग्रुपों को खरीदने वाले नए ठेकेदार अपनी मर्जी के मुताबिक फैसला लेने में सक्षम होंगे और यह भी संभव है कि वह कंपनी का हिस्सा न बनें।
ठेकेदारों में व्याप्त असंतोष के हालात यह हैं कि बीते सप्ताह ही कंपनी बनाकर लगभग 100 करोड़ रुपये के पेंडिंग ठेकों का काम अलॉट करवाने के बाद अब इस पर भी विचार किया जाने लगा है कि पेंडिंग ग्रुपों की बनती सरकारी फीस न जमा करवाई जाए। ठेकेदारों का यह भी दावा है कि आबकारी विभाग की तरफ से बकायदा सभी ठेकेदारों को इकट्ठे काम करने के लिए कहा गया था। दो शराब ग्रुप किसी अन्य आदमी के पास चले जाने के बाद विभाग अपने वादे पर पूरा नहीं उतरा है।
वहीं, दूसरी तरफ आबकारी विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सरकार से अलॉट करवाने के बाद प्रीमियम पर आगे बिकने वाले शराब ठेकों की संख्या में इजाफा भी हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि शराब ग्रुपों का आगे किसी के पास ट्रांसफर हो जाना कानूनन सही है। इसमें विभाग फीस लेता है और यह ठेकेदारों की सुविधा के लिए ही है।