खुद को गुलाम समझ रहे कैंट वासी, शहर की तरह चाहते हैं आजादी
रक्षा मंत्रालय द्वारा कंटोनमेंट एक्ट 2006 में प्रस्तावित संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
संवाद सहयोगी, जालंधर छावनी : रक्षा मंत्रालय ने कैंटोनमेंट एक्ट 2006 में प्रस्तावित संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे कैंट वासियों को राहत मिल सकती है। रक्षा मंत्रालय ने एक्ट 2006 को संशोधित करके कैंट एक्ट 2020 का पहला प्रारूप पेश करके कैंट बोर्ड कार्यालय में भेज दिया है। इस संदर्भ में रक्षा मंत्रालय ने 16 जून 2020 तक इस एक्ट में क्या खामियां हैं, उसे कैसे दुरुस्त किया जाए, के संबंध में सुझाव भी मांगे हैं।
कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष व मौजूदा पार्षद सुरेश कुमार भारद्वाज ने बताया कि 2020 का पेश किया गया एक्ट पहले की अपेक्षा बेहद कठिन है और जनता के हित में भी नहीं हैं। यह तानाशाही एक्ट है। उन्होंने इस संदर्भ में एक्ट के प्रति ऑब्जेक्शन की कॉपी भी रक्षा मंत्रालय डायरेक्टर ऑफ जनरल कैंट बोर्ड को भी भेज दी है। सुरेश कुमार ने कहा कि कैंट एक्ट जो भी बने, उसमें सरकार का झुकाव सेना की तरफ ही होगा। कैंट में पिछले 30 वर्षों से बिल्डिंग बायलॉज नहीं हैं और आपसी नोकझोंक के करके इमारतें बनती जा रही हैं। ऐसे में यहां एक स्वच्छ पारदर्शिता वाला बिल्डिंग बायलॉज होना चाहिए। इससे आम नागरिक बेझिझक कानून के दायरे में अपनी इमारत का निर्माण कर सकेगा। 2006 से पहले कैंट में मकानों के टैक्स की असेसमेंट करने की पावर कैंट बोर्ड के पार्षदों के पास थी, लेकिन अब ये पावर सीईओ को दे दी गई है। इसके चलते कैंट के मकानों का टैक्स बहुत ही ज्यादा बढ़ा गया है। यही कारण है कि लोग खुद के घरों की बजाय किराये पर रहना सही समझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकार पार्षदों के पास ही होने चाहिए।
अंग्रेजों के जमाने का एक्ट थोपा जा रहा : राम सहदेव
समाज सेवक राम सहदेव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने छह वर्ष पूर्व कहा था कि जब वे सत्ता में आएंगे तो 100 वर्ष पुराने कानूनों को बदल देंगे, लेकिन कैंट एक्ट 1856 आज भी जनता पर थोपा जा रहा है। ये अति घातक और संवेदनशील है। अंग्रेजों के समय का यह एक्ट गुलामों पर लगाया जाता था। यही एक्ट आज हम पर थोपकर हमें गुलाम बनाया जा रहा है। इसी एक्ट के कारण कैंट के लोग न तो अपनी जमीन बेच सकते हैं और न ही खरीद सकते हैं। उन्होंने ऐसे कानून को धारा 370 की तरह ही हटा देने की मांग की।
कैंट बोर्ड को कौंसिल या निगम से जोड़ें : राम अवतार
कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष राम अवतार अग्रवाल ने कहा कि अब समय आ चुका है कि देश की तमाम छावनियों को अलग कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह अंबाला में छावनी को अलग करके नगर कौंसिल में जोड़ा गया है। उसी प्रकार सभी कैंट बोर्ड क्षेत्र को नगर कौंसिल में जोड़ देना चाहिए और उसकी कमांड बेशक केंद्र सरकार के पास हो।
पार्षद बोले, गुलाम की जिंदगी जी रहे कैंट के लोग
उपाध्यक्ष चुनाव संबंधी पार्षदों का कहना है कि इस एक्ट में बेशक सात पार्षदों के अलावा आठवीं पोस्ट उपाध्यक्ष की होगी, परंतु आर्मी ने भी अपने सदस्यों की गिनती बढ़ाकर बराबर आठ कर दी है। ऐसे में पलड़ा आर्मी का भारी रखा गया है। उन्होंने कहा 2020 एक्ट का जो पहला प्रारूप आया है। उसमें बहुत सी खामियां हैं। यदि यह खामियां दूर न की गई तो कैंट की जनता पहले की अपेक्षा ही गुलाम रह कर अपना जीवन यापन करेगी।