जालंधर की कंपनी ने देसी मैटीरियल से तैयार कर रही कोरोना से बचने का हथियार Mask, देशभर में हो रही सप्लाई

जालंधर की इस कंपनी में मास्क तैयार होने के बाद उसे बैक्टीरिया मुक्त रखने के लिए यूवी स्टेरलाइज किया जाता है और फिर बिना हाथ लगाए ही पैक किया जाता है। खरीदार की जरूरत के मुताबिक छह अथवा पांच प्लाई एन-95 मास्क तैयार किए जाते हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 09:51 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 09:51 AM (IST)
जालंधर की कंपनी ने देसी मैटीरियल से तैयार कर रही कोरोना से बचने का हथियार Mask, देशभर में हो रही सप्लाई
सावी इंटरनेशनल ने जालंधर में मास्क का उत्पादन करने वाला पूर्णता स्वचालित यूनिट स्थापित किया है।

जालंधर, जेएनएन। कोरोना की शुरुआत में जिले में 100 फीसद मास्क चीन से आता था। स्वदेशी मास्क न होने से इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा थी। जरूरत थी इस बैरियर को तोडऩे की। तब खेलों के सामान की उत्पादक एवं दुनिया के कई देशों की निर्यातक कंपनी सावी इंटरनेशनल ने यह प्रयास किया। इसका असर यह हुआ कि देसी मैटीरियल से तैयार मास्क ने चीनी मास्क का रास्ता बंद कर दिया। अब जिले में 100 फीसद देसी मैटीरियल से तैयार मास्क ही बिक रहा है। इसका फायदा यह हुआ कि आज एन-95 मास्क 20 रुपये में भी उपलब्ध है।

सावी इंटरनेशनल ने जालंधर में मास्क का उत्पादन करने वाला पूर्णता स्वचालित यूनिट स्थापित किया है। कंपनी के मालिक अशोक वर्मा बताते हैं कि कोरोना काल में जब मास्क को ही बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार माना गया तो सामने आया कि इस बाजार में भी चीन अपना एकाधिकार बनाए हुए है। यही वजह थी कि जरूरत के समय मास्क पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थे और कीमत भी कई गुणा ज्यादा अदा करनी पड़ रही थी। तब लक्ष्य यही रखा गया कि मास्क उत्पादन में एक धागा भी चीन अथवा विदेश का नहीं लगाया जाएगा।

वह बताते हैं कि स्वचालित मशीन से मास्क उत्पादन शुरू किया गया। मास्क तैयार होने के बाद उसे बैक्टीरिया मुक्त रखने के लिए यूवी स्टेरलाइज किया जाता है और फिर बिना हाथ लगाए ही पैक किया जाता है। खरीदार की जरूरत के मुताबिक छह अथवा पांच प्लाई एन-95 मास्क तैयार किए जाते हैं। मौजूदा समय में सावी इंटरनेशनल रोजाना 20 से 25 हजार एन-95 मास्क तैयार कर रहा है। अशोक वर्मा बताते हैं कि फिलहाल पूरी सप्लाई देश के भीतर ही रखी गई है, ताकि कम से कम देश में तो स्तरीय मास्क की किल्लत को दूर करने के लिए कुछ योगदान दिया जा सके।

कोरोना गाइडलाइंस में मास्क को अति जरूरी बताने के बाद बदला समय

बीते वर्ष कोविड-19 शुरू होने से पहले शहर में मास्क उत्पादन बेहद कम ही था, क्योंकि उसकी खपत भी कोई ज्यादा नहीं थी। कोविड से बचाव के लिए आई गाइडलाइंस में मास्क को अति जरूरी बताया गया था, लेकिन स्थानीय उत्पादन न होने की वजह से पहले कुछ महीनों में चीन में ही निर्मित मास्क प्रयोग में लाए गए और उनकी कीमत 200 रुपये प्रति मास्क तक भी रही। दिल्ली एवं मुंबई की कंपनियों की तरफ से चीन से भारी संख्या में मास्क मंगवाए गए और वहीं मास्क पंजाब तक भी पहुंचे। अशोक वर्मा बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर मास्क उत्पादन शुरू होने से कीमतों में लगभग 90 फीसद तक की गिरावट आ चुकी है। इस समय चीन से मास्क मंगवाने की जरूरत ही नहीं बची है।

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