World Breast Feeding Week: नवजात शिशु को कई खतरनाक रोगों से दूर रखता है स्तनपान, जानें इसके फायदे
मां के दूध में उत्तम प्रोटीन वसा वैक्टोज विटामिन लोहा मिनरल पानी व एंजाइम मौजूद होते हैं। इनसे बच्चे की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। बड़े होने पर वह कई रोगों का मजबूती से सामना कर सकता है। मां को भी स्तनपान करवाने के कई लाभ होते हैं।
जगदीश कुमार, जालंधर। आंचल की 1 साल की बेटी पूरी तरह से तंदरुस्त है। वह केवल टीकाकरण करवाने के लिए डाक्टर के पास जाती हैं। आंचल ने 6 माह तक अपनी बेटी को स्तनपान करवाया जबकि सोनिया की आठ माह की लड़की बीमार रहती है। ममता ने शारीरिक सुंदरता को लेकर अंधविश्वास में फंसकर बेटे को स्तनपान से वंचित रखा। पंजाब में अस्पतालों में प्रसव के बढ़ते प्रचलन ने महिलाओं को स्टेटस सिंबल के 'मां का दूध सर्वोत्तम खुराक' का महत्व का भी एहसास करवा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 1-7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह दिवस मनाते हैं।
स्तनपान नवजात शिशु का सुरक्षा चक्र
बाल रोग माहिर डा. गुरदेव चौधरी कहते है कि जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान करवाने से एक माह में होने वाली मृत्यु दर 1/6 रह जाती है। डा. पूजा कपूर ने कहा कि मेडिकल जर्नल लैंसेट के अनुसार 6 महीने तक केवल स्तनपान करने और 12 महीने तक पूर्ण आहार के साथ स्तनपान करने से 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर लगभग पांचवें हिस्से तक कम की जा सकती है। जिन बच्चों को स्तनपान कराया गया, उनका आईक्यू स्तर डिब्बा बंद दूध से पले बच्चों से बेहतर होता है।
स्तनपान करवाने वाली मां की खुराक अच्छी हो
वहीं, पार्लियामेंटरी एसोिसएशन पापुलेशन एंड डिवेल्पमेंट के सचिव डा. मनमोहन शर्मा का कहना है कि नवजात शिशिुओं को स्तनपान करवाने वाली माताओं की तंदुरुस्ती के लिए उनकी खुराक भी अच्छी होनी चाहिए। स्वस्थ्य मां ही बच्चे के तंदुरुस्त भविष्य का निरामाण कर सकती है।
स्तनपान से शिशु को लाभ ही लाभ
मां को लाभ
अस्पतालों में प्रसव से बढ़ा स्तनपान
स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर डा. जीबी सिंह का कहना है कि राज्य में हर साल पैदा होने वाले करीब 4 लाख बच्चों में से 3.30 लाख अस्पतालों में पैदा होते है, जिन्हें स्तनपान करवाना अनिवार्य होता है। पिछले तीन साल में अस्पतालों में जन्म लेने के बाद वाले बच्चों में स्तनपान करवाने की दर 50 से बढ़कर 81.5 फीसद तक पहुंच गई है। इसकी वजह से स्तनपान दर में इजाफा हो रहा है और मातृ व शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट होगी। इस दर को बढ़ाने के लिए आशा वर्कर स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है।
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