प्रॉपर्टी डीलर को मारने की धमकी दे पचास लाख छीनने वाला एएसआइ छह साथियों सहित गिरफ्तार

आरोपितों ने अर्बन एस्टेट निवासी प्रॉपर्टी डीलर शिशपाल सिंह और उसके बेटे हरलीन को जान से मार देने की धमकी देकर पचास लाख रुपये छीने थे।

By Edited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 07:50 AM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 10:40 AM (IST)
प्रॉपर्टी डीलर को मारने की धमकी दे पचास लाख छीनने वाला एएसआइ छह साथियों सहित गिरफ्तार
प्रॉपर्टी डीलर को मारने की धमकी दे पचास लाख छीनने वाला एएसआइ छह साथियों सहित गिरफ्तार

जालंधर, जेएनएन। सीआइए स्टाफ की पुलिस ने अर्बन एस्टेट निवासी प्रॉपर्टी डीलर शीशपाल सिंह और उसके बेटे हरलीन सिंह को जान से मार देने की धमकी देकर पचास लाख रुपये छीनने वाले छह आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपितों की पहचान पीएपी के एएसआइ परमजीत पाल, भोगपुर के गांव डल्लां निवासी परमजीत सिंह, अर्बन एस्टेट के रणजीत सिंह, बेगमपुरा के कुलविंदर सिंह वालिया, काकी पिंड के विनोद कुमार, काजी मंडी के कुलदीप सिंह उर्फ सोनू और पिंड डल्लां निवासी बचितर सिंह के रूप में हुई है। आरोपितों का नाबालिग साथी फरार है। आरोपितों से 29.70 लाख रुपये बरामद कर लिए गए हैं।

पुलिस कमिश्नर भुल्लर ने बताया कि आठ अगस्त को शीशपाल सिंह ने थाना बारादरी में शिकायत दी थी कि उसके एक जानकार कुलविंदर सिंह वालिया और उसके पास काम करने वाला विनोद कुमार और परमजीत सिंह नाम के व्यक्ति के साथ उसके अर्बन एस्टेट स्थित दफ्तर आए थे। उन्होंने कहा था कि परमजीत सिंह की बेटी को कैंसर है और उसके इलाज के पैसे चाहिए। उन्होंने उसकी 45 हजार रुपये की मदद कर दी।

इसके बाद परमजीत सिंह ने उसके दफ्तर में आना जाना शुरू कर दिया। बाद में उसने कहा कि जीआरपी थाना के पास एक प्लॉट है, जो डेढ़ करोड़ रुपये का है, लेकिन वो उसे एक करोड़ में दिलवा सकते हैं। वह उसकी बातों में आ गया। जमीन का सौदा करने पचास लाख रुपये लेकर लक्कड़ वाला पुल, बैक साइड जीआरपी पहुंचा। साथ में बेटा हरलीन भी था। वहां पर परमजीत के कुछ साथी पहले से ही मौजूद थे। परमजीत ने वहां उसे धमकाना शुरू कर दिया कि यदि उसने पैसे उसे न दिए तो उसे मार डालेगा। वहां एक वर्दीधारी भी खड़ा था। उसने उनके बेटे को जान से मारने की धमकी दी तो उन्होंने पैसे उन्हें दे दिए।

सीआइए प्रभारी हरमिंदर सिंह को मामले की जांच सौंपी गई। जांच में सामने आया कि परमजीत को शीशपाल नहीं जानता था। उसे कुलविंदर सिंह लेकर आया था जो रणजीत सिंह का जानकार था। रणजीत शीशपाल सिंह का अच्छा जानकार था। उसे मालूम था कि शीशपाल के पास काफी पैसे हैं। रणजीत ने उसे लूटने की योजना बनाई थी और कुलविंदर को परमजीत सिंह के साथ भेजा था। परमजीत की कोई बेटी नहीं थी लेकिन फिर भी बेटी को कैंसर का बहाना बनाकर उससे 45 हजार रुपये लिए और संबंध बनाए। उन्हें पता था कि शीशपाल बड़ी प्रॉपर्टी सस्ते में मिलने के लालच में आ जाएगा। योजना के तहत परमजीत ने उसे प्रॉपर्टी के बहाने बुलाया। वहां पहले से ही पीएपी का एएसआइ परमजीत पाल, कुलदीप सिंह और उनका एक नाबालिग साथी मौजूद थे। सभी ने मिलकर उसे धमकाया और लूट लिया।

लूट की योजना बनाने में शामिल बचित्र सिंह बैंक की कैश वैन चलाता है। अगवा कर फिरौती मांगने के मामले में उम्रकैद काट रहा था परमजीत परमजीत पहले भी फिरौती मांगने के मामले में उम्रकैद काट रहा था। टांडा होशियारपुर में परमजीत सिंह ने साथियों के साथ मिलकर सुक्खा रानी नामक महिला का अपहरण कर फिरौती मांगी थी। मामले में उसे 2008 में उम्रकैद हुई थी। 8-1-19 को परमजीत सिंह पैरोल पर आया लेकिन वापस नहीं लौटा। इसके बाद वो माछीवाड़ा में मनप्रीत बनकर रह रहा था। लूट की वारदात के बाद भी वो माछीवाड़ा में ही रह रहा था। जहां से पुलिस ने उसे दो दिन पहले गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताछ के बाद बाकी आरोपितों को भी उनके घरों से गिरफ्तार कर लिया गया।

वहीं, रणजीत सिंह लोगों को लोन दिलवाने के नाम पर ठगी करता था। उसके खिलाफ जालंधर के थाना डिवीजन नंबर दो और फतेहगढ़ साहिब के थाना मुलेपुर में भी धोखाधड़ी का केस दर्ज है। कुलदीप सिंह उर्फ सोनू की संतोषी नगर में मोबाइल की दुकान है। उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट का मामला दर्ज हआ था जिसमें वो जेल गया था। जेल में ही उसकी मुलाकात परमजीत सिंह से हुई थी। बाहर आकर परमजीत ने उससे संपर्क किया और लूट की वारदात में शामिल करवा लिया।

पहले उतारे कर्जे, फिर अय्याशी में उड़ा दिए लाखों रुपये

पुलिस की जांच में सामने आया कि पकड़े सारे आरोपितों पर कर्ज था। उसे उतारने के लिए ही उन्होंने लूट की योजना बनाई थी। पैसे मिलने के बाद सभी ने पैसे बांट लिए। सभी ने अपना कर्ज उतारा और फिर अय्याशी में लाखों रुपये उजाड़ दिए।

मैं पैसे लै के प्लाट लैअ लई गया सी पर ए नई सी पता कि ओत्थे भलाई दे बदले जान देण वाला कम्म हो जाना। जिस बंदे दी धी नूं बचाण लई पैसे दिते, ओस ते विश्वास कर के मैं एडी वड्डी रकम ते आपणा अनमुला मुंडा लै के चला गया। ओत्थे जिदी भलाई कीती सी ओ ही जाण तो मारन लई तैयार सी। ओदी गल्लां सुन के ऐदां लग्गा के जान चली हुण, फेर मेरे मुंडे नूं जान तो मार देण दियां गल्ला करन लग पए। मैं ओनां नू पैसे दे ते नाल ही आपणे मुंडे नूं छड्ड देण लई मिन्नतां पाईयां। मेरां तां विश्वास ही उठ चलया सी भलाई तों, पर पुलिस ने अजेहे बंदयां नूं फड़ के हौंसला वदाया मेरा।

-शीशपाल सिंह

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