निकाय चुनाव में चौधरी ब्रदर्स ने लंबे समय बाद सभी का ध्यान खींचा, एक भाई जीता दूसरे की हवा निकली

जालंधर में निकाय चुनाव में तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले। कहीं पर पर्ची से हार जीत का फैसला हुआ तो कहीं विधायक ने उम्मीदवार को हराने के लिए वार्ड में ही डेरा डाल लिया। विरोधियों ने जितना जोर लगाया चुनाव परिणाम उसके विपरीत निकला और उम्मीदवार जीत गया।

By Vinay kumarEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 09:18 AM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 09:18 AM (IST)
निकाय चुनाव में चौधरी ब्रदर्स ने लंबे समय बाद सभी का ध्यान खींचा, एक भाई जीता दूसरे की हवा निकली
जालंधर में निकाय चुनाव में तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले।

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। हाल ही में हुए निकाय चुनाव में करतारपुर व फिल्लौर कौंसिल के परिणामों ने चौधरी ब्रदर्स ने लंबे समय बाद सभी का ध्यान खींचा है। करतारपुर की कमान विधायक चौधरी सुरिंदर सिंह और फिल्लौर में उनके चाचा चौधरी संतोख सिंह के बेटे बिक्रम चौधरी के हाथ में थीं। करतारपुर में 15 वार्डों में कांग्रेस के छह उम्मीदवार ही जीत पाए, जबकि फिल्लौर में 15 वार्डों में 11 पर कांग्रेसियों ने जीत हासिल की है। फिल्लौर की इस जीत को लेकर बिक्रम तो उत्साहित हैं क्योंकि यह पहला मौका है जब बिक्रम किसी चुनाव में अपने दम पर इतनी सीटें जिता पाए हैं। वह भी तब जब टिकट बंटवारे के समय विरोध व गुटबाजी हावी रही और कई दिग्गज आगाज खड़े हो गए। सत्ता के गलियारे में सियासी पंडित इसे इस रूप में भी देख रहे हैं कि आने वाले समय में सुङ्क्षरदर पर बिक्रम का कद भारी पडऩे वाला है।

पूरी फिल्म ही बाजार में उतार दी, फिर भी हरा नहीं पाए

निकाय चुनाव में तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले। कहीं पर पर्ची से हार जीत का फैसला हुआ तो कहीं विधायक ने उम्मीदवार को हराने के लिए वार्ड में ही डेरा डाल लिया लेकिन नकोदर में एक कांग्रेस उम्मीदवार को हराने के लिए उसके विरोधियों ने उम्मीदवार की अश्लील फिल्म ही बाजार में उतार दी। फिल्म उतारी तो उतारी, उसे मतदान से एक दिन पहले जमकर प्रसारित भी किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा वोटरों तक फिल्म पहुंचे और लोग उसके पक्ष में मतदान न करें। हुआ उल्टा, विरोधियों ने जितना जोर लगाया चुनाव परिणाम उसके विपरीत निकला और उम्मीदवार जीत गया। उसके बाद से विरोधियों की हवा खराब है कि कहीं सार्वजनिक तौर पर अश्लीलता फैलाने के मामले में उनके खिलाफ कारवाई न हो जाए। फिल्म के साथ-साथ पार्टी हाईकमान तक उम्मीदवार का नाम भी पहुंच गया। इस फिल्म का जवाब वे कैसे देते हैं, यह तो समय ही बताएगा।

फिर सियासत में उलझे मेयर
नगर निगम की तरफ से शहर में विज्ञापन को लेकर एक निजी कंपनी को दिए गए ठेके में घोटाले के आरोपों को लेकर पहली बार मेयर ने फ्रंटफुट पर आ सिंगल एजेंडे पर हाउस की बैठक बुलाई। बैठक में कंपनी का टेंडर रद करने का प्रस्ताव पारित भी कर दिया गया लेकिन उससे पहले जिस प्रकार निगम के मुलाजिमों की यूनियन ने बैठक पर ही सवालिया निशान उठाकर मेयर को कटघरे में खड़ा कर दिया, वह बड़ी बात है। अब करोड़ों रुपये के इस खेल में कौन सच्चा है कौन झूठा, इसका फैसला करना मेयर के गले की हड्डी बन गया है। अगर कंपनी सच्ची है तो मामला उठाया क्यों और झूठी है तो फिर उसे ठेका क्यों दिया गया। अब देखना ये है कि बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद कार्रवाई क्या होती है। निगम के मुलाजिम शोकाज नोटिस का जवाब कैसे और क्या देते हैं, यह देखने लायक होगा।

क्रास पर्चे की सियासत में उलझे
जालंधर में में कमाई वाले विभागों में ट्रांसपोर्ट विभाग का नाम सबसे आगे आता है। कमाई के चक्कर में विभाग में दलाल भी सक्रिय हैं और मुलाजिमों के एजेंट भी। दलाली की कमाई को लेकर दोनों एक-दूसरे से आमने-सामने भी होते रहते हैं। फिर मामला पुलिस के दरबार में पहुंचता है। अकसर आने वाले मामलों से तंग आकर अब पुलिस ने भी नया फार्मूला निकाल लिया है कि जो पहले शिकायत करने पहुंचे उसकी शिकायत लो फिर दूसरे पक्ष को बुलाकर शिकायत लेकर क्रास पर्चा दर्ज कर दो। जब क्रास पर्चा व शिकायत हो जाती है तो फिर मजबूरी में दोनों पक्ष कार्रवाई के डर से समझौता कर लेते हैं। इसके चलते विभाग में भ्रष्टचार लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी तक दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं जिनको पुलिस ने इसी फार्मूले पर हल किया है, लेकिन जांच की कार्रवाई किसी भी मामले में नहीं की गई।

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