जालंधर में SAD के साथ सीट वितरण को लेकर BSP असंतुष्ट, आदमपुर सीट को लेकर जताया विरोध
शिरोमणि अकाली दल के साथ हुए समझौते में सीट वितरण को लेकर असंतुष्ट बहुजन समाज पार्टी के कैडर ने रविवार को सार्वजनिक तौर पर अपना रोष जाहिर कर दिया। बसपा कैडर ने ब आदमपुर की सीट अकाली दल को दिए जाने का कड़ा विरोध जताया है।
जालंधर, जेएनएन। शिरोमणि अकाली दल के साथ हुए समझौते में सीट वितरण को लेकर असंतुष्ट बहुजन समाज पार्टी के कैडर ने रविवार को सार्वजनिक तौर पर अपना रोष जाहिर कर दिया। बसपा कैडर ने बकायदा तौर पर बैठक बुलाकर समझौते के तहत आदमपुर की सीट अकाली दल को दिए जाने का कड़ा विरोध जताया है।
आदमपुर में हुई बैठक के दौरान बसपा नेता विजय बद्धन व ललित कुमार आदि ने कहा कि संभवत: आदमपुर सीट से अकाली दल के मौजूदा विधायक पवन कुमार टीनू चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बसपा अपना विरोध जताएगी। बसपा कैडर ने पार्टी हाईकमान से आदमपुर की सीट बसपा के खाते में डालने की मांग की है। बसपा कैडर का तर्क है कि पूर्व में भी आदमपुर सीट पर बसपा का मजबूत आधार रहा है और बसपा चुनावों में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन करती रही है।
वहीं दूसरी तरफ बसपा पंजाब के पूर्व महासचिव सुखविंदर कोटली ने भी मजबूत आधार वाली आदमपुर सीट को शिअद के खाते में डालने पर नाखुशी जाहिर की है। सुखविंदर कोटली ने कहा है कि आदमपुर की सीट अकाली दल को दे दिए जाने से बसपा कैडर में भारी निराशा है। समझौते के तहत बसपा को 20 सीटों में से अधिकतर वह सीटें दे दी गई हैं, जिन पर शिअद कभी खुद लड़ा ही नहीं है। ऐसी सीटें शहरी क्षेत्र से संबंधित हैं और भाजपा के उम्मीदवार ही इन सीटों पर खड़े होते रहे हैं।
बसपा को मिली सीटों में से मात्र करतारपुर, फगवाड़ा एवं नवांशहर में ही बीते विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा की कारगुजारी कुछ ठीक रही थी। अन्य सीटों पर तो बसपा उपस्थिति दर्ज करवाने में भी ज्यादा सफल नहीं हो पाई थी। हालांकि बसपा फिल्लौर, आदमपुर, बंगा, गढ़शंकर, बलाचौर, चब्बेवाल, शाम चौरासी, जालंधर कैंट, नकोदर व फगवाड़ा की सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बताती रही है। अमृतसर शहरी, लुधियाना शहरी, मोहाली, पठानकोट, जालंधर शहरी, दसूहा, भोआ आदि सीटों पर बसपा की कारगुजारी कभी अच्छी नहीं रही है और अकाली दल भी कभी इन सीटों पर उम्दा प्रदर्शन नहीं कर पाया है। सुखविंदर कोटली ने कहा कि इस चुनावी समझौते के तहत हुए टिकट वितरण पर पार्टी को पुनर्विचार करना चाहिए। पार्टी के मजबूत आधार वाली सीटों को बसपा के खाते में डालना चाहिए।