कोरोना से ठीक हुए मरीजों पर मंडराया इस इंफेक्शन का खतरा, पंजाब समेत कई राज्यों में सामने आए मामले; जानें लक्षण व बचाव
दिल्ली गुजरात कर्नाटका और महाराष्ट्र के बाद पंजाब में ब्लैक इंफेक्शन यानी मुकोर्माइकोसिस फंगल इंफेक्शन ने मरीजों को गिरफ्त में लेने से चिकित्सा जगत व कोरोना के मरीजों में अफरा-तफरी मच गई है। डाक्टर इसे मरीजों के बेहद खतरनाक मान रहे हैं।
जालंधर, [जगदीश कुमार]। कोरोना के खिलाफ जंग जीत चुके मरीजों पर ब्लैक इंफेक्शन का खतरा मंडराने लगा है। दिल्ली, गुजरात, कर्नाटका और महाराष्ट्र के बाद पंजाब में ब्लैक इंफेक्शन यानी मुकोर्माइकोसिस फंगल इंफेक्शन ने मरीजों को गिरफ्त में लेने से चिकित्सा जगत व कोरोना के मरीजों में अफरा-तफरी मच गई है। डाक्टर इसे मरीजों के बेहद खतरनाक मान रहे हैं। इस बीमारी से मृत्यु दर 50 फीसदी के करीब आंकी गई है। सेहत विभाग की ओर से राज्य के सरकारी व गैर सरकारी डाक्टरों को अलर्ट रहने की बात कही गई है।
ऐसा बढ़ता का बीमारी का खतरा
जिला एपीडिमोलाजिस्ट डा. गुंझन का कहना है कि कोरोना से खिलाफ जंग जीतने वाले मरीजों को इलाज के दौरान स्टीरायड दिए जाते हैं। इसकी वजह से कई मरीजों की शुगर भी बढ़ जाती है। वायरस के प्रभाव व इलाज के दौरान इस्तेमाल करने वाली दवाइयों की वजह से मरीजों की प्रतिरोधक शक्ति काफी कमजोर हो जाती है। इन मरीजों में ब्लैक इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा शुगर, किडनी और कैंसर की बीमारी से जूझ रहे मरीजों, अंग प्रत्यारोपण व एचआईवी के मरीजों को बीमारी होने का खतरा है। फिलहाल कोरोना दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात व कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों से मरीज सामने आए हैं। मरीजों मेे ब्लैक इंफेक्शन का देरी पता चलने की वजह से इलाज के नतीजे भी मिल रहे है। इस बीमारी की गिरफ्त में आने वाले मरीजों की आयु 50 साल से अधिक है। इससे बचाव के लिए कोरोना के ठीक हो चुके मरीजों को मास्क जरूर पहन कर रखना चाहिए और बार-बार साबुन से हाथ धोने चाहिए।
गन्ने के खेत में पाई जाती है ब्लैक फंगल
जिला परिवार कल्याण अधिकारी एवं नाक, कान व गला रोग के माहिर डा. रमन गुप्ता कहते है कि गन्ने के खेत में ब्लैक फंगल पाई जाती है। मुकोर्माइकोसिस काली फफूंदी है। यह फुफुंदी हवा में मौजूद होती है। यह नाक के रास्ते आंखों व दिमाग तक पहुंचती है। इससे नाक में रुकावट, आंख व गाल में सूजन, आंख लाल हो और नाक पर काली सूखी परत दिखाई देने लगती है। बायोप्सी कर फंगल इंफेक्शन की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा एमआरआइ से साइनस, आंख, ऊपरी जबड़े की हड्डी व मांसपेशियों की मौजूदा स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यह साइंस और फेफड़ों को प्रभावित करती है।
डाक्टरों को सचेत रहने के दिए आदेश
स्टेट एपीडिमोलाजिस्ट डा. गगनदीप सिंह का कहना है कि पंजाब में ब्लैक इंफेक्शन यानी मुकोर्माइकोसिस फंगल इंफेक्शन को लेकर सरकारी अस्पतालों को इस तरह का मरीज सामने पर तुरंत हैडक्वाटर को सूचित करने की बात कही गई है। इसके अलावा आईएमए को भी डाक्टरों को सचेत रहने की बात कही गई है। हालांकि सरकारी मेडिकल कालेजों व पीजीआई में इलाज के लिए माहिर डाक्टर व आईसीयू की व्यवस्था है। आईएमए के प्रदेश प्रधान डा. नवजोत सिंह दहिया ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में ब्लैक इंफेक्शन के मरीज सामने के बाद पंजाब में खास कर ईएनटी डाक्टरों को सचेत रहने की बात कही गई है। निजी अस्पतालों में भी इलाज की व्यवस्था है।
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लक्षण
-चेहरे के एक तरफ सूजन।
-सिर दर्द
-नाक और साइनस बंद होना। नाक के अंदर काला रंग की परत जमा होनी।
-तेज बुखार होना।
-आंखों की रोशनी खोना।
-जबड़ों में खराबी होना ।
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कैसे करें बचाव
-मास्क लगा कर रखा चाहिए।
-बार-बार साबुन से हाथ धोएं।
-ज्यादा धूल वाले इलाके में जाने से परहेज करे। खास कर जहां नई इमारतों का निर्माण चल रहा हो।
-पानी की वजह से खराब हुई इमारतों से दूर रहे।
-जहां कुदरती आपदा आई हो और बाढ़ का पानी जमा हो।
-काफी देर से बंद पड़े बड़े यार्ड , मिट्टी वाले इलाके और पुराने बागों के संपर्क से दूर रहे।