Punjab Ground Report: शहर का सफर ग्रामीणों को दे रहा कोरोना, दूध व फल-सब्जी बेचने वालों के नहीं हो रहे टेस्ट

Punjab Ground Report पंजाब के गांवों में भी कोरोना संक्रमण के मामले आने लगे हैं। इसका कारण गांव के लोगों की शहरों में ज्यादा आवाजाही है। इसके अलावा दूध फल सब्जी बेचने वालों के टेस्ट न होने से यह वाहक का काम कर रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 10:40 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 10:54 AM (IST)
Punjab Ground Report: शहर का सफर ग्रामीणों को दे रहा कोरोना, दूध व फल-सब्जी बेचने वालों के नहीं हो रहे टेस्ट
तरनतारन के भिखीविंड से खालड़ा को जाने वाली सड़क आवाजाही जारी। जागरण

जालंधर। Punjab Ground Report: बठिंडा शहर से छह किलोमीटर दूर स्थित एक गांव के कुलवंत सिंह रोज दूध और सब्जी बेचने शहर जाते हैं। 12 अप्रैल को वह बीमार हो गए, लेकिन उन्होंने खुद को आइसोलेट करने के बजाय शहर आना-जाना जारी रखा। पांच दिन बाद तेज बुखार होने पर जांच करवाई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई, लेकिन तब तक वह अपने पूरे परिवार और गांव के 12 लोगों को संक्रमित कर चुके थे।

यह महज एक केस नहीं, बल्कि पंजाब के ज्यादातर गांवों में संक्रमण फैलने की मुख्य वजह यही है। गांव के अधिकतर लोग छोटे-मोटे काम के लिए शहर पर निर्भर हैं। मंडी, बैंक, बीज भंडार, होल सेल की दुकानें व फैक्टरियां शहरों में होने के कारण गांवों से शहरों के लिए लोगों की आवाजाही सामान्य है। ऊपर से स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत भी औसत दर्जे की है।

सेहत सुविधाओं का अंदाजा तरनतारन के दो गांवों कुल्ला और एकलगड्ढा से लगाया जा सकता है। दोनों गांवों में 33 पाजिटिव केस हैं। यहां लेवल थ्री बेड नहीं है। कस्बा पट्टी गांव कुल्ला से चार किलोमीटर दूर है। यहां भी कोई सुविधा नहीं है। मरीजों को 18 किलोमीटर दूर तरनतारन जाना पड़ता है। ऐसे ही एकलगड्ढा से कस्बा खडूर साहिब छह किलोमीटर दूर है। यहां से भी मरीज तरनतारन पहुंच रहे हैं। बहुत से मरीजों को तो अमृतसर भी जाना पड़ता है।

बठिंडा के गोनियाना ब्लाक के अधीन आते 30 गांवों में पिछले 12 दिनों में 100 से ज्यादा लोग पाजिटिव आ चुके हैं। 10 की मौत हो चुकी है। ये सभी मरीज बठिंडा के प्राइवेट अस्पतालों में दाखिल थे। गांवों में लोगों को मजबूरन झोलाछाप डाक्टरों के पास जाना पड़ता है। राज्य के 17 जिलों में लेवल थ्री का एक भी बेड नहीं, जबकि छह जिलों में वेंटीलेटर तक नहीं है।

दूध व फल-सब्जी बेचने वालों के नहीं हो रहे टेस्ट

देश भर में कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी के बीच पंजाब के गांवों में बढ़ रहे संक्रमण के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। आंदोलन से लौटे किसानों के कारण गांवों तक पहुंचा संक्रमण अब और फैल रहा है। वहां से लौटे लोग खुद को आइसोलेट नहीं कर रहे, बल्कि रूटीन की तरह शहर आ-जा रहे हैं। इनमें बहुत से लोग ऐसे हैं, जो नियमित तौर पर मंडी जाते हैं। दूध व फल-सब्जी बेचते हैं, लेकिन विभाग इनके टेस्ट नहीं करवा रहा। तरनतारन के भिखीविंड व खालड़ा में ऐसे कई मामले आए हैं।

वहीं, तरनतारन जिले में बाजार बंद होने का समय दो बजे हैं, लेकिन वीरवार को भिखीविंड से खालड़ा मार्ग पर तीन बजे के बाद भी लोगों की आवाजाही जारी थी। गांवों में मास्क व शारीरिक दूरी का पालन भी बहुत कम हो रहा है।

जनसंख्या घनत्व कम, लेकिन शहरों-कस्बों के पास वाले गांवों में संक्रमण दर ज्यादा

संगरूर के मूनक गांव का जनसंख्या घनत्व 525, जबकि लोंगोवाल का 665 व्यक्ति प्रति किलोमीटर है। संगरूर शहर से मूनक की दूरी 63 किलोमीटर है, इसलिए यहां रोज 10 से 12 केस आ रहे हैं, जबकि लोंगोवाल संगरूर से 13 किलोमीटर दूर है और यहां के लोगों का शहर आना-जाना ज्यादा है, इसलिए यहां औसतन 30 से 35 केस आ रहे हैं। वीरवार को यहां आठ लोगों की मौत हुई, जबकि मूनक में दो लोगों की जान गई।

पठानकोट से शाहपुर कंडी 15 किमी दूर है। यहां सोमा कंपनी में 500 श्रमिक काम कर रहे है, जो जरूरत के सामान व अन्य काम के लिए अकसर पठानकोट जाते हैं। यहां रोज पांच से छह लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। चार श्रमिकों की मौत हो चुकी है। बेगोवाल में रोज सात से आठ केस आ रहे, लेकिन इनका नरोट जैमल सिंह व पठानकोट जाना जारी रहा। अब इसे सील कर दिया गया है।

जालंधर के बिलगा, नाहला व काहना ढेसिया शहर से 10 से 20 किलोमीटर दूर हैं। यहां पिछले तीन दिनों से रोज दो से चार केस आ रहे हैं। पहले ये संक्रमण से बचे हुए थे। बठिंडा के रामा मंडी, गोनियाना मंडी, तलवंडी साबो, रामपुरा फूल, मौड़ मंडी में रोज 10 से 15 केस आ रहे हैं। ये सभी गांव बठिंडा से 30 से 40 किलोमीटर के दायरे में हैं। पहले यहां एक-दो केस ही आ रहे थे। (इनपुट: बठिंडा से नितिन सिंगला, तरनतारन से धर्मबीर मल्हार, संगरूर से मनदीप कुमार, जालंधर से जगदीश कुमार और पठानकोट से नवीन कुमार।)

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